भारत के भू-भाग का निर्माण कैसे हुआ
भारत के निर्माण की कहानी करीब 20 करोड़ साल पुरानी है. आज से करीब 20 करोड़ साल पहले हमारी धरती पर दिखने वाले महाद्वीप नहीं थे .उस वक्त हमारी धरती पर सिर्फ एक महाद्वीप यमाहाखंड हुआ करता था. जिसे बाद में पैंजिया नाम दिया गया. इस महाद्वीप के चारों ओर सिर्फ एक महासागर पैथालासा नाम से था . आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के सभी महाद्वीप इसी महाखंड से अलग होकर बने हैं.महाखंड की थ्योरी को बताने वाले अल्फ्रेड वैगनर थे वहीं उनका ये भी मानना था कि उस महाखंड में लगभग उसी दौरान रेंगने वाले जीवों का विकास भी हुआ.खैर आज जो हम पूरी पृथ्वी में जितने भी महाद्वीप देखते हैं उनका विकास इस महाखंड की प्लेट के खिसकने और टूटने के कारण हुआ. लाखों सालों में होने वाले इन बदलावों को आसानी से नहीं समझा जा सकता है.
वैज्ञानिक अल्फ्रेड की थ्योरी के मुताबिक पैंजिया महाद्वीप सबसे पहले दो मुख्य भागों में बंट गया.इसमें जो उत्तरी हिस्सा था उसे लारेंस और दक्षिणी हिस्से को गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाने लगा.जिस पैंजिया महाद्वीप के उत्तरी हिस्से से लारेंस महाद्वीप अलग हुआ वहीं आज के समय में एशिया, उत्तर अमेरिका और यूरोप जैसे महाद्वीप का निर्माण हुआ.वहीं पैंजिया के दक्षिणी हिस्से के गोंडवाना लैंड से आज के समय के साउथ अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्टिका जैसे महाद्वीप बने.
अब बात भारत की. आज हमारा देेश भले ही एशिया महाद्वीप का हिस्सा हो लेकिन जिस समय विश्व के महाद्वीप का निर्माण हो रहा था उस समय भारत का कुछ हिस्सा गोंडवाना लैंड का ही भाग था. उस दौरान भारत और अफ्रीका एक ही अंदरोनी प्लेट से सटे थे लेकिन धीरे धीरे प्लेट्स के सरकने से भारत अपनी जगह से खिसकता गया और ये एशिया भूभाग में आ गया.
जहां इसने चीन की सीमा से सटे लद्दाख वाले हिस्से में स्थित क्षेत्र में टकराव हुआ. पृथ्वी की जमीनी सतह की टक्कर इतनी जबरदस्त थी की हिमालय जैसे विशालकाय पहाड़ को जन्म दे दिया. और यहीं से भारत की भौगोलिक संरचना का विस्तार शुरू हो गया.