Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home/u410788667/domains/independentnews.in/public_html/wp-content/plugins/wp-rocket/inc/vendors/ip_in_range.php on line 108
गर्मियों में मस्तिक से जुड़ी समस्याओं में बढ़ोतरी की जड़ क्या है ? - INDEPENDENT NEWS

गर्मियों में मस्तिक से जुड़ी समस्याओं में बढ़ोतरी की जड़ क्या है ?

गर्मियों में मस्तिक से जुड़ी समस्याओं में बढ़ोतरी की जड़ क्या है ?

विश्व के हम किसी भी कोने में रहें मौसम के प्रभाव से हम बच नहीं सकते हैं. मौसम के प्रभाव को हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस करते हैं. मौसम का प्रभाव हमारी पूरी शारीरिक प्रक्रिया में भी पूरी तरह से असर डालता है. हाल ही में पीएनएएस जनरल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक महीने भर में हल्की सी तापमान में बढ़ोतरी हमारे मस्तिक में असर डालती है. जिससे हमें मस्तिक से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

Brain-pressure-symptoms-Signs-of-intracranial-hypertension-independent_news

अगर 5 सालों में 1 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी होती है तो ये मस्तिक से जुड़ी कई समस्याओं को जन्म देता है. इस रिसर्च से जुड़े निक ओबरैडोविच कहते हैं कि तापमान के बढ़ने से मस्तिक की समस्याएँ सामने क्यों आती है अभी तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.लेकिन उनका इस बारे में मानना है कि तापमान के बढ़ने से हमें सबसे ज्यादा दिक्कत सोने में होती है. नींद पूरी ना होने के चलते शायद मस्तिक से जुड़ी समस्याएं ज्यादा सामने आती है.

survival-skill-featured-image_independent_news

हालांकि, उनका मानना है कि इस बारे में अभी रिसर्च होनी चाहिए कि आखिर किन कारणों की वजह से वातावरण का तापमान बढ़ने से लोगों की मस्तिक की समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती हैं. इस रिसर्च में उन्होंने ये भी पाया की तापमान बढ़ने के चलते लोगों को मस्तिक में तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी समस्याएं सामने उभर कर आती है.जिसके चलते कई लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ तक धोना पड़ा है.

rise_in_temperature_independent_news

बता दें,  ये रिसर्च 20 लाख लोगों के डाटा को निकालकर की गई है. इसके साथ ही इस रिसर्च में मौसम विभाग की मदद भी ली गई है जिससे की 1850 से 1900 के दशक के डाटा और 2000 से 2012 तक के डाटा को लेकर की गई है. वही शोधकर्ता निक ओबरैडोविच का इस रिसर्च के बारे में ये भी मानना है कि इस रिसर्च को कई अन्य पहलुओं में भी करने की जरूरत है

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *