किसे पता था कब्रिस्तान में प्रैक्टिस करने वाला शख्स बनेगा कादर खान, दिल झकझोर देगा इस कलाकार का संघर्ष

किसे पता था कब्रिस्तान में प्रैक्टिस करने वाला शख्स बनेगा कादर खान, दिल झकझोर देगा इस कलाकार का संघर्ष

कादर खान बॉलीवुड इंडस्ट्री के वो सुपरस्टार हैं, जिन्होंने अपने सिनेमा करियर में हर किरदार निभाया.  लेकिन नए साल इस की पहली किरण ने फिल्म इंडस्ट्री के इस लिजेंड अभिनेता, डायलॉग राइटर के जीवन पर अंधेरा कर दिया. कादर खान अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. कनाडा के एक हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली. लेकिन इस महान कलाकार के जीवन के किस्से हमें ताउम्र एक नई रोशनी की ओर अग्रसर करते रहेंगे. इनके जीवन का संघर्ष इतना कठिन रहा कि आम इंसान इन्हें झेलने में अकसर असफल हो जाते हैं. कादर खान ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में बचपन के संघर्ष के दिनों को याद किया था.

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कादर खान इस साक्षात्कार में बताते हैं कि वो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से कुछ दूर रहते थे.  वहां कादर खान अपने माता-पिता के साथ रहते थे. कादर खान से पहले उनके 3 भाई हुए, जिनकी 8 साल की उम्र में ही मौत हो गई. कादर खान के जन्म बाद उनके माता-पिता ने भारत में मुंबई आने का फैसला किया. मुंबई आने के बाद उनका बचपन एक स्लम एरिया में बीता. कादर खान अपने बचपन के जीवन के बारे में बताते हैं कि जिस स्लम एरिया में वो रहते थे, वहां शराब, हत्याएं और जुआखाने हुआ करते थे. इसका असर उनके माता-पिता के रिश्तों पर भी पड़ा, जिसके चलते उनका तलाक हो गया. कादर खान माता-पिता के तलाक के बाद अपनी मां के साथ रहते थे.

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तलाक के बाद कादर खान मामा और नाना पाकिस्तान से भारत आ गए. उन्होंने कादर खान की मां की फिर से जबरन शादी करा दी. कादर खान के सौतेले पिता कोई काम-धंधा नहींं करते थे. इसके साथ ही वो कादर खान को उनके पहले पिता के ्पास पैसों के लिए भेजते थे. इतना ही नहीं कादर खान अपने बचपन की कठिनाईंंयों के बारे में बताते हैं कि वो सप्ताह में सिर्फ 3 दिन खाना खाते थे. पैसों की कमी के चलते उन्हें बाकी दिन भूखे रहना पड़ता था.

कब्रिस्तान में करते थे प्रैक्टिस

उन्होंने अपने घर की हालत देखकर बचपन में ही मजदूरी करने का फैसला किया.लेकिन उनकी मां उन्हें पढ़ने -लिखने की सलाह देती थी. एक बार जब कादर खान ने अपने इस फैसले को अपनी मां से साझा किया तो उनकी मां ने उन्हें डांटते हुए कहा की तू सिर्फ ‘पढ़’. उनकी मां के इन शब्दों ने कादर खान की जिंदगी ही बदल दी. कादर खान को बचपन से ही दूसरों की नकल करने का शौक था. अकसर, वो अपने दैनिक जीवन को घर के नजदीक बने कब्रिस्तान में नकल करते रहते थे.

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एक बार जब वो कब्रिस्तान में अभ्यास कर रहे थे तभी उनपर एक टॉर्च की लाइट पड़ी. टार्च की ये पहली लाइट उनके जीवन के कैमरा, एक्शन और लाइट के सफर की शुरुआत थी. टॉर्च वाले आदमी ने उन्हें ड्रामा में काम करने का ऑफर दिया. उनका पहला ड्रामा का मामक अजरा था. जिसपर उन्होंने एक राजा के बेटे का किरदार निभाया था. इस किरदार पर उन्हें पहली बार उपहार के स्वरूप में एक अमीर आदमी से 100 रु के दो नोट मिले.

जब मां की मौत को लोगों ने समझा अप्रैल फूल

कादर खान ने अपने फिल्मी करियर में ज्यादातर कमेडी फिल्में की हैं. लोगों को हंसाने वाले इस महान शख्सियत की मां के गुजरने की कहानी भी बहुत दर्दभरी है. दरअसल, कादर खान की मां की मौत 1 अप्रैल को हुई थी. 1 अप्रैल को अप्रैल फूल मनाया जाता है.जब कादर खान ने अपनी मां के निधन के बारे में अपने दोस्तों को बताया तो उन्होंने इसे अप्रैल फूल समझा. उनकी मां के जीवन के आखिरी दिन वो स्टेट प्ले कंप्टीशन पर गए हुए थे. स्टेट कंप्टीशन से जब वो वापस लौटे को उन्होंने देखा की उनकी मां खून की उल्टियां कर रहीं हैं.

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गंभीर अवस्था में जब उन्होंने अपनी मां को देखा तो वो भागकर डाक्टर के पास गए. लेकिन डॉक्टर ने उनके मां के इलाज के लिए मना कर दिया. जिससे बाद बेबस कादर खान ने जबरन उस डॉक्टर को उठा लिया और घर ले आए. हालांंकि विधि के विधान ने उनकी मां को डॉक्टर के आने के पहले ही छीन लिया. इस महान कलाकार का जीवन अपने आप संघर्ष में सफलता की ओर अग्रसर रहने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत है.

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