Somvati Amavasya 2019 : सोमवती अमावस्या का 71 साल बाद बना है ये शुभ योग, सफलता पाने के लिए ऐसे करें पूजा
Somvati Amavasya 2019 : इस बार अमावस्या सोमवार को पड़ रही है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के नाम से जाना जाता है. इस समय कुंभ भी लगा हुआ है. कुंभ के दौरान इस अमावस्या के पड़ने से भक्तों के लिए इसका महत्व और बढ़ जाता है. सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दौरान अगर कोई शख्स पूरी श्रद्धा से पूजा करता है तो उसकी हर इच्छा पूरी होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये शुभ योग पूरे 71 साल बाद आया है. इससे पहले सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) 8 फरवरी 1948 को मनाई गई थी.[the_ad id=”1083″]
सोमवती अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सोमवार को इसका योग पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहा जा रहा है. सोमवती या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन महिलाएं अपने पति के लम्बी उम्र के लिए पूजा करती हैं. इस व्रत को पीपल प्रदक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा मान्यता है. इस बार ये सोमवार को पड़ रही इसलिए आज भगवान शंकर जी की पूजा करनी चाहिए. अगर कोई स्त्री मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का व्रत पूरी श्रद्धा से करती है तो उसके पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है.
कब तक रहेगा सोमवती अमावस्या का योग
सोमवती (Somvati Amavasya) का योग रविवार की मध्य रात्रि से ही शुरु हो जाएगा. इसके बाद सोमवार यानि 4 फरवरी को पूरे दिन इस अमावस्या का योग रहेगा. सोमवार की मध्य रात्रि से अमावस्या (Amavasya) का योग समाप्त हो जाएगा. सोमवार के ब्रह्म मुहूर्त में ही डूबकी लगाकर पुण्य कमाया जा सकता है.
सोमवती अमावस्या की पूजा-विधि
आज के दिन सुबह उठकर सबसे पहले तो साफ जल स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए. कपड़े पहनने के बाद पूजन की सामाग्री लेकर पास के किसी भी पीपल के पेड़ के पास जाएं.वहां पर पीपल की जड़ में लक्ष्मीनारायण की स्थापना करें और उनपर दूध-जल से पूजा करें.सोमवती (Somvati Amavasya) के दिन इस विधि से पूजा करने से लक्ष्मीनारायण खुश होते हैं. इसके बाद पीपल की जड़ में धागा लपेट दें. धागा लपेटने के बाद फूल-अक्षत, चंदन, धूप अर्पित करें. [the_ad id=”1083″]इसके बाद पेड़ के चारों ओर ओम्-श्री वासुदेवाय नम: का उच्चारण करते हुए 108 बार परिक्रमा करें. पीपल के पेड़ की परिक्रमा लगाने से पुत्र- पौत्र, धन,धान्य के साथ मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन मौत व्रत भी रखा जाता है. स्त्रियां अपनी सुविधानुसार इस व्रत को रखती हैं. ये व्रत इंद्री वंश में रहना सिखाता है. शास्त्रों में बोली में नियंत्रण के बारे में बताया गया है. मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन मौन व्रत रखने से मन की शुद्धि होती है. कुंभ में भी एक मौन व्रत रखकर स्नान किया जाना चाहिए.