पीएम की सोच से प्रेरणा लेकर देश के बच्चों ने बनाई ईंधन और ड्राइवर के बगैर चलने वाली बस
![पीएम की सोच से प्रेरणा लेकर देश के बच्चों ने बनाई ईंधन और ड्राइवर के बगैर चलने वाली बस 1 पीएम की सोच से प्रेरणा लेकर देश के बच्चों ने बनाई ईंधन और ड्राइवर के बगैर चलने वाली बस](https://independentnews.in/wp-content/uploads/2019/01/IMG_20190103_151728.jpeg)
देश के कुछ छात्रों ने विश्व की पहली ड्राइवरलेस सोलर बस को बना लिया है. इस अनोखी बस को पीएम नरेंद्र मोदी ने लांच किया. इसके लिए वो जालंधर में एक विद्यालय में गए जहां उन्होंने इसकी सवारी भी की.इसी क्षण के बाद पीएम विश्व के पहले ऐसे शख्स बन गए है जिन्होंने ड्राइवरलेस सोलर बस की सवारी की. इस ड्राइवरलेस बस को एलपीयू के छात्रों ने बनाया है.
![पीएम की सोच से प्रेरणा लेकर देश के बच्चों ने बनाई ईंधन और ड्राइवर के बगैर चलने वाली बस 2 LPU_solar powered bus](https://independentnews.in/wp-content/uploads/2019/01/IMG_20190103_151728.jpeg)
बस को चलाने के लिए सौर उर्जा का उपयोग किया जाता है. इसलिए इस बस के लिए किसी प्रकार के ईंधन के लिए खर्च नहीं करना पड़ता है. वहीं, बस को चलाने के लिए किसी चालक की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है. साथ ही ये बस बिना किसी ड्राइवर के चलाई जा सकती है. ऑटोमेटिक बस की रफ्तार 30 किमी. प्रति घंटा की है.इस बस में एक बार में करीब 10 से 30 लोग बड़ीे आसानी से बैठ सकते हैं. बस ऑटोमेटिक तकनीक से चलती है जिसकी वजह से इसका किसी से भी टकराने का भी खतरा नहीं हैं. इतना ही नहीं इस बस के सौर उर्जा से मात्र एक बार चार्ज होने पर 60 से 70 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया जा सकता है. बस की निगरानी के लिए इसमें बलूटूथ और जीपीएस जैसे फीचर्स भी दिए गए हैं. इस बस को लवली प्रोफोशनल यूनीवर्सिटी के मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के 300 से ज्यादा छात्रों की मदद से बनाया गया है.
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टीम के प्रमुख मनदीप सिंह का कहना है कि इस बस के देखरेख में छात्रों के साथ-साथ एलपीयू के अध्यापक और इस काम के एक्सपर्ट भी शामिल रहें.वहीं, बस की कीमत की बात की जाए तो इसकी बाजार में कुल कीमत करीब 6 लाख रुपए के आसपास पड़ेगी. इस बस की डिजाइन भारतीय बाजार को ध्यान में रखकर की गई है.
इसे व्यवसायिक इस्तेमाल जैसे एयरपोर्ट, हाउसिंग सोसायटीज और बड़ी इंडस्ट्रीज के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों में चलाया जा सकता है. ऐसे वाहन एकतरफ वातावरण का प्रदूषण कम करने में तो मदद करेंगे, साथ ही उर्जा का वैकल्पिक साधन ढूंढकर उर्जा संरक्षण का काम भी करेगी.