Himachal athlete Baksho devi :2 डिग्री के ठंडे तापमान पर बिना जूता चप्पल दौड़ी 17 साल की बेटी, गोल्ड मेडल जीतकर विधवा मां का सपना किया पूरा

Himachal athlete Baksho devi :2 डिग्री के ठंडे तापमान पर बिना जूता चप्पल दौड़ी 17 साल की बेटी, गोल्ड मेडल जीतकर विधवा मां का सपना किया पूरा

Himachal athlete Baksho devi : जैसे हीरा कोयले की खान में पाया जाता है, वैसे ही ‘हुनर’ किसी सुविधा का मोहताज नहीं होता। हुनरमंद लोग अपनी पहचान मुश्किल हालातों में भी बना लेते हैं और अपनी चमक से सब कुछ रोशन कर देते हैं। ऐसे होनहार लोग आपको कहीं भी मिल सकते हैं।

वैसे तो हर किसी की जिंदगी एक जैसी नहीं होती। कई लोग ऐसे भी हैं, जो बुरे हालातों के बीच अपना जीवन जीने को मजबूर होते हैं। हालांकि ऐसा समय बहुत कुछ सिखाता है, साथ ही इंसान की छिपी हुई प्रतिभा को पहचानने का जरिया भी बनता है। आज हम एक होनहार बेटी का जिक्र करने वाले हैं, जिसने अपनी रफ्तार से हर किसी को हैरान कर दिया। हम बात कर रहे हैं बख्शो देवी की।

कौन हैं (Himachal athlete Baksho devi) बख्शो देवी

बख्शो देवी हिमाचल के ऊना की रहने वाली हैं। उनके पिता सालों पहले गुजर गए थे। जिसके बाद मां विमला देवी अपने पिता व बख्शो के नाना दाताराम के घर आकर रहने लगी। बख्शो चार बहनों में सबसे छोटी हैं। बख्शो खेलकूद और पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामकाज में भी माहिर है। बख्शो एक झोपड़ी में रहती हैं और पहनने उड़ने की व्यवस्था भी सीमित है। परिवार आर्थिक तंगी की चपेट में है।

दौड़ में हर किसी को पछाड़ा

हाल ही में ऊना के इंदिरा स्टेडियम में चार दिवसीय युफ़्लेक्स स्टेयर्ज मेले का आयोजन हुआ था। मेले के तीसरे दिन एथलेटिक्स का अंडर-19 मुकाबल हुआ, जिसमें बख्शो देवी ने भी प्रतिभाग किया। 1500 मीटर दौड़ के इस बेहद दिलचस्प मुकाबले में उन्होंने पहला स्थान हासिल कर सबको हैरान कर दिया।

इसी तरह 2015 में भी बिना चप्पल या जूतों के पथरीली जमीन पर 5000 मीटर की दौड़ में बख्शो ने हर किसी को पछाड़ दिया था। उस दौड़ प्रतियोगिता के लिए बख्शो के पास ना तो अच्छे जूते थे और ना ही कोई ड्रेस थी। माइनस 2 डिग्री तापमान में वो स्कूली यूनिफॉर्म पहनकर बिना जूते-चप्पल के ही मैदान में उतर गईं थीं और गोल्ड मेडल जीतकर दिखाया था। बख्शो के पूरे परिवार को अपनी होनहार बेटी पर नाज है। मां विमला देवी कहती हैं कि बेटियों को किसी भी लिहाज से कम नहीं आंकना चाहिए। परिवार के अलावा बख्शो का हुनर आम लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है।

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