Awanish Sharan on NCERT : आईएएस अधिकारी ने NCERT की किताव में छपी कविता को कहा ‘सड़क छाप’, सिलेबस से हटाने की उठी मांग

Awanish Sharan on NCERT : आईएएस अधिकारी ने NCERT की किताव में छपी कविता को कहा ‘सड़क छाप’, सिलेबस से हटाने की उठी मांग

Awanish Sharan on NCERT : बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा का बहुत महत्व होता है। कहते हैं. बच्चों का मन मिट्टी के कच्चे घड़े के समान होता है. इस पर जो लिखा जाए वह ताउम्र लिखा रहता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि बच्चों को शुरुआती दौर में बेहतरीन शिक्षा दी जाए। लेकिन क्या हो अगर बच्चों की प्रामरी किताबों में ही डबल मीनिंग भाषा का उपयोग किया जाने लगे. दरअसल इन दिनों सोशल मीडिया पर कक्षा एक की एक कविता को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। यह कविता एनसीईआरटी की कक्षा एक की किताब में छपी हुई है। इस कविता का शीर्षक है ‘आम की टोकरी’।

Awanish Sharan on NCERT : आईएएस अधिकारी ने NCERT की किताव में छपी कविता को कहा 'सड़क छाप', सिलेबस से हटाने की उठी मांग 1

इस कविता को लेकर लोगों की खूब प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यहां तक की छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी अवनीश शरन ने कविता के कवि को सड़क छाप भी कह डाला। आइए जानते हैं कि ऐसा इस कविता में क्या है जो सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. कक्षा एक की कविता ‘आम की टोकरी’ में एक लड़की सर पर आम की टोकरी लिए खड़ी है।

कविता कुछ इस प्रकार है

‘ छह साल की छोकरी, भरकर लाई टोकरी।

टोकरी में आम है, नहीं बताती दाम है।

दिखा-दिखाकर टोकरी, हमें बुलाती छोकरी।’

इस कविता में ‘छोकरी’ शब्द का इस्तेमाल लोगों को नागवार गुजर रहा है। यहां तक कि 2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने भी इस पर अपनी आपत्ति जताई है। इन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस कविता की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि- ” “ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर निकाल दे” अवनीश शरण के पोस्ट के बाद से यह मामला काफी तूल पकड़ लिया है और लोग इनका समर्थन करते हुए इस कविता को पाठ में से हटाने की मांग कर रहे हैं।

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आपको बता दें आईएस अवनीश शरण छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं। वहीं अगर इस कविता की बात करें तो यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर द्वारा लिखी गई है। यह कविता साल 2006 से बच्चों को पढ़ाई जा रही। लेकिन अब अवनीश शरण के पोस्ट के बाद से लोग इस कविता को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग कर रहे हैं।

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