Amazing Story of Return Dowry : स्कूल के हेडमास्टर ने दहेज में लिए मात्र 101 रुपए, दुल्हन बोली, मुझे दूसरे पिता मिल गए

Amazing Story of Return Dowry : स्कूल के हेडमास्टर ने दहेज में लिए मात्र 101 रुपए, दुल्हन बोली, मुझे दूसरे पिता मिल गए

Amazing Story of Return Dowry : दहेज के खिलाफ सरकार की तमाम नीतियों और कड़े कानूनों के बावजूद भी देश से दहेज पूरी तरह खत्म नहीं हो पाया है. आज भी शादी-बारात में दुल्हन के परिवार से किस तरह से दहेज लिया जाता है ये किसी से भी छुपा नहीं है. एकतरफ जहां कुछ लोग दहेज के लालच में दुल्हन के रिश्ते को पैसों से तौल देते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दहेज से पहले रिश्तों को महत्व देते हैं.

ऐसा ही एक उदाहरण राजस्थान के बूंदी जिले में देखने को मिला जहां एक हेडमास्टर ने अपने बेटे की सगाई में मात्र 101 रुपयों का शगुन लेकर दुल्हन का रिश्ता स्वीकार कर लिया. हेडमास्टर बृजमोहन मीणा ने उन्हें मिल रहे 11 लाख रुपयों को भी ये कहकर लौटा दिया कि उन्हें सिर्फ दुल्हन चाहिए ना कि दहेज.

बृजमोहन मीणा बूंदी जिले के पीपरवाला गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने टोंक जिले के एक छोटे से गांव में अपने बेटे रामधन का रिश्ता तय किया. कुछ दिन पहले उनके बेटे रामधन मीणा की सगाई का कार्यक्रम था. अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ हेडमास्टर बृजमोहन मीणा उनियारा तहसील के सोलतपुरा गांव में पहुंचे. रामधन मीणा के सगाई कार्यक्रम के दौरान ही लड़की के पिता ने 11 लाख रुपयों से भरी हुई बड़ी थाली को लड़के वालों के सामने रख दिया. लेकिन हेडमास्टर बृजमोहन मीणा ने रिश्तों को महत्व दिया. उन्होंने बेटी के पिता से मिल रहे 11 लाख रुपयों के दहेज को लौटा दिया.

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उन्होंने बेटी के पिता से कहा कि उन्हें दहेज में सिर्फ बेटी दुल्हन के रूप में ही चाहिए. ये देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए. हेडमास्टर ने बेटी के पिता से दहेज ना लेकर एक नजीर पेश की.

शगुन के तौर पर लिया 101 रुपए

हालांकि लोगों के आग्रह के बाद शगुन के तौर उन्होंने बेटी के पिता से 101 रुपए रख लिए. वहीं, दुल्हन को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने कहा कि मेरे पिता समान ससुर ने हमारा मान बढ़ा दिया है. ये मेरी किस्मत है कि मुझे ऐसा परिवार मिला है जहां दहेज से पहले रिश्तों को जगह दी जाती है. इसके साथ ही दुल्हन ने कहा कि ससुर ने समाज को ये रकम लौटाकर एक अच्छा संदेश भी दिया है. इससे बेटियों को सम्मान मिलेगा.

गांव वालों के मुताबिक वहां दहेज लेना या देना दोनों आम बात है. कई बार दहेज की वजह से बेटियों की शादियां भी नहीं हो पाती हैं. हेडमास्टर द्वारा देहज ना लेने का ये पहला मामला है. उन्होंने वहां के लोगों के बीच एक नजीर पेश की है.

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