Investing in Bitcoin : बिटकॉइन में करने जा रहे हैं निवेश तो इसके फायदे और नुकसान के बारे में जान लीजिए, आर्टिकल पढ़ें
Investing in Bitcoin : डिजिटल दौर में क्रिप्टोकरंसी में लोग खूब इंवेस्ट कर रहे हैं। भारत में भी लोगों ने जमकर खरीददारी की, लेकिन बाद में भारत सरकार ने कई तरह के नियम-क़ानून लगा दिए। आज हम आपको बताएंगे कि क्रिप्टोकरेंसी कितनी सेफ है। ज़्यादातर लोगों का सवाल होता है कि बिटकॉइन में निवेश करना कितना सुरक्षित रहता है। लोगों का सवाल इसके उतार-चढ़ाव को लेकर नहीं बल्कि इसकी सिक्योरिटी के लेकर रहता है। 2009 में लांच हुई ये क्रिप्टोकरेंसी दुनिया की सबसे लोकप्रिय करेंसी है। जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर चलती है। हम आपको इसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में बताने जा रहे हैं।
ब्लॉकचेन दुनियाभर की क्रिप्टोकरेंसी का डेटाबेस है
ब्लॉकचेन डिजिटल मनी ट्रांजेक्शन के रूप में बिटकॉइन और इथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा है। ये दुनिया भर में सभी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी है और ये दुनियाभर में सभी क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन का डेटाबेस है।
इसका इस्तेमाल मेडिकल रिकॉर्ड जैसे डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। ये तकनीक एक ऐसे बहीखाते की तरह है जो डिजिटल है और सभी के लिए खुला है। ये ट्रांजेक्शन करने और रिकॉर्ड करने के लिए सुरक्षित प्लेटफार्म है। ये जानकारी टाइम-स्टैम्प्ड होती है।
ब्लॉकचेन के सीक्वेंस को बदला नहीं जा सकता
ब्लॉकचेन तकनीक कई सारे ब्लॉक की एक सीरीज़ है जो डेटा स्टोर करती है। हर ब्लॉक में एक यूनिक हैश नंबर होता है एक लिंक होता है जो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ता रहता है। सभी ब्लॉक सीक्वेंस का एक हिस्सा होता है। महत्वपूर्ण बात इसको बदला नहीं जा सकता। मतलब बदली न जा सकने वाली क्षमता ब्लॉकचेन में सुरक्षा का काम करती है बिल्कुल एक नींव की तरह। सभी ब्लॉकचेन ट्रांजेक्शन क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित हैं और हर ब्लॉकचेन में एक यूनिक चाभी होती है जिसे पब्लिक KEY से सत्यापित किया जा सकता है। अगर ट्रांजेक्शन से संबंधित डेटा में कुछ भी बदला जाता है तो ब्लॉक की यूनिक KEY मान्य नहीं रहती। मतलब ब्लॉक को चेन से हटा दिया जाता है।
ब्लॉकचेन को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता
बिटकॉइन एक बार चेन पर बनाए गए ब्लॉक को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता, अगर आप इसमें जानकारी जोड़ते हैं तो ये लोगों पहले से हो चुके किसी ट्रांजेक्शन को रिवर्स करने से रोकता है। उपभोक्ता की गुमनामी के बाद भी नेटवर्क पर सभी ट्रांजेक्शन लोगों के लिए एक्सेसिबल हैं। जिसकी वजह से हैक करना मुश्किल हो जाता है।