छोटी सी चाय दुकान चलाने वाले शख्स की बेटी बनीं वायुसेना में अधिकारी, पिता का सर गर्व से ऊंचा कर दिलाया सम्मान
अगर हमारा संकल्प मजबूत हो तो बड़े से बड़ा काम में भी हम सफला पा सकते हैं. ऐसे में कड़ी मेहनत के साथ काम करने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में आप किसी ऐसे काम को चुनें जिसमें देशसेवा का भाव जुड़ा हो तो ये दृढ़ संकल्प और मजबूत हो जाता है. आज हम आपको जिस अधिकारी बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं उनका नाम आंचल है. वो एक गरीबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
उनके पिता चाय का रेहड़ी लगाते हैंं लेकिन अपनी बेटी के सपनों को पंख देने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी और बेटी ने भी पिता की मेहनत का सम्मान करते हुए वायुसेना में अधिकारी बनकर ना सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया बल्कि देश की सेना में महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की. बताते चलें कि हाल ही में वायुसेना के प्रमुख वाई.एस.भदौरिया की मौजूदगी में आंचल को बतौर अधिकारी नियुक्त किया गया. आइए जानते हैं आंचल ने एक छोटे से गांव से अपने सपनों की उड़ान का सफर कैसे तय किया.
पिता ने चाय बेचकर बेटी के सपनों को किया पूरा
मध्य प्रदेश के नीमच की रहने वाली आंचल ने जिसने अपने कठोर परिश्रम और लगन से अपने सपनों को सच कर दिखाया है। आंचल के पिता मध्यप्रदेश में ही सड़क किनारे चाय की दुकान चलाते हैं. आर्थिक रूप से ज्यादा समृद्ध ना होने के कारण आंचल को बुनियादी संसाधनों की कमी का सामना भी करना पड़ा.
लेकिन बचपन से ही सेना में भर्ती होने की उम्मीद ने उन्हें हर मुश्किल से निकलकर पढ़ाई की ओर प्रेरित किया। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई गांव के स्कूल से की. आंचल को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई में अच्छे मिले थे. आंचल जब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहीं उसी दौरान उन्होंने सेना में जाने का निश्चय कर लिया था. और उसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी.
पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भी किया काम
वायुसेना अधिकारी रैंक में भर्ती होने से पहले उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भी काम किया। इसके साथ ही उन्होंने स्नातक की डिग्री भी हासिल कर वायुसेना में जाने का निश्चय किया. बता दें कि आंचल ने अपने शुरुआती 6 बार अपने प्रयास में विफल होने के बाद भी आंचल ने हार नहीं मानी और अपने सपने को साकार किया। अब वह वायुसेना में अपनी सेवा दे रही हैं। वायुसेना के प्रमुख वाई.एस.भदौरिया की मौजूदगी में आंचल को बतौर अधिकारी नियुक्त किया गया.
एक साक्षात्कार के दौरान आंचल ने बताया कि, उनके पिता मध्यप्रदेश के नीमच जिले में एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं। आंचल ने कहा कि वह हमेशा से ही अपने पिता का सर गर्व से ऊंचा करना चाहती थी। एक चाय बेचने वाले की बेटी को सेना में जाने के लिए किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आंचल उन सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल कायम कि हैं जो कठिनाईयों के सामने हार मान लेती हैं।