Makar Sankranti 2019 : मकर संक्रांति के पर्व पर इन मंत्रों का जाप करने से मिलेगी अपार सफलता, बन जाएंगे हर बिगड़े काम
Makar Sankranti (मकर संक्रांति) : लोहड़ी के एक दिन बाद आज मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति के पर्व पर अलग-अलग तरह से सूर्य की पूजा की जाती है. मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण शूरू हो जाता है. इसके साथ ही पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में ठंड का मौसम अलविदा कह देता है. वहीं बसंत ऋतु के इंतजार के साथ मौसम भी सुहावना होने लगता है. अाम तौर पर जनवरी महीने की 14 तारीख को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में आते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. इस बार मकर संक्रांति 15 तारीख के दिन मनाई जा रही है. पूरे भारत में मनाया जाने वाला ये एक ऐसा त्योहार है जिसे मनाया तो भारत के हर हिस्से में जाता है लेकिन इसके मनाने के तरीके लगभग हर राज्य के अलग-अलग होते हैं.
हालांकि मकर संक्रांति के मनाने का सही तरीका आज हम आपको इस कड़ी में बताने जा रहे हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले ही पानी में तिल या तिल का तेल डालकर अच्छी तरह नहा लेना चाहिए. इस दिन हो सके तो घर में यज्ञ, हवन या पूजन भी करवा लेना चाहिए. यज्ञ के लिए 11 गायत्री महामंत्रों, 11 सूर्य गायत्री मंत्रों और 5 महामृत्युंजय मंत्रों से तिल और गुड़ की आहुति देनी शुभ मानी जाती है. अगर घर में किसी कारणवश यज्ञ का इंतेजाम ना हो पाए तो गैस जलाकर उसपर तवा रखकर गर्म करें और मंत्र पढ़ते हुए यज्ञ की आहुति दे दें. इस य ज्ञ के बाद गैस बंद कर प्रसाद को किसी पौधे में अर्पित कर दें.
यज्ञ के बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए गायत्री मंत्र का उच्चारण करें और सूर्य को जल चढ़ाएं. इस दिन पीला वस्त्र जरूर पहनें अगर पीला ना हो सके तो सफेद रंग के ही कपड़े पहन लें. जो लोग इस पूजा पाठ को कर रहें हैं वो नाश्ता के रूप में तिल और गुड़ का प्रसाद लें. इस दिन घर में खिचड़ी चावल और उड़द की दाल का भोजन बनाना अत्याधिक शूभ माना जाता है. अगर आप किसी नदी के पास रहते हैं तो नदी में कमर तक जल के बीचों बीच खड़े होकर सूर्य भगवान को तांबे के बरतन में जल, तिल और गुड़ मिलाकर अर्घ्य जरूर दें.
इन मंत्रों का माला लेकर करें उच्चारण
1- महामृत्युंजय मन्त्र- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
2- गायत्री महामन्त्र- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।।
3- सूर्य गायत्री मन्त्र- ॐ भाष्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।