IAS Vikramaditya Singh Malik : पिता से प्रेरणा लेकर बेटे ने भी की UPSC परीक्षा की तैयारी, 2 बार असफलता हासिल करने के बाद बनें IAS अधिकारी

IAS Vikramaditya Singh Malik : पिता से प्रेरणा लेकर बेटे ने भी की UPSC परीक्षा की तैयारी, 2 बार असफलता हासिल करने के बाद बनें IAS अधिकारी

IAS Vikramaditya Singh Malik : UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों में ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिनके परिवार में कोई भी व्यक्ति पहले से सिविल सेवा में नहीं होता है. जिसके कारण ये परीक्षा पास करना उनका और उनके परिवार का भी सपना बन जाता है. लेकिन जिस अभ्यर्थी के पिता पहले से एक IAS अधिकारी हो, उसके लिए ये परीक्षा एक चुनौती से कम नहीं होती है. आज हम आपको एक ऐसे IAS अधिकारी के बारे में बताने जा रहे है उनका नाम विक्रमादित्य सिंह मलिक है।

विक्रम ने बचपन से ही अपने पिता को IAS अधिकारी के रूप में देखा और बेटा उनकी कार्यप्रणाली से काफी प्रभावित भी हुआ. पिता की तरह बनने की चाह ने विक्रम को यूपीएससी की तरफ रास्ता तो दिखाया ही साथ ही एक पिता की तरह सफलता हासिल करने की चुनौती भी दी. इसलिए उन्होंने इस परीक्षा के लिए प्रयास नहीं छोड़ा और लगन के साथ तैयारी करते रहे और यूपीएससी परीक्षा में अच्छी खासी रैंक लाकर ना सिर्फ एक मिसाल कायम की बल्कि पिता को गौरान्वित भी किया. आइये जानते हैं विक्रम के IAS अधिकारी बनने के सफर के बारे में

कौन हैं (IAS Vikramaditya Singh Malik) आईएएस विक्रमादित्य

विक्रम चंडीगढ़ के रहने वाले हैं. वो एक सिविल सेवक के परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता का नाम युद्धवीर सिंह मलिक है जो कि हरियाणा में IAS अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं मां एक लेखिका हैं. विक्रमादित्य ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चंडीगढ़ के भवन विद्यालय से हासिल की. विक्रमादित्य पर परिवार का पूरा असर था. यही वजह थी कि वो बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे. उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान अच्छे अंक हासिल किए.

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बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने उन्होंने नालसार यूनिवर्सिटी, हैदराबाद से लॉ की डिग्री हासिल की. जिसके बाद कुछ समय तक इन्होंने एक लॉ की कंपनी में भी काम किया. इस दौरान साल 2012 में इनकी बहन भी IAS अधिकारी बन गयी. जिसके बाद इनके घर में दो सदस्य IAS अधिकारी बन गए थे. इस दौरान इन्हें महसूस हुआ कि अब इन्हें भी परीक्षा की तैयारी शुरू कर देने चाहिए और उसी वक़्त इनको ऑक्स्फोर्ड यूनिवर्सिटी में भी दाखिला मिल गया तो इन्होंने पोस्ट ग्रेजुेएशन की पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी जारी रखी.

2 बार यूपीएससी परीक्षा में मिली असफलता

उविक्रमादित्य एक साक्षात्कार में बताते हैं कि एक वकील के तौर पर काम करते हुए वो काफी अच्छा महसूस कर रहे थे. लेकिन इन सब के बीच वो आमलोगों की पूरी सिद्दत के साथ जुड़कर मदद नहीं कर पा रहे थे. उधर परिवार में सारे लोग का सिविल सेवा में देखकर वो भी प्रभावित हो रहे थे. विक्रमादित्य यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान पहले और दूसरे प्रयास में प्री भी नहीं निकाल सके. लगातार 2 बार यूपीएससी परीक्षा में असफलता मिलने पर उन्हें काफी निराशा होने लगी.

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इस बीच उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाया. विक्रम बताते हैं कि पिताजी कहा करते थे कि हमें हार से अनुभव मिलता है. इसी आत्मविश्वास के साथ उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में तीसरा प्रयास किया लेकिन इस बार उन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन मेंस क्वालीफाई नहीं कर पाए. परिवार में सभी ने फिर उन्हें मोटिवेट किया जिसके बाद उन्होंने फिर से चौथा प्रयास किया.

48वीं रैंक हासिल कर जीती UPSC की दौड़

साल 2017 में उन्होंने चौथा प्रयास किया इस बार उन्होंने प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू तीनों राउंड में सफलता हासिल कर ली. उन्होंने इस बार ना सिर्फ सफलता हासिल की बल्कि पूरे देश में 48वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा किया. उनकी सफलता से परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. उनके पिता कहते हैं कि बेटे की सफलता ने उन्हें गौरान्वित होने का मौका दिया है. अब बेटा और बेटी दोनों आईएएस अधिकारी बन गए हैं.

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विक्रमादित्य सिंह मलिक वर्तमान समय में बिजनौर में कार्यरत हैं. उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि अभ्यार्थी होने के नाते आपका यह पहला काम होता है कि आप अपना बेस मजबूत करें। लॉ से होने के कारण मेरा बेस बहुत हद तक मजबूत था जिसके कारण मैंने NCERT की किताबें नहीं पढ़ी, सीधा स्टैंडर्ड किताबों की ओर रुख किया। लेकिन जिनका बेस कमज़ोर हो उन्हें NCERT जरूर पढ़नी चाहिए। फ़िर अनेक अधिकारियों के इंटरव्यूज़ देखने पर इन्होंने बल दिया, इन्होंने बताया कि इंटरव्यू देखने से आपके अंदर जवाब देने का एक लहजा विकसित होगा जोकि आपके इंटरव्यू के लिए काफी सहायक साबित होगा

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