शिवलिंग पर फूल-पत्तियां अर्पित करने का है विशेष महत्व, इसे चढ़ाने से नहीं पड़ेगा कोई ग्रह दोष

शिवलिंग पर फूल-पत्तियां अर्पित करने का है विशेष महत्व, इसे चढ़ाने से नहीं पड़ेगा कोई ग्रह दोष

ज्योतिष विज्ञान में नौ ग्रह बताए गए हैं. इन नौ ग्रहों का अपना अलग-अलग महत्व होता है. कुछ ग्रह बहुत शुभ माने जाते हैं, लेकिन कुछ ग्रहों को बहुत अाक्रामक माना जाता है. इन ग्रहों का असर हमारी आम जिंदगी में भी पड़ता रहता है. अगर ग्रहों का योग सही बनता है तो हमारें जीवन में भी खुशियां आती है वहीं ग्रहों की विपरीत परिस्थिति बनने पर हमारे जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में बताए गए नौ ग्रहों में शनि, राहु-केतु ग्रहों को क्रोध से भरे और आक्रामक ग्रह माना जाता है. इन ग्रहों का दिशा जब किसी शख्स पर पड़ती है तो उसके शुभ योग का असर खत्म हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शंकर भगवान की पूजा करनी चाहिए.

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शिवपुराण में बताया गया है कि अगर इन ग्रहों के दुष्प्रभाव के दौरान अगर भगवान शंकर की पूजा फूल-पत्तियों से की जाए तो अच्छा ग्रहों का बुरा प्रभाव अच्छे प्रभाव में बदल जाता है.  अगर इन ग्रहों के प्रभाव के कम करना हो तो  बिल्व पत्र के साथ शमी के पत्तों को भी शिवलिंग में सच्ची श्रद्धा से अर्पित करना चाहिए. शमी के पत्ते ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण बताए गए हैं. घर में शमी का पेड़ लगाने से शनि, राहु-केतु ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है. इस पेड़ को पूजनीय और पवित्र माना गया है. इस पेड़ के पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने पर सौभाग्य की मनोकामना भी पूरी हो जाती है.

इस मंत्र के साथ शमी के पत्तों को शिवलिंग पर अर्पित

शमी के पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए रोज सुबह भगवान शंकर के मंदिर में जाएं और तांबे में गंगाजल या फिर नल का साफ पानी ले लें. अगर गंगाजल मिल रहा है तो बहुत ही अच्छा है नहीं तो साफ पानी के साथ चावल, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर ऊं नम:  शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पित करें. इसके बाद शिवलिंग पर चावल, बिल्वपत्र, जनेऊ और मिठाई के साथ शमी के पत्तों को चढ़ाएं. शमी के पत्ते चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करते रहें…

अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।

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शमी पत्र चढ़ाने के बाद शिवजी की धूप,दीप और कपूर से पूजा करें. पूजा करने के बाद जो प्रसाद बचे उसे ग्रहण करें. अगर आप ऐसा करेंगे तो बहुत जल्द ही आपके शनि, राहु-केतु के दोष दूर हो जाएंगे. इसके साथ ही आपके सारे कष्ट भी दूर हो जाएंगे.

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