IAS Ritika Jindal : ऐसा माना जाता है कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने वाले अभ्यर्थियों के लिए ऐसा माना जाता है कि उन्हें एकाग्र मन से और बिना किसी तनाव रहित होना चाहिए. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम रितिका जिंदल है. जिन्होंने बचपन से ही परेशानियों का सामना किया.
गरीबी और पिता को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बीच उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और आईएएस अधिकारी बनकर ना सिर्फ अपने सपनों को पूरा किया बल्कि उन युवाओं के लिए एक नजीर भी पेश की जो मुश्किल हालातों से घबराकर अपने सपनों को छोड़ देते हैं. रितिका की सफलता की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा हो सकती है जो यूपीएससी या अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि बुनियादी सुविधाओं की कमी के बीच रितिका ने कैसे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.
पंजाब के मोगा जिले की रहने वाली रितिका जिंदल एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई मोगा जिले से ही हुई. शुरुआत से ही पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उन्हें स्कूल के अध्यापकों का भरपूर साथ मिला. यही वजह थी कि उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ पास की. 12वीं की सीबीएससी परीक्षा में उन्होंने पूरी उत्तर भारत में टॉप रैंक हासिल की थी. 12वीं की पढ़ाई के बाद रितिका ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने का फैसला लिया.
परिवार ने भी बेटी की पढ़ाई और मेहनत पर भरोसा कर दिल्ली में भेजने के लिए तैयार हो गया. वहां भी रितिका अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरी. ग्रेजुएशन की पढ़ाई में भी उन्होंने कॉलेज में टॉप किया. जहां उन्होंने 95 फीसद अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया. ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद रितिका ने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया. वो सिविल सेवा में अपना योगदान देकर देश की सेवा करना चाहती थी.
रितिका जिंदल ने यूपीएससी की तैयारी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दी थी. यही वजह थी कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी. हालांकि प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू निकालने के बाद मेरिट लिस्ट में वो सफल नहीं हो सकीं. आपको बताते चलें कि रितिका का यूपीएससी सफर आसान नहीं था. यूपीएससी की तैयारी के दौरान उनके पिता को मुंह में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो गई.
जिससे रितिका की तैयारी भी काफी ज्यादा प्रभावित हुई. इसके बाद भी उन्होंने तैयारी करना नहीं छोड़ा. और दूसरी बार यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया. उधर पिता की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी. जब रितिका दूसरी बार यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहीं थी तब उनके पिता को फेफड़ों का कैंसर हो गया था. रितिका ने ऐसे मुश्किल हालातों के बीच भी अपना साहस नहीं खोया. और वो तैयारी करती जा रहीं थी.
साल 2018 में रितिका का सपना पूरा हुआ. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में देश के टॉप 100 सफल अभ्यर्थियों में अपना नाम दर्ज कराया. इस परीक्षा में उन्हें 88वीं रैंक हासिल हुई. कड़ी मेहनत और हौसले की बदौलत उन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर ना सिर्फ अपने बचपन के सपने को पूरा किया. बल्कि अपने परिवार का नाम भी रोशन किया.
अपनी सफलता के बारे में युवाओं को प्रेरणा देते हुए रितिका कहती हैं कि कहती हैं कि जब हम असफल होते हैं तो हमारे पास दो विकल्प होते हैं कि या तो फेल होने का दुख मनाएं या फिर दोबारा उठ खड़े हों और दोगुनी मेहनत से आगे बढ़ें. फेल होना नॉर्मल है, इसे एक लर्निंग के तौर पर लें, रोकर इस पर समय न बर्बाद करें.
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