Varun Reddy IAS : ‘परिश्रम’ ही सफलता की एक मात्र सीढ़ी है। इसका कोई दूसरा विकल्प तो नहीं है, लेकिन परिश्रम का फल हमेशा मीठा ही होता है। सफलता आपकी मेहनत और लगन पर ही निर्भर करती है। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल परीक्षा में कामयाबी हासिल करने के लिए भी यहीं तरीका कारगर है। कई लोग सही रणनीति अपनाकर पहली बार में ही इस परीक्षा को पास कर लेते हैं, तो कई लोगों को सालों लग जाते हैं। सफलता की इस सीरीज में आज हम जिनकी बात करने वाले हैं उन्हें भी सफल होने में लंबा समय लग गया।
इस आईएएस अधिकारी का नाम वरुण रेड्डी है। वरुण की कामयाबी जितनी बड़ी है, उससे ज्यादा बड़ी उनके संघर्ष की कहानी है। उन्हें यूपीएससी परीक्षा में कई बार असफलता का सामना करना पड़ा. लेकिन हिम्मत ना हारकर वो कोशिश करते रहे. आखिर में उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर अपना सपना पूरा कर लिया. उनकी कहानी असपलता मिलने पर हिम्मत हार जाने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा हो सकती है. आइए जानते हैं वरूण रेड्डी ने कैसे देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की.
वरुण रेड्डी तेलंगाना में मिरयालगुडा के मूल निवासी हैं। उनके पिता का नाम डॉ जनार्दन रेड्डी है, जोकि नेत्र रोग विशेषज्ञ है। उनकी शुरुआती पढ़ाई तेलांगना में ही हुई. वो बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थे. हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उन्होंने अच्छे अंक हासिल किए. शुरुआती शिक्षा के बाद वरुण ने JEE की परीक्षा में 29वीं रैंक लाते हुए IIT बॉम्बे में एडमिशन ले लिया।
उन्होंने कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया है। वरुण बताते हैं कि उनके पिता का सपना था कि वो उन्हें IAS अफसर के रूप में देखे। ऐसे में इंजीनियरिंग के तीसरे साल में उन्होंने फाइनली सिविल सेवा में आने का फैसला कर लिया। 2013 में जब उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया, उसके बाद वो पूरे तन-मन से UPSC परीक्षा की तैयारी में लग गए।
वरुण ने 2014 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी थी, जिसमें प्री और मेन्स की परीक्षा पास करने के बाद वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए थे। लेकिन आखिर में उन्हें असफलता हाथ लगी। जिसके बाद वरुण ने पढ़ाई जारी रखी और 1 साल बाद 2015 में उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी। इस बार उनका प्री क्लियर हो गया, लेकिन मेन्स में वो अटक गए। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार कोशिश करते रहे।
दो बार की असफलताओं से सीख लेते हुए वरुण ने एक और साल कड़ी मेहनत की और 2016 में तीसरी बार सिविल सेवा परीक्षा दी। इस बार वह सफल हो गए और उन्होंने ऑल इंडिया 116वीं रैंक हासिल की। हालांकि उनका मन फिर भी नहीं माना। उन्होंने 2017 में एक बार फिर UPSC की परीक्षा दी और इस बार भी उन्हें सफलता तो मिल गई लेकिन मन मुताबिक रैंक फिर भी नहीं आई। 2017 में उनकी AIR 225 रही और एक बार फिर उनका IAS बनने का सपना कुछ दूरी पर रह गया।
वरुण को हर हाल में IAS की कुर्सी पर बैठना था, लेकिन चार बार के प्रयास के बाद भी उनका ये सपना पूरा नहीं हुआ था। लगातार दो बार की असफलता और फिर दो बार की सफलता ने उन्हें इस कदर प्रेरित कर दिया था कि वो पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहते थे। इसका नतीजा ये हुआ कि उन्होंने एक और प्रयास किया और इस बार उन्होंने ना सिर्फ अपने पिता का सपना साकार कर दिखाया, बल्कि इस परीक्षा में टॉप भी किया। 2018 में वरुण ने ऑल इंडिया सातवीं रैंक प्राप्त की।
UPSC की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को वरुण बताते हैं कि इस परीक्षा में सफलता के लिए एक सिंपल स्ट्रेटजी बनाकर आगे बढ़ना सबसे महत्वपूर्ण है। तैयारी के दौरान जो पढ़ाई की है, उसका कई बार रिवीजन करना भी जरूरी है। जब लगने लगे कि तैयारी पूरी हो गई है उसके बाद मॉक टेस्ट देने चाहिए, ताकि पता लग सके कि तैयारी का स्तर क्या है। वरुण का मानना हैं कि जब तक लक्ष्य हासिल ना हो जाए, तब तक कोशिश करते रहना चाहिए।
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