farming business idea : अच्छी खासी नौकरी छोड़कर दो युवाओं ने शुरू की खेती-बाड़ी, इस फसल से युवा किसान सालाना कमा रहे करोड़ो

farming business idea : अच्छी खासी नौकरी छोड़कर दो युवाओं ने शुरू की खेती-बाड़ी, इस फसल से युवा किसान सालाना कमा रहे करोड़ो

farming business idea : कृषि प्रधान देश होने का टैग होने के बावजूद आज का युवा खेती-बाड़ी में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखता। युवा पीढ़ी पढ़ाई-लिखाई से लेकर नौकरी-रोजगार तक के लिए महानगरों का रूख कर रही है और इस तरह का पलायन लगातार जारी है। छोटे शहरों या गांव में रहकर कृषि को अपनी आजीविका का मुख्य स्रोत बनाने वालों को तुच्छ नजरों से देखा जाने लगा है। या यूं कहें कि ऐसा करने वालों को आधुनिक समाज कम आंकने की भूल करता है।

आज हम आपको ऐसी ही एक सफलता की कहानी के बारे बारे में बताएंगे जिसमें दो युवाओं ने कृषि क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़े हैं। जिन्होंने खस की खेती कर करोड़ों रुपए का व्यवसाय किया. उनकी इस सफलता को देखकर आज युवा उनसे प्रेरणा ले रहे हैं. आइए जानते हैं खेती करने वाले लोगों को पिछड़ा मानने वाले लोगों का मुंह बंद कर दिया.

खस की खेती से हुए मालामाल

उत्तर प्रदेश में बस्ती जनपद के मुख्यालय से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव पड़ता है जिसका नाम है डिंगरापुर। और इसी गांव में रहते हैं अमरेंद्र प्रताप सिंह और प्रेम प्रकाश सिंह नाम के दो होनहार युवा किसान। इन लोगों ने गेहूं-धान जैसी पारंपरिक खेती से इतर खस की खेती करने की ठानी और आज अपनी मेहनत के दम पर ये देश के सबसे बड़े खस तेल के निर्यातक बन चुके हैं। इनकी आय का अंदाजा आप इससे लगा लीजिए कि इनका साल भर का टर्नओवर करोड़ों रुपए का है।

ऐसा नहीं है कि अमरेंद्र और प्रेम प्रकाश को किसी मजबूरी या दबाव के चलते खेती-बाड़ी करनी पड़ी। आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों ही युवा काफी पढ़े लिखे हैं। इतना ही नहीं, अमरेंद्र तो MNC कंपनी में बतौर इंजीनियर लाखों के पैकज के साथ काम कर चुके हैं। वहीं प्रेम प्रकाश एमए, बीएड की डिग्री हासिल कर चुके हैं। खेती के प्रति रुझान की वजह से ही इन्होंने कृषि क्षेत्र को व्यवसाए के तौर पर चुना।

ट्रेनिंग के बाद शुरू की खेती

अमरेंद्र बताते हैं कि जब उन्होंने खस की खेती का फैसला लिया, तो सबसे पहले ट्रेनिंग की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने लखनऊ स्थित सी-मैप सेंटर ज्वॉइन किया। जहां 6 दिनों तक ट्रेनिंग ली। यहीं से वो खस के पौधे खरीदकर ले गए और सबसे पहले एक एकड़ में खेती करनी शुरु की। अमरेंद्र आगे बताते हैं कि जब पहले साल में अच्छी आमदनी हुई तो उन्होंने अपने आसपास के किसानों को जोड़ना शुरू किया। अब तक उनके साथ सैकड़ों किसान जुड़ चुके हैं। वहीं 1 एकड़ से शुरू हुई खेती बढ़कर 150 एकड़ में फैल चुकी है।

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आपको बता दें कि खस एक बहु-उपयोगी पदार्थ है, इसका इस्तेमाल दवा, इत्र, तेल बनाने के लिए किया जाता है। इसके एक यूनिट की कीमत 1.60 लाख के करीब है, जबकि प्रति लीटर तेल का दाम 14-15 हजार रूपए है।

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