आज के दिन व्रत रखने का है बड़ा महत्व, जाने क्यों
हिन्दू धर्म में अलग-अलग उपवास को अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए समर्पित किया है.जिस तरह एकादशी के व्रत को विष्णु के लिए तो प्रदोष को भगवान शिव के लिए रखा जाता है.हालांकि आप अपने ईष्ट के हिसाब से अपना किसी भी दिन उपवास कर सकते हैं. हिंदू धर्म की महानता ही यही है कि इस धर्म में कोई बंधन नहीं हैं. तो ये जरूरी नहीं हैं कि आप प्रदोष उपवास के लिए शिव की ही साधना करें. इस व्रत के लिए ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का 108 बार एक माला के साथ जाप कर हवन करना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन दान पुन्य करना बहुत शुभ माना जाता है.
आखिर क्यों मनाते हैं प्रदोष व्रत
प्रदोष उपवास रखने वालों की माने तो इस व्रत के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. ऐसी किवदंती है कि चंद्र देव को एक बार (क्षय रोग) बुखार हो गया था, जिसके चलते उन्हें मृत्यु के समान कष्टों से गुजरना पड़ रहा था. तभी देवादिदेव महादेव ने उस दोष का निवारण कर दिया. चंद्र देव को भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन ही एकबार फिर से जीवन दान दिया. इसी कारण इसे प्रदोष के नाम से जाना जाने लगा.
कब होता है प्रदोष व्रत
एकादशी व्रत जिस तरह से एक महिने में दो बार होती हैं. उसी तरह से प्रदोष व्रत भी दो रखे जाते हैं. त्रयोदशी को प्रदोष कहा जाता है. गुरूवार को पड़ने वाले प्रदोष काल को गुरूवारा प्रदोष कहते हैं. इस दिन व्रत रखने से आपका ब्रहस्पति तो अच्छा होता है ही, साथ ही आपके पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है. ये प्रदोष शत्रुओं के खतरों और बीमारियों से बचने के लिए रखा जाता है. इसके साथ ही करियर में सफलता के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है.
क्या करें सेवन
प्रदोष काल में उपवास के दौरान खाने के लिए हरे मूंग का सेवन ज्यादा सफलता दिलाता है. माना जाता है कि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और ये शरीर की आंतरिक ज्वाला को शांत करके रखता है.