दाम में अस्थिरता के कारण क्या प्याज हो सकता है महंगा
प्याज के दामों में आए दिन उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. पिछले महीने प्याज की कीमत में काफी उछाल देखने को मिला . प्याज के दाम में उतार-चढाव के चलते इसमें अस्थिरता देखने को मिलती रहती है. इसके दामों में उतार-चढ़ाव काफी हद तक हर मौसम में बना ही रहता है.
महाराष्ट्र में देश की सबसे बड़ी थोक बाजार ‘लासलगांव कृषि उत्पादन बाजार समिति’ में अक्टूबर के दौरान करीब 22-23 रुपए प्रति किलों प्याज था. वहीं, दिल्ली की बाजार में तो प्याज की कीमत 40 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई. बता दें कि, 2015 में प्याज की कीमत में बढोतरी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को सरकारी दुकानों के जरिए आम लोगों को सस्ते दाम में प्याज मुहैया कराने का सुझाव दिया था.
30 जून को आई केंद्र सरकार की रिपोर्ट में प्याज उत्पादन में भी कमी आई है. इस अनुमान के अनुसार गत वर्ष देश में मात्र 22 मिलियन टन ही प्याज होने की संभावना है.वहीं, 2016-17 में प्याज 22.4 मिलियन टन हुआ था. इन आकड़ों से समझा जा सकता है कि इस साल प्याज की किल्लत बढ़ने ही वाली है.
प्याज की इस किल्लत पर लासलगांव बाजार के व्यापारियों का मानना है कि महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में इस साल सूखे जैसी स्थिति रही है. प्रदेश में सूखे के चलते खरीफ की फसल कम होने की आशंका है. हालांकि, व्यापारियों का मानना है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश से प्याज का अधिक आयात होने से दाम में कमी हो हो सकती है.
भारत में प्याज की कीमत बहुत अस्थिर है. पिछले कुछ वर्षों में प्याज का उत्पादन बढ़ने के बावजूद भी देश में प्याज के दामों में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. कुछ कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज के उत्पादन में उतार-चढ़ाव और बाजार में मांग की प्रकृति में बदलाव इसकी मुख्य वजह है. कृषि विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि 2002-2003 में प्याज उत्पादन जहां 5.5 मिलियन टन हुआ करता था, आज देश में उत्पादन क्षमता बढ़कर 20 मिलियन टन हो गई है.इसके साथ ही देश में प्याज के अलावा कोई ऐसी फसल नहीं है जिसमें इतनी वृद्धि हुई हो. लेकिन मांग की दर ज्यादा बढ़ने से प्याज के दाम में बढ़ोतरी की संभावना है.