वो डायलॉग्स जिन्हें पढते ही आप बोलना शुरू कर देगें
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हमारे देश भारत में तीन चीजें बहुत चलती है.बॉलीवुड, बॉलीवुड और बॉलीवुड ! हम भारतीय खाते-पीते, सोते-जागते बॉलीवुड से जुड़े रहते हैं.हम बॉलीवुड फिल्मों खासकर उनके डायलॉग्स को इतना सीरियसली ले लेते हैं कि भले हम अपने एक्जाम में आए प्रश्नों के उत्तर भूल जाए लेकिन फिल्मों के डॉयलाग्स तो तोते की तरह रटे होते हैं. ऐसा आखिर क्यों होता है..तो इसका सीधा सा जवाब है कि बड़े बड़े देशों में छोटी-छोटी बातें होती रहती है.सेनोरीटा
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लेकिन हम कब तक वही पुराने डायलॉग्स को बोलते रहेंगे.ना जाने कितनी फिल्में आई और अपने बेहतरीन डायलाग्स के साथ चली गई.लेकिन अभी तक हम शोले जैसी फिल्मों के डायलॉग कितने आदमी थे से आगे बढ़े ही नहीं हैं.अरे भाई अब तक तो गब्बर सिंह भी अपने इस डायलॉग से थक जाता.तो आओ बॉलीवुड के नशे में डूबे युवक इन नए डायलॉग्स से अपने दिमाग की बत्ती जलाओ.
- जीरो भी बड़े काम की चीज होती है…अगर यूज करने वाला उसकी वैल्यू पकड़े…सही जगह पर लगा दो, तो साले को जितनी बार लगाओगे उतना ही फायदा होगा. Rocket Singh: Salesman of the Year. (2009)
- इंतेकाम से सिर्फ इंतेकाम पैदा होता है Haider. (2014)
- मां बाप जिंदगी की पेड़ की जड़ हैं. पेड़ कितना ही बड़ा हो जाए, कितना ही हरा भरा हो जाए, जड़ कटने से वो हरा भरा नहीं रह सकता. (2003)
- मानता हूं फुटपाथ पे सोने का हक नहीं होता है, पर फुटपाथ गाड़ी भी चलाने के लिए नहीं होता. Jolly LLB. (2013)
- उसने मुझे अपना नाम बताया, लेकिन मैं वो नाम किसी को नहीं बता सकता, इंसान नाम में मजहब ढ़ूढ़ लेता है. A Wednesday. (2008)
- भगवान के भरोसे ना बैठिए, क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो. Manjhi: The Mountain Man (2015)
- कभी कभी मैं सोचता हूं की ये बार्डर वाडर होते ही नहीं. आना जाना फ्री होता और भागने भूगने की जरूरत नही होती. Filmistaan. (2012)