लोगों ने पिता से कहा कि बेटी हो तो अबॉर्शन करवा देना, तीन बेटियों ने IAS अधिकारी बनकर किया परिवार का नाम रोशन

लोगों ने पिता से कहा कि बेटी हो तो अबॉर्शन करवा देना, तीन बेटियों ने IAS अधिकारी बनकर किया परिवार का नाम रोशन

बेटियां बोझ नहीं होती। अगर इनके सपनों को उड़ान मिल जाए तो ये बदलते समाज की सोच बन जाती है और कुछ ऐसा कर जाती है जो समाज को उनके संकीर्ण मानसिकता का आइना दिखा जाता है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसमें एक पिता को अपनी पांच बेटियों पर नाज़ है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की फरीदपुर तहसील के रहने वाले चंद्रसेन सागर और मीना देवी के घर पहली संतान के रूप में बेटी का जन्म हुआ, नाम रखा गया अर्जित सागर। उसके बाद चार और बेटियों ने जन्म लिया और छठे नंबर पर बेटे ने जन्म लिया।

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चंद्रसेन सागर ने अपने दूरदर्शी एवं आधुनिक सोच का परिचय देते हुए अपने सभी संतानो को अच्छी शिक्षा दिलाई एवं उन्हे समाज के ताने से लड़ने का साहस भी दिया। इनके प्रगतिशील विचारों को समाजिक अवहेलना भी झेलना पड़ा लेकिन उनकी बेटियों ने इन ताने को सच कर दिया. और एक के बाद एक बेटी ने सफलता के नये आयाम गढ दिए। कभी राजनेताओं का परिवार कहलाने वाला चंद्रसेन का परिवार आज अफसर वाला परिवार बन गया है।

बेटियों पर लोग मारते थे ताना लेकिन पिता ने दिया साथ

चंद्रसेन के घर जब बेटियों का जन्म हुआ तो पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. कुछ मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जब चंद्रसेन के घर लगातार बेटियां हुईं तो कुछ लोगों ने अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दी. लोगों ने कहा कि बेटी का पता लगते ही अबॉर्शन करा दो, नहीं तो झेल जाओगे. वो कहते हैं कि उस समय अल्ट्रासाउंड करना गैरकानूनी नहीं था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वो बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं समझते थे. वो चाहते थे कि बेटियों को जीवन में इतना सफल बनाना है कि वो परिवार का नाम रोशन कर सकें. जब वो अपनी बेटियों को पढ़ा रहे थे कुछ लोगों ने उन्हें कहा था कि बेटियां कौन सा अधिकारी बन जाएंगी.

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यूपीएससी में पांच में तीन बेटियों सफलता पाकर इतिहास रच दिया. वहीं, बाकि दो बेटियां आईएएस व तीसरी बेटी आईआरएस अधिकारी गई जबकि दो अन्य बेटियां इंजीनियर हैं। बेटी दामाद को मिलाकर इनके परिवार में दो आईएएस, दो आईआरएस व एक आईपीएस है। संभवतया यह यूपी के उन गिने चुके परिवारों में से एक हैं जिसकी तीन बेटियों ने यूपीएससी एग्जाम पास किया हो।

इन बेटियों ने हासिल की यूपीएससी परीक्षा में सफलता

अर्जित सागर, आईआरएस, यूपीएससी 2009

चंद्रसेन सागर की बड़ी बेटी अर्जित सागर ने साल 2009 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और आईआरएस अधिकारी बनी। वर्तमान में अर्जित सागर ज्वाइंट कमिश्नर कस्टम मुम्बई में पोस्टेड हैं। अर्जित की शादी आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के आईआरएस अधिकारी सुरेश मेरुगु से हुई है।

अर्पित सागर, आईएएस, यूपीएससी 2015

साल 2015 में दूसरे नंबर की बेटी अर्पित सागर ने दूसरे प्रयास में आइएएस क्रैक किया। गुजरात कैडर की आईएएस अर्पित वर्तमान में बलसाड में डीडीओ तैनात हैं। अर्पित की शादी भिलाई छत्तीसगढ़ के बैंककर्मी विपुल तिवारी से हुई है।

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आकृति सागर, आईएएस, यूपीएससी 2016

अपने बड़ी बहनों के नक्शे कदम पर चलती हुई चंद्रसेन सागर जी की सबसे छोटी बेटी आकृति सागर ने भी यूपीएससी की राह पकड़ी। वर्ष 2016 में आकृति सागर ने अपने दूसरे प्रयास में कामयाबी हासिल कर ली। वर्तमान में आईएएस आकृति सागर दिल्ली जल बोर्ड की डायरेक्टर के रूप में सेवाएं दे रही हैं। आकृति सागर की शादी बागपत यूपी के रहने वाले आईपीएस सुधांशु धामा से हुई है।

आईपीएस मामा से मिली प्रेरणा

चंद्रसेन की बेटियां बताती है कि उन्हें यूपीएससी की तैयारी करके अफसर बनने की प्रेरणा अपने मामा अनिल कुमार से मिली जो 1995 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों में मामा अनिल कुमार ने इन्हें काफी गाइड किया। आईआरएस अर्जित कहती हैं कि “मैं अपने परिवार में सबसे बड़ी हूं इसलिए मैंने अपने कॉलेज टाइम में ही तय कर लिया था कि मुझे कुछ ऐसा करना है जिससे मैं छोटे भाई-बहनों के सामने एक उदाहरण पेश कर सकूं।

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यूपीएससी परीक्षा काफी कठिन होती है तो शुरुआत में मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी. लेकिन मेहनत और लगन होने की वजह से मुझे सफलता मिल गई. और आईआरएस अधिकारी बन गईं. मुझसे छोटी बहन मेरे रिजल्ट आने के बाद मुझसे बहुत प्रभावित हुई. उसने एमबीए किया हुआ था लेकिन जब मैंने उसे जॉब छोड़कर यूपीएससी तैयारी की सलाह दी। तब उसने तैयारी शुरु कर दी और आज वो आईएएस अधिकारी है।”

आइएएस अर्पित सागर कहती हैं कि “पांच बेटियां होने पर माता-पिता को ताने सुनने को मिलते थे। यूपीएससी की तैयारी की वजह से बहनों की शादी काफी देर से हुई. इस बीच लोग हमारी शादी, दहेज को लेकर बातें सुनाया करते थे। ये सब सुनकर मां मायूस हो जाती थीं, मगर उन्होंने हमें सिखाया कि लोगों के ताने बंद करने का इकलौता जरिया शिक्षा है। सभी बहनें खूब पढ़ो और कामयाब हो जाओ। हमने यही करके दिखाया। नतीजा ये है कि जो लोग ताने मारते थे वो ही अब गर्व करते हैं।”

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