aditya kumar jha ias : संस्कृत से पढ़ाई कर यूपीएससी तैयारी करने पर लोगों ने कहा फेल हो जाओगे, मेहनत से हासिल की सफलता और बना आईएएस अधिकारी

aditya kumar jha ias : संस्कृत से पढ़ाई कर यूपीएससी तैयारी करने पर लोगों ने कहा फेल हो जाओगे, मेहनत से हासिल की सफलता और बना आईएएस अधिकारी

aditya kumar jha ias : देश में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों की प्रतिभा को कम आंका जाता है. यही वजह है कि माता पिता अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भेजकर उन्हें अंग्रेजी शिक्षा मुहैया करवाते है. हालांकि सफलता पाने वाले बच्चे किसी भी भाषा में अपनी प्रतिभा को छुपने नहीं देते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही लड़के कि कहानी बताएंगे जिन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई संस्कृत माध्यम से की. और यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर यह बता दिया कि किसी भी माध्यम से पढ़ाई करके भी आप सफल हो सकते हैं. इस आईएएस अधिकारी का नाम आदित्य कुमार झा है.

यूपीएससी में अच्छी खासी रैंक हासिल कर उन्होंने अन्य युवाओं को हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके सफलता पाने का रास्ता भी दिखाया है. आइए जानते हैं कि आदित्य कुमार ने संस्कृत की पढ़ाई करते हुए हिंदी माध्यम से कैसे यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली

कौन हैं आदित्य कुमार झा

आदित्य कुमार झा बिहार के मधुबनी जिला के एक छोटे से गांव लखनौर के रहने वाले हैं. इनके पिता संस्कृत के अध्यापक थे. आदित्य कुमार की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल से हुई. पिता संस्कृत में प्रोफेसर थे तो अपने बेटों को भी संस्कृत के महत्व के बारे में बताया. आदित्य कुमार अपनें परिवार में माता पिता के अलावा तीन भाइयों के साथ रहते थे. उनके पिता ने बच्चों कि पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी.

आदित्य अच्छी पढ़ाई कर सकें इसलिए उनके पिता ने बड़े भाई के साथ 6वीं क्लास के बाद पढ़ाई के लिए इलाहाबाद भेज दिया. उनके बड़े भाई भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. बड़े भाई को यूपीएससी की तैयारी करते देखकर आदित्य के मन में भी सिविल सेवा देने का विचार आया. उन्होंने पहले तो आपने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद भूगोल, संस्कृत और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली.

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आदित्य बताते हैं कि जब उन्होंने MA की पढ़ाई पूरी की और यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली गए तो काफी लोगों की बातें उन्हें सुननी पड़ी. संस्कृत और हिंदी से पढ़ाई करने के कारण लोग उन्हें गवांर कहकर बुलाते थे. उन्हें यह बातें बुरी तो लगती थी लेकिन वह लोगों को जवाब अपनी सफलता से देना चाहते थे. MA की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए

आसान नहीं रहा यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाना

आदित्य ने जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की उसी दौरान उनका IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के पद पर चयन हो गया. लेकिन वो आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया. इसके बाद साल 2015 में उन्होंने दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी. इस बार उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई.

साल 2016 में उन्होंने फिर से प्रयास किया और एटा जिले में बचत अधिकारी के तौर पर उन्होंने नौकरी ज्वाइन कर ली. हालांकि अभी तक वो आईएएस अधिकारी नहीं बन पाए थे इसलिए उन्होंने कोशिश करना नहीं छोड़ा. साल 2017 में जब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी तो प्री और मेंस अच्छे नंबरों से निकाल लिया लेकिन जब उनका रिजल्ट आया तब उनका पैर किसी कारणवश फ्रैक्चर हो गया.

जिसके बाद उनको डॉक्टर ने 2 महीने का बेड रेस्ट करने की सलाह दी. समस्या ये थी कि 2 महीने बाद उनका यूपीएससी का इंटरव्यू भी था. हालांकि किसी तरह उन्होंने बेड रेस्ट लेते हुए इंटरव्यू की तैयारी की और व्हीलचेयर पर इंटरव्यू देने का निश्चय किया. उनकी बहन ने उन्हें व्हीलचेयर पर ले जाकर इंटरव्यू दिलाया. उनकी मेहनत और लगन की वजह से इस बार उन्हें IRAS अधिकारी बन गए

आईएएस अधिकारी बनकर किया अपना सपना पूरा

साल 2018 में उन्होंने आईएएस बनने के लिए एकबार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी. इस बार उन्हें यूपीएससी में मनचाही सफलता मिल गई पूरे देश में उन्होंने 339वीं रैंक हासिल कर टॉप किया. इस रैंक के साथ उन्होंने ना सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया है. बल्कि ऐसे लोगों को अपनी सफलता से जवाब भी दिया है जो ये सोचते हैं कि संस्कृत या हिंदी भाषा से पढ़ा हुआ शख्स काफी पिछड़ा होता है अगर मेहनत लग्न से किसी भी काम को किया जाए तो ज़ाहिर है सफलता मिल ही जाती है.

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