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Indian Railway Fact : पैसेंजर ट्रेन में 24 से ज़्यादा कोच क्यों नहीं लगाए जाते हैं, जानिए क्या है वजह - INDEPENDENT NEWS

Indian Railway Fact : पैसेंजर ट्रेन में 24 से ज़्यादा कोच क्यों नहीं लगाए जाते हैं, जानिए क्या है वजह

Indian Railway Fact : पैसेंजर ट्रेन में 24 से ज़्यादा कोच क्यों नहीं लगाए जाते हैं, जानिए क्या है वजह

Indian Railway Fact : भारत में सफर करने के लिए सबसे सुगम और सस्ता भारतीय रेलवे को माना जाता है। हम सभी ने कभी न कभी ट्रेन से सफर किया होगा। क्या आपने कभी ट्रेन के डिब्बों पर गौर किया है। एक ट्रेन में 24 डिब्बे ही होते हैं. आपको बता दें कि किसी भी पैसेंजर ट्रेन में 24 डिब्बों से ज्यादा नहीं हो सकते हैं. लाखों यात्रियों को सफर कराने वाली ट्रेन में भीड़-भाड़ होने के बाद भी आखिर डिब्बों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाए जाते हैं. आज हम अपको इस लेख के जरिए बताएंगे ट्रेनों में ज्यादा डिब्बों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाए जाते हैं.

लूप में बंटी होती है ट्रेन

आपको बता दें कि एक ट्रेन में 24 से ज़्यादा कोच नहीं लगाए जा सकते। रेलवे में एक लूप की लंबाई 24 मीटर की है। मतलब ये कि आप उतने ही डिब्बे ट्रेन नें लगा सकते हैं जितने इस लूप में फिट हो जाएं। जानकारी के मुताबिक ट्रेडिशनल आईसीएफ कोचों की अधिकतक संख्या 24 होगी। अगर जर्मन तरीके से ट्रेन में कोच लगाए जाएंगे तो एक ट्रेन में 22 कोच लगाए जा सकेंगे। अब हम आपको बताते हैं कि लूप क्या होता है। 2 स्टेशनों के बीच में जो रेलवे लाइन होती है। वो लूप में बंटी होती है।

Indian Railway Fact : पैसेंजर ट्रेन में 24 से ज़्यादा कोच क्यों नहीं लगाए जाते हैं, जानिए क्या है वजह 1

आपने देखा होगा कि दो स्टेशनों के बीच सिगनल लगे होते हैं। ये सिगनल हर लूप के बाद होते हैं। ये ध्यान रखा जाता है कि ट्रेन की लंबाई उस सेक्शन की सबसे छोटी लूप की लंबाई से ज़्यादा न हो। भारतीय रेल के लूप की लंबाई 650 मीटर से ज़्यादा नहीं होती है। अगर कोई ट्रेन किसी ब्लॉक सेक्शन में फिट नहीं होगी तो वो मेन लाइन को बाधित कर देगी। जब कोई ट्रेन लूप सेक्शन में फिट नहीं होती है तो पीछे वाली ट्रेन के ड्राइवर को लाल सिगनल नहीं मिलेगा। पीछे वाली ट्रेन को सिगनल तभी मिलेगा जब आगे वाली ट्रेन उस सेक्शन से आगे निकल चुकी होगी।

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