Paralympic avani lekhara : पैरों से दिव्यांग होने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, देश के लिए गोल्ड मेडल लाकर बेटी ने किया नाम रोशन

Paralympic avani lekhara : पैरों से दिव्यांग होने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, देश के लिए गोल्ड मेडल लाकर बेटी ने किया नाम रोशन

Paralympic avani lekhara : “तेरे हौसलों की ठोकर से रुकावट की हर दीवार गिरेगी, तू मेहनत से पीछे मत हट, तुझे एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी”। जी हां, हौसले बुलंद हो तो कोई भी कठिनाई आपके आगे ज्यादा देर तक टिक नहीं सकती। बस जरूरत है थोड़े से संयम की और लगातार कोशिश करते रहने की। जिंदगी में चुनौतियों की कमी नहीं है लेकिन उन चुनौतियों का सामना करने से ही नए रास्ते खुलते हैं और ऐसे ही सफलता की इमारत खड़ी होती है।

आज हम आपसे एक ऐसी ही जांबाज लड़की की कहानी शेयर करने जा रहे हैं, जिसने व्हीलचेयर पर बैठकर सफलता की ऐसी दास्तां लिखी कि देखने वाले देखते रह गए। आज की हमारी कहानी हर एक शख्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है। सफलता की कहानी में आज हम बात कर रहे हैं पद्मश्री से सम्मानित अवनी लेखरा की।

कौन है (Paralympic Avani lekhara) अवनी लेखरा?

भारतीय पैरालंपिक निशानेबाज अवनी लेखरा मूल रूप से जयपुर की रहने वाली है। उनके पिता का नाम प्रवीण लेखरा है। वो गगांनगर स्थित रेवेन्‍यू विभाग में RAS के पद पर कार्यरत है। अवनी की मां का नाम श्‍वेता लेखरा है, जोकि गृहणी हैं।

साल 2012 में जब अवनी महज 11 साल की थी, उस वक्त अपने पिता के साथ जयपुर से धौलपुर जाते वक्त उनका एक बड़ा एक्‍सीडेंट हो गया था। हादसे में अवनी की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और उन्होंने अपने दोनों पांव भी खो दिए थे। इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया। अवनी के सपने कुछ और थे, लेकिन इस दुर्घटना के बाद उन्होंने राइफल को ही अपने सपने पूरे करने का जरिया बना लिया।

परिवार की हौसला अफजाई से आगे बढ़ती रहीं

छोटी उम्र में व्‍हील चेयर पर बैठ जाने वाली अवनी ने कभी हार नही मानी। अवनी बताती हैं कि शूटिंग के शुरुआती दिनों में उनसे राइफल तक नहीं उठाई जाती थी, लेकिन घरवालों की हौसला अफजाई से उन्हें जो शक्ति मिली, उससे वो आगे बढ़ती चली गईं।

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जिसके बाद उन्होंने कभी पूछे मुड़कर नहीं देखा।

अवनी ने जीते हैं कई पुरस्कार

गोल्‍डन गर्ल के नाम से प्रसिद्ध अवनी ने अपने हुनर का डंका पूरी दुनिया में बजाया है। अवनि ने राष्‍ट्रीय और अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कई मैडल जीते है। साल 2015 में अपनी ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में ही हुनरमंद अवनी ने राजस्‍थान स्‍टेट चैपिंयनशिप में गोल्‍ड मैडल जीता था। जिसके बाद 2016 में पुणे में आयोजित एक नेशनल चैंपियनशिप उन्होंने मैडल अपने नाम किया। साल 2018 में अवनि ने 61वीं नेशनल शूटिंग चैपिंयनशिप में भी मैडल जीता था।

हाल ही में उन्होंने टोक्‍यो पैरालंपिक 2020 में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 10 मीटर एयर राइफल SH1 में स्‍वर्ण पदक अपने नाम किया था। पिछले दिनों देश के राष्ट्रपति ने अवनी को खेल रत्न देकर सम्मानित किया था। अब उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है। पद्मश्री मिलने के बाद अवनी ने कहा हैं कि ये सम्मान मिलना गौरव की बात है। इसके लिए वो परिजनों समेत अपने सभी शुभचिंतकों की आभारी हैं

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