कैसे बनते हैंं IAS, IPS और IFS अधिकारी, किसके पास होती हैं ज्यादा पावर, जानेंं सबकुछ
Union Public service Commission (upsc) को देश की सबसे कठिन परीक्षा कहा जाता है। यूपीएससी परीक्षा को पास करना हर स्टूडेंट का सपना होता है जिसके लिए वे रात दिन मेहनत करते रहते हैं। इस परीक्षा में सफलता हासिल करना इतना आसान नहीं है. लेकिन कड़ी मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी की जाए तो यूपीएससी परीक्षा पास की जा सकती है. हर साल लाखों अभ्यर्थियों में महज 700-800 छात्रों को ही अधिकारी बनकर देश की सेवा करने का मौका मिल पाता है.
इन अधिकारियों की सूची में सबसे अच्छी रैंक लाने वाले अभ्यर्थियों को आईएएस अधिकारी बनने का मौका मिलता है. वहीं रैंक के आधार पर अधिकारी के पद पर सिविल सेवा करने का अवसर मिलता रहता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि यूपीएससी परीक्षा की पूरी प्रक्रिया है और किन अभ्यर्थियों को आईएएस, आईपीएस और अन्य पदों पर सेवा देने का मौका कैसे मिलता है.
क्या है (यूपीएससी) संघ लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की स्थापना 1 अक्टूबर 1926 को हुई थी। यूपीएससी का मुख्यालय दिल्ली में है। हर साल ये संस्था देशभर में सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करवाती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) भारतीय राजस्व सेवा (IRS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) जैसे कई बड़े पदों पर भर्ती किये जाते हैं.
बता दें कि सबसे ज्यादा लोकप्रिय पद जो हमेशा चर्चा का विषय बने रहते है वो (IAS) भारतीय पुलिस सेवा और (IPS) भारतीय राज्स्व सेवा पद है. आपको बता दें कि यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले छात्रों को देश के सबसे ऊंचे और बड़े पद पर देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त करता है। यूपीएससी के एग्जाम में टॉप लिस्ट में आने वाले छात्रों को ज्यादातर IAS और IPS के पद के लिए चुना जाता है। इसके अलावा कैंडिडेट के शैक्षिक स्तर के आधार पर भी पदों का निर्धारण किया जाता है
कैसे बनते हैंं IAS, IPS और IFS अधिकारी
IPS और IAS दोनो पदों पर चयन के लिए कैंडिडेट को UPSC के एग्जाम को पास करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. बता दें कि कैंडिडेट के लिए पहला कदम परीक्षा का आवेदन करना होता है. इसके बाद यूपीएससी परीक्षा पास करना होता है. अभ्यर्थियों की रैंक के आधार पर उन्हें पद निर्धारित किए जाते हैं. इसके बाद उन्हें पद के आधार पर देश की अलग अलग संस्थाओं पर प्रशिक्षण के लिए भेज दिया जाता है. UPSC परीक्षा पास करने वाले छात्रों को (IAS) भारतीय प्रशासनिक सेवा पद की वजह से देश की और आम जनता की सेवा करने का मौका प्राप्त होता है बता दें कि, आईएएस ऑफिसर्स अलग-अलग मंत्रालयों और प्रशासन के विभागों में नियुक्त किए जाते हैं।
देश की नीतियां बनाने में योगदान देते हैं IAS अधिकारी
प्रधानमंत्री कार्यालय में कैबिनेट सचिव का पद आईएएस अधिकारी के लिए सर्वोच्चतम माना जाता है. इसके बाद केंद्र सेवाओं में ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ की सर्विसेज आती है।
आईएएस अफसर संसद में बनने वाले कानून को उन सभी विभागों में जारी करते है जो उनके अंतर्गत आते है. हालांकि वो नई नीतियां और कानून बनाने में अहम हिस्सा होता है। आपको बता दें कि, आईएएस अधिकारी कैबिनेट सेक्रेटरी और अंडर सेकेट्री भी बन सकते है।
पुलिस सेवाओं में जिला या राज्यस्तर पर IPS अधिकारी को प्रमुख
UPSC एग्जाम पास करने वाले छात्रों को (IPS) भारतीय प्रशासनिक सेवा पद की वजह से देश की और आम जनता की सेवा करने का मौका प्राप्त होता है। आईपीएस अफसर को किसी जेल या क्षेत्र का पुलिस प्रमुख बनाया जाता है, साथ ही अफसर के अंतर्गत जितने क्षेत्र आते है उन क्षेत्र से जुड़ी हर कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है। आईपीएस अधिकारी को सीबीआई, रॉ, और आईबी अर्धसैनिक बलों जैसे असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी जैसे रणनीतिक खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदारी सौपीं जाती है। एक आईपीएस अधिकारी अपने करियर को एएसपी के रूप में एक राज्य सरकार की सेवा में एक प्रोबेशनरी अधिकारी के तौर पर शुरू करता है।
क्या हैं IAS और IPS अधिकारियों की शक्तियां
दोनों ही पद बहुत पावरफुल है। एक IAS अफसर की पावर ज्यादा होती है। लेकिन, एक IPS के पास सिर्फ अपने अंतर्गत आने वाले विभाग की जिम्मेदारी होती है। एक आईएस के पास जिले के सभी विभाग की जिम्मेदारी होती है। वह जिला अधिकारी के रूप में पुलिस विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है। डिस्ट्रिक्ट की पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी भी जिला अफसर के पास ही होती है।
शहर में curfew, धारा 144 इत्यादि Law and Order से जुड़े सभी Decision DM ही लेता है। भीड़ पर कार्रवाई करने या फायरिंग जैसे आर्डर भी DM दे सकता है। वहीं IPS इस तरह के आर्डर नहीं दे सकता। इतना ही नहीं पुलिस ऑफिसर के तबादले के लिए भी DM के अप्रूवल की आवश्यकता होती है।