ट्रेन हादसे में ATS जवान ने गवाएं दोनों पैर, 6 महीने डिप्रेशन में रहा और अब रोज 35km का सफर कर करते हैं ड्यूटी

ट्रेन हादसे में ATS जवान ने गवाएं दोनों पैर, 6 महीने डिप्रेशन में रहा और अब रोज 35km का सफर कर करते हैं ड्यूटी

भारतीय जवानों में साहस,शौर्य और अदम्यता की कोई कमी नहीं होती है। वो हर वक्त देश पर मर मिटने को तैयार रहते हैं। वे हादसों से घबरा कर अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटते हैं बल्कि उन हादसों का मजबूत इरादे से सामना कर राष्ट्र की सेवा में पुनः जुड़ जाते हैं। एक हादसे में अपने दोनों पैर गवां देने के बाद भी अपना हौसला बनाए रखने वाले एक ऐसे ही जाबांज अभिषेक निर्मलकर हैं। पैर से विकलांग होने के बाद भी उनकी देशभक्ति का जज़्बा कम नहीं हुआ और वे फिर से अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए ड्यूटी पर आ गए। आइए जानते हैं अभिषेक निर्मलकर के बारे में

ट्रेन हादसे में गंवाए दोनों पैर

अभिषेक निर्मलकर मध्य प्रदेश के भिलाई के रहने वाले हैं. भिलाई में वो अपने परिवार के साथ रहते हैं. जिस दौरान उनके साथ हादसा हुआ उस समय अभिषेक निर्मलकर ATS ( एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) में कार्यरत थे और और हर रोज भिलाई से रायपुर जाया करते थे। एक बार दानापुर एक्सप्रेस से घर जाने के लिए वे निकले और ट्रेन की गेट पर खड़े हुए थे कि अचानक बोगी में धक्का-मुक्की शुरू हो गई और वह नीचे गिर गए।

ट्रेन हादसे में ATS जवान ने गवाएं दोनों पैर, 6 महीने डिप्रेशन में रहा और अब रोज 35km का सफर कर करते हैं ड्यूटी 1

जब होश आया उन्होंने खुद को अस्पताल में पाया। उनका एक पैर कट चुका था और दूसरा पैर भी बुरी तरह से प्रभावित हो गया था। डॉक्टर ने कहा कि दूसरा पैर भी काटना पड़ेगा। वे अत्यधिक पीड़ा से गुजर रहे थे। अगले दिन उनका दूसरा पैर भी काट दिया गया। इस हादसे के बाद अभिषेक डिप्रेशन का शिकार हो गए थे लेकिन उनकी पत्नी और उनके घर वालों ने उनका साथ दिया और उन्हें प्रेरित किया। उनके बुजुर्ग पिताजी ने भी उनका भरपूर सहयोग किया।

पत्नी और पिता ने बढ़ाया हौसला

अभिषेक की पत्नी को शुरुआत में ये नहीं बताया गया था कि दोनों पैरों से विकलांग हो गए हैं. उन्हें बताया गया था कि सिर्फ मामूली सी चोट आई है। 10-15 दिन बाद उन्हें पता चला कि अभिषेक के दोनों पैर कट गए हैं तो वो फूट फूट कर रोने लगी. लेकिन पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए जल्दी ही खुद को संभाला . अभिषेक ने एक साक्षात्कार में बताया है कि पत्नी ने मुझे भरोसा दिलाया था कि वो उनका पूरा ख्याल रखेगी.

ट्रेन हादसे में ATS जवान ने गवाएं दोनों पैर, 6 महीने डिप्रेशन में रहा और अब रोज 35km का सफर कर करते हैं ड्यूटी 2

वहीं, बुजुर्ग पिता ने भी हिम्मत नहीं हारी. अभिषेक के पिता रोज जीने की और आगे बढ़ने की उम्मीद दिखाते थे। वो कहते हैं कि वो करीब एक महीने तक एम्स रायपुर में भर्ती रहे। फिर थोड़ी राहत मिलने के बाद घर चले गए। तब बिस्तर में रहा। उन्हें अपनी डेढ़ साल की बेटी अभिख्या और 7 साल के बेटे अभिमन्यु को देखकर बहुत दुख होता था। वो कहते हैं कि दोनों पैरों के ना होने की वजह से उन्हें मैं गोद में भी उठा नहीं पता था, लेकिन उन्हीं की वजह से मुझे हौसला भी मिला कि दोनों बच्चो के लिए बहुत कुछ करना है।

कृत्रिम पैरों के सहारे फिर ज्वाइन की नौकरी

इस हादसे के बाद ही हिम्मत न हारते हुए अभिषेक ने कृत्रिम पैरों के सहारे चलने का अभ्यास शुरू किया। 6 महीने तक उन्होंने गिरते पड़ते और संभलतते हुए कृत्रिम पैरों के सहारे चलना सीख लिया। एटीएस के अधिकारियों ने भी उनका सहयोग किया और उन्हें वापस ड्यूटी पर जॉइन करने की इजाजत दे दी। अब अभिषेक मोटरसाइकिल चलाकर ड्यूटी पर जाते हैं और वह मोपेड चलाने का भी अभ्यास कर रहे हैं। ऐसे जाबांज जवानों को पूरे भारतवर्ष का सलाम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *