IAS Rukmani Riar : 6वीं क्लास में फेल होने के बाद हुई डिप्रेशन का शिकार, हौसले और जुनून से दूसरी रैंक हासिल कर बनी यूपीएससी टॉपर

IAS Rukmani Riar : 6वीं क्लास में फेल होने के बाद हुई डिप्रेशन का शिकार, हौसले और जुनून से दूसरी रैंक हासिल कर बनी यूपीएससी टॉपर

IAS Rukmani Riar : हौसला है तो मंजिल है और मेहनत है तो मुकाम है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के बारे में कहा जाता है कि यह परीक्षा वे ही क्लियर कर पाते हैं जो बचपन से ही मेधावी होते हैं। लेकिन इस बात को पंजाब की रुक्मणि रायर ने गलत साबित कर दिखाया है।

रुक्मणि रायर ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2019 में दूसरी रैंक पाकर ना केवल अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा किया बल्कि उनके लिए मिसाल पेश की जो असफलताओं से घबराकर प्रयास करना छोड़ देते हैं। कमाल की बात ये भी है कि इस कठिन परीक्षा को उन्होंने पहले ही प्रयास में पास कर लिया. आइए जानते हैं कैसे रुक्मणि रायर ने इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.

कौन है (IAS Rukmani Riar) रुक्मणि रायर?

पंजाब के गुरदासपुर जिले में रुक्मणि का जन्म एक मीडिल क्लास फैमिली (IAS Rukmani Riar family) में हुआ। उनके पिता का नाम बलजिंदर सिंह रायर और माता का नाम तकदीर कौर है. पिता बलजिंदर सिंह एक रिटायर्ड डेप्यूटी डिस्ट्रिक अटॉर्नी हैं और माँ तकदीर कौर गृहणी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुरदासपुर में ही की. इसके बाद उन्हें चौथी कक्षा में बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया।

रुक्मणि ने एक साक्षात्कार में बताया है कि प्राइमरी स्कूल में जब वो पढ़ाई कर रही थी तो वो ठीक थीं लेकिन उन्हें जब बोर्डिंग स्कूल भेजा गया तो वो घर से दूर रहने का प्रेशर झेल नहीं पाई थी. इस कारण 6वीं क्लास में वो फेल हो गई थी। 6वीं क्लास में फेल होने के बाद उन्हें अपने परिवार के सामने काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा.

IAS Rukmani Riar : 6वीं क्लास में फेल होने के बाद हुई डिप्रेशन का शिकार, हौसले और जुनून से दूसरी रैंक हासिल कर बनी यूपीएससी टॉपर 1

वो कहती हैं कि जब वो फेल हुई थी तो बहुत रोई थी. एक तो वो परिवार से बहुत दूर थीं और फिर परीक्षा में फेल होने के बाद वो डिप्रेशन का शिकार हो गईं. वो टीचर और परिजनों के सामने जाने से कतराने लगी थीं. लेकिन धीरे धीरे उन्होंने अपने आपको संभाला और फिर ठान लिया कि इस परीक्षा के बाद से वो कभी फेल नहीं होंगी.

रुक्मणि ने पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई शुरु कर दी. 6वीं कक्षा के बाद वो कभी फेल नहीं हुईं. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने गुरू नानक देव विश्वविद्यालय और अमृतसर से सामाजिक विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यमिता मे मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

योजना आयोग में किया इंटर्नशिप, एनजीओ में भी किया काम

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के बाद रुक्मणि ने योजना आयोग में इंटर्नशिप भी की और कई NGO जैसे आशोदय, मैसूर, अन्नपूर्णा महिला मंडल, मुंबई के साथ भी काम किया। वो बताती हैं कि योजना आयोग से इंटर्नशिप ने उन्हें प्रशानिक कामकाज की हल्की फुल्की समझ दे दी. वहीं, NGO में काम करके उन्हें समाजिक ढांचे के बारे ज्यादा करीब से देखने और समझने को मिला. उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंडेर के साथ सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, नई दिल्ली के साथ भी काम किया। सामाजिक गतिविधियों में वो इतना ज्यादा एक्टिव रहने लगी कि उनका उनको समाजिक समस्याएं नजर आने लगी.

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वो सोचने लगी कि इन समस्याओं को वो आईएएस बनकर हल कर सकती हैं। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करना शुरु कर दिया. उन्होंने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की. वो बताती हैं कि एनसीआरटी की किताबें, समसायिक मुद्दे और करंट अफेयर्स पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई थी. साल 2011 में उनकी मेहनत सफल हो गई. उन्होंने इस परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की. कभी कक्षा छठी में फेल होने वाली रुक्मणि ने अपने पहले प्रयास में ही बिना किसी कोचिंग संस्थान के सिविल सेवा परीक्षा 2011 मे दूसरी रैंक लाकर सबको अचंभित कर दिया। कभी एनजीओ मे रहकर काम करने वाली रुक्मणि अब आईएएस बन समाज सेवा मे तत्पर है।

यूपीएससी की तैयारी के

यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा (IAS Rukmani Riar rank) में दूसरी रैंक हासिल करने वाली रुक्मणि रायर कहती हैं कि इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए आपके अंदर जुनून और लगन का होना बहुत जरूरी है. वो कहती हैं पढ़ाई आपको रेगुलर करनी होगी. रिवीजन पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना होगा. वहीं, NCERT की किताबों को अच्छी तरह से पढ़ना चाहिए। 6 से 12 कक्षा तक की NCERT का अच्छे से अध्ययन करना चाहिए. इसके अलावा बाहर की बुक से मदद लेकर नोट्स बनाने चाहिए।

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अखबार का नियमित अध्ययन आपको करेंट अफेयर से जोड़कर रखेगा। कई किताबें पढ़ने से बेहतर है कि चुनिंदा किताबों का बार-बार अध्ययन किया जाए। माॅक टेस्ट जरूर दें। रूक्मणि का कहना है कि हमें असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए बल्कि असफलताओं से सीख लेते हुए आगे प्रयास जारी रखना चाहिए।

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