Apurva Pandey IAS : परिवार का सपना पूरा करने के लिए बेटी ने बिना कोचिंग की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी, 39वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अधिकारी
Apurva Pandey IAS : हमारे देश के युवा वर्ग का सरकारी नौकरी पाना हमेशा से सपना रहा है। रोज़गार की कमी युवाओ की परेशानी की सबसे बड़ी वजह रही है। अगर बात की जाए भारतीय प्रशासनिक सेवा की तो अच्छे – अच्छे हिम्मत हार जाते हैं। बहुत कम बच्चे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं। लेकिन लगन , समय और बुद्धिमता का सही प्रयोग हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
आज हम ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया। उत्तराखंड के हल्द्वानी की बेटी अपूर्वा पांडे जिन्होंने बगैर किसी कोचिंग के आईएएस बनने का सपना पूरा किया। अपूर्वा को पहली बार में सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरी बार में 39वीं रैंक के साथ टॉप किया। और अपना सपना साकार किया।
बिना कोचिंग के किस तरह की तैयारी
अपूर्वा ने साल 2016 में बीटेक पूरा किया। उसके बाद इन्होने लगभग सवा साल घर में ही तैयारी की। इन्हे अपनी पढ़ाई के तरीके पर पूरा भरोसा था। इन्होने ऑनलाइन वेबसाइट से अपने लिए स्टडी मटेरियल निकालकर पढ़ाई करनी शुरू की। और दिन में लगभग 10 घंटे पूरी लगन से पढ़ाई की।
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तत्पश्चात उन्हें यूपीएससी की परीक्षा देशभर में 39वीं रैंक हासिल हुई है। अपने परिवार में अपूर्वा पहली आईएएस अधिकारी बनेंगी। अपूर्वा के पूरे परिवार के आठ सदस्य शिक्षक हैं, जबकि रिश्तेदारों में भी शिक्षकों की संख्या अधिक है। डॉक्टर भी इस परिवार से रह चुके हैं।
बचपन से ही देखा था IAS बनने का सपना
अपूर्वा को घर में प्यार से मन्नू नाम से पुकारा जाता है। उनका कहना है कि इनका बचपन से ही आईएएस बनने का ख्वाब था। इसके लिए उन्होंने भरपूर परिश्रम किया लेकिन उनके माता-पिता ने उनका सपना पूरा करने को उससे भी ज्यादा परिश्रम किया है और आज उनकी इस सफलता का पूरा शीर्षक उनके माता पिता को ही जाता है।
बचपन से ही रीडिंग और डिबेट उनके हॉबी रहें हैं, अपने बचपन से ही किताबें पढ़ने, डिबेट कॉम्पिटिशन में भाग लेने का शौक रहा । डिबेट में उन्होंने अनेक पुरस्कार भी जीते , यह दोनों शौक आईएएस में काफी मददगार भी रहे ।
अनुशासन और लगन की होती हैं अहम भूमिका
अपूर्वा का कहना है कि हमारे जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं हैं जिसको पाना असंभव हो। अनुशासन, लगन, सतत प्रयास से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने इस परीक्षा के लिए 10 घंटे पूरी महनत और लगन से पढाई की और बिना किसी कोचिंग के ही अपनी मंज़िल तक पहुंची। उनको अपनी लगन और पढ़ाई पर पूरा भरोसा था।उनका कहना हैं कि सिविल सेवा या अन्य कोई भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है दिमाग को संतुलित रखना और हमें अपने लक्ष्य से कभी भी भटकना नहीं चाहिए।