Harmful Effects of E-waste : कल्पना कीजिये कि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर मे कुछ ऐसा ई-कचरा (E-waste) डाल देता है जिसे आप न तो बाहर निकाल सकतें है और न ही नष्ट कर सकतें है। कैसी स्थिति होगी आपकी? आज बिल्कुल वैसी ही स्थिति हमारे द्वारा उत्पादित ई-कचरा से हमारी पृथ्वी की हो रोही है इसके लिए कोई बाहरी नही, बल्कि हम सब जिम्मेदार है। आज का युग इलेक्ट्रॉनिक युग है. तरह तरह की इलेक्ट्रॉनिक सुविधाएं हमें उपलब्ध है। इनकी वजह से हमें अपना जीवन बहुत सुविधाजनक लगता है. विकास के इस दौर में इससे उत्पन्न होने वाले ई-कचरा के निस्तारण पर किसी का ध्यान नही जाता है। [the_ad_placement id=”content”]हम जिन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को उपयोग करने के बाद फेंक देते है, उनका कचरा बहुत खतरनाक होता है। यह सैकड़ों वर्षों तक नष्ट नही होता और हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
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देश मे मोबाइल फोन इंडस्ट्री को शुरुआती दिनों में अपने दस लाख ग्राहक जुटाने में करीब 5 से 6 साल लग गए। जिसके बाद अब भारत में मोबाइल फोन्स की संख्या लगभग हमारी आबादी की संख्या के करीब पहुँचने वाली है। ‘इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन‘ नामक एक संस्था द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत, रूस, ब्राजील समेत करीब 10-12 ऐसे देश है, जहां मानव आबादी के मुकाबले मोबाइल फोन्स की संख्या ज्यादा है। रूस में मोबाइल की संख्या वहां की जनसंख्या से 1.5 गुना अधिक है. ब्राजील में ये आकड़ा 1.2 गुना है। मोबाइल की संख्या की बात करें तो भारत ने अमेरिका और रूस को पीछे छोड़ दिया है। तरक्की की दौड़ में सभी एक दूसरे से आगे निकलते नजर आ रहे है लेकिन इससे दुनिया को एक भयानक खतरा भी है, जिसपर अभी किसी का ध्यान नही जा रहा है. वो खतरा है इनसे उपजे इलेक्ट्रॉनिक कचरे (E-waste) का।
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कुछ साल पहले वन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत मे हर वर्ष 8 से 9 लाख टन ई-कचरा (E-waste) उत्पन्न होता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि चीन, दुनिया का सबसे बड़ा ई-कचरा (E-waste) डंपिंग ग्राउंड है, क्योंकि जो टीवी,फ्रिज,ए.सी., मोबाइल आदि समान पूरी दुनिया मे भेजे जाते हैं. कुछ वर्षों बाद चलन से बाहर होकर चीन और भारत लौट आ जाते हैं और यही डम्प कर दिए जाते हैं। अगर हम अपने आस पास देखे तो हम इलेक्ट्रॉनिक समानों से खुद को घिरा पाएंगे, एक तरह से हम इनके गिरफ्त में हैं। हमने खुद को पूरी तरह से इनके हवाले कर दिया है। पहले तो इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों ने हमें सुकून का लालच दिया लेकिन अब ई-कचरा बनकर विकराल समस्या को जन्म दे रहे हैं।
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ई-कचरा (E-waste) हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचा सकता है। इसका अंदाजा एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जिसमें बताया गया कि एक मोबाइल फोन की बैटरी 6 लाख लीटर पानी को प्रदूषित कर सकती है। इसके अलावा एक कम्प्यूटर में 3.7 पौंड घातक सीसा,लेड,मर्करी व कैडमियम जैसे तत्व होतें हैं, जो जलाये जाने या पानी मे घुलने पर सीधे वातावरण को विषैला कर देतें हैं।[the_ad_placement id=”content”]
यदि ये तत्व किसी शख्स के शरीर में प्रवेश कर जाते है तो उस शख्स के साथ उसकी आने वाली नस्लों को भी तबाह कर देते हैं वर्तमान में ये ख़तरा भले ही छोटा दिखाई दे रहा हो लेकिन आने वाले वर्षों में ही ये एक भयानक रूप ले लेंगे।
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वैसे तो ई-कचरा (E-waste) से होने वाले दुष्प्रभाव का बुरा हाल सम्पूर्ण विश्व का है,सभी देशों ने इससे बचने के कई कानून बनाये हुए है लेकिन भारत मे बने कानूनों की परवाह किसी को नही। विकास की इस दौड़ में हमने बस खुद के लिए नकारात्मक वातावरण ही बनाया है। जब तक समस्याएं हमारे सामने आकर खड़ी नही हो जाती व्यक्ति इसके बारे में सचेत नही होता। हमारी तरक्की ही हमारे लिए मुसीबत के दरवाजे न खोल दे। तरक्की के साथ हमे पर्यावरण के प्रति भी जागरूक होने की जरूरत है,ताकि हम अपने स्तर पर भी इन कचरों से पर्यावरण को बचा सकें।