Balvantray Kalyanji Parekh : प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले शख्स ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी, जानिए कैसे
Balvantray Kalyanji Parekh : ‘ये फेविकोल का जोड़ है साहब, इतनी आसानी से टूटेगा नहीं’, ये लाइंस हम बचपन से ही सुनते चले आ रहे हैं। फेविकोल का विज्ञापन हर टीवी, अखबार और रेडियो में सुनने और देखने को मिल जाता है। फेविकोल ने अपनी मजबूत पकड़ के साथ लोगों के दिल और दिमाग में भी मजबूती से अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है। पिछले कई दशकों से फेविकोल ने अपनी जगह आज भी नंबर एक पर बरकरार रखी है। लेकिन क्या आपको पता है कि, इस फेविकोल के मजबूत जोड़ के पीछे कितनी ज्यादा मेहनत और संघर्ष छुपा हुआ है।
पिछले कई दशकों से लोगों के बीच अपनी पहचान फेविकोल ने बड़ी ही मजबूती के साथ बनाई है। बलवंत पारेख वही शख्स हैं, जिन्होंने पिडिलाईट कंपनी की स्थापना की, जो फेविकोल बनाती है। बलवंत पारेख ने ग्राहकों के बीच कैसे बनाई फेविकोल की पहचान और कैसे बने संघर्ष से एक हजार करोड़ के मालिक, आइये जानते हैं।
कौन हैं (Balvantray Kalyanji Parekh) बलवंत पारेख
गुजरात के भावनगर जिले के रहने वाले बलवंत पारेख का जन्म साल 1925 में हुआ था। उनके गांव का नाम महुवा था। बलवंत की स्कूली शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपने गांव के ही एक स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की।
बलवंत पारेख हमेशा से ही एक बड़े बिजनेसमैन बनना चाहते थे। लेकिन उनका परिवार उन्हें वकालत करते हुए देखना चाहता था। इसलिए उनका एडमिशन मुंबई के एक सरकारी लॉ कॉलेज में करवा दिया गया।
प्रिंटिंग प्रेस के बाद कैसे बने चपरासी
बलवंत पारेख ने वकालत की पढाई तो पूरी की लेकिन, वो वकील नहीं बनना चाहते थे। सपनों को जीने के लिए परिवार की तरफ से आर्थिक मदद नहीं मिली तो प्रिंटिंग प्रेस में कम करना शुरू किया। लेकिन कुछ दिन बाद वो नौकरी छोड़कर एक लकड़ी के व्यापारी के यहां चपरासी का काम करने लगे। जहाँ बलवंत को बिजनेस के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला।
फेविकोल बनाने का सफर
जब बलवंत चपरासी का काम करते थे तो उन्होंने कर्मचारियों को लकड़ी जोड़ने के लिए चर्बी का इस्तेमाल करते हुए देखा। जिसमें काफी मेहनत लगती है। बलवंत की मानें तो उन्हें इसकी बदबू भी बर्दाश्त नहीं थी।
जिसके बाद उनके दिमाग में एक खुशबूदार सिंथेटिक रसायन के साथ गोंद बनाने का ख्याल आया। जिसके बाद उन्होंने साल 1959 में पिडिलाईट कंपनी की स्थापना की। और उसके बाद उन्होंने देश को एक खुशबूदार फेविकोल दिया।
ऐसे बलवंत बने करोड़ों के मालिक
बलवंत पारेख ने फेविकोल बनाने के लिए काफी संघर्ष किया है। जिसके बाद उनके फेविकोल ने पूरे देश में अपनी पहचान बना ली। फेविकोल की लोकप्रियता के बाद उनकी कंपनी ने फेवी क्विक के साथ एम सील जैसे 200 से भी ज्यादा प्रोडक्ट तैयार किये। आज बलवंत पारेख की पिडिलाईट कंपनी एक इंटरनेशनल ब्रांड बन चुकी है। उनकी सम्पत्ति एक हजार करोड़ से भी ज्यादा की है। हालांकि साल 2013 की 25 जनवरी को उन्होंने इस इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी इस कंपनी की जिम्मेदारी उनके बड़े बेटे मधुकर पारेख बखूबी निभा रहे हैं।