Srijan Verma IAS : नौकरी से छुट्टी लेकर की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी, 39वीं रैंक हासिल कर बने IAS अधिकारी
Srijan Verma IAS : संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा कठिन परिश्रम मांगती है। इस परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी 8 से 10 घंटे रोजाना पढ़ाई करते हैं, लेकिन इस परीक्षा को पास करने के लिए ज्ञान से ज्यादा आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और सही रणनीति मायने रखती है। इस परीक्षा में सफल वहीं होता है, जिसमें कुछ खास बात होती है।
इस पोस्ट में हम जिस शख्सियत के बारे में बात करने जा रहे हैं, उनमें भी खूबियां कूट-कूटकर भरी पड़ी हैं। सफलता की इस कहानी में हम आज हम आपको सृजन वर्मा की कहानी बताएंगे। आइए जानते हैं उन्होंने कैसे अपनी कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.
कौन हैं (Srijan Verma IAS) सृजन वर्मा
सृजन वर्मा मूल रूप से संगम नगरी प्रयागराज के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम नीरज वर्मा है, जो उत्तर मध्य रेलवे मंडल विद्युत अभियंता के पद से रिटायर्ड हैं। जबकि मां अनुपमा किदवई मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज हिम्मतगंज में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। उनकी एक बड़ी बहन भी है जिसका नाम अरुनी है। वो आर्मी हॉस्पिटल दिल्ली में सर्जरी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं।
पहले प्रयास में सृजन वर्मा बन गए आईएएस अधिकारी pic.twitter.com/v2VYGHxiQz
— Independentnews (@Indepen74867468) March 28, 2022
सृजन बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं। उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज से की है। हाईस्कूल में सृजन ने 80 फीसदी, जबकि इंटरमीडिएट में 90 फीसदी के अंक अर्जित किए हैं। जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उनका सिलेक्शन ISM धनबाद में हो गया। वहीं से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में B.Tech की डिग्री हासिल की है। ग्रेजुएशन के दौरान ही सृजन ने सोच लिया था कि वो आगे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करेंगे। लक्ष्य के अनुसार उन्होंने अपने आपको तैयार करना भी शुरू कर दिया।
IES में हुआ चयन, छुट्टी लेकर की UPSC की तैयारी
सृजन का 2018 में इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज (IES) में चयन हुआ था। जिसके बाद वो ट्रेनिंग पर गए और वहां से छुट्टी लेकर एक साल तक UPSC परीक्षा की तैयारी करते रहे। सृजन 2018 में दिल्ली आ गए थे और यहां रहकर उन्होंने UPSC की कोचिंग ज्वाइन की। उन्होंने चॉइस के अनुरूप ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को अपना वैकल्पिक विषय रखा और परीक्षा के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
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इस तरह सृजन अपने सपने को नई उड़ान देने के लिए आगे बढ़ते रहे। सृजन बताते हैं कि वो सुबह 7 बजे लाइब्रेरी जाते थे और रात 10 बजे वापस लौटते थे। कोविड की वजह से जब लॉकडाउन हो गया तो उन्होंने घर पर रहकर अपनी तैयारी को आगे बढ़ाया।
पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में मिली सफलता
2020 सिविल सेवा परीक्षा में सृजन को अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल हो गई। उनको ऑल इंडिया 39वीं रैंक मिली। सृजन अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और अपने शुभचिंतकों को देते हैं। सृजन मानते हैं कि जीवन में नंबर मायने नहीं रखते।
बल्कि यह बात मायने रखती है कि आप किन लोगों के साथ उठते-बैठते हैं, और उनसे क्या सीखते हैं। अगर आपके पास कोई ऐसा मार्गदर्शक है, जो आपको सही-गलत के बारे में सही राय दे सके तो आपको कोचिंग की जरूरत नहीं है। कुल मिलाकर कोई न कोई ऐसा होना चाहिए जो आपको गाइड कर सके।