Mamta popat ias : ससुराल से मिला सपोर्ट तो पूरा किया IAS अधिकारी बनने का सपना, पाचवें प्रयास में 45वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अधिकारी
Mamta popat ias : IAS अधिकारी बनने का सपना काफी युवा देखते हैं. लेकिन सपने वही साकार कर पाते हैं जिन्हें मेहनत करना आता है. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत IAS अधिकारी की सहायिका के तौर पर काम किया. बाद में खुद ऐसी सटीक रणनीति आजमाई जिससे उन्होंने अपना सपना साकार कर लिया. इस IAS अधिकारी का नाम ममता पोपट है. उनकी सफलता उन युवाओं और अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणादायक हो सकती है जो ये मानते हैं कि अगर इरादा पक्का हो और आपमें मेहनत करने का जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. आइए जानते हैं ममता ने कैसे यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की.
ममता MBA करने के बाद GIDC में काम करने लगी थी, तबतक उनका UPSC की ओर जाने का कोई खास विचार नहीं था, लेकिन इस दौरान उन्हें जिन अधिकारियों के साथ काम करने का मौका मिला उनमें से एक IAS अधिकारी भी थे और उन्हीं से प्रेरित होकर इन्होंने UPSC की ओर रुख किया। साथ ही साथ ही ससुराल का पूरा सपोर्ट मिला जो कि एक विवाहित महिला के लिए वरदान की तरह है।
कौन हैं (Mamta popat ias) ममता पोपट
ममता गुजरात के केशोद जिले की रहने वाली हैं. इन्होंने DDL स्कूल से 12वीं कक्षा पास की और फिर अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज से केमिस्ट्री विषय में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद MBA करने का मन बनाया. जिसके लिए इन्होंने GLS यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और डिग्री पूरी होने के बाद उन्हें GIDC में नौकरी मिल गयी।
GIDC में नौकरी के दौरान इन्हें कई बड़े अधिकारियों के साथ काम करने का मौका मिला. ममता जिनको असिस्ट कर रही थी, वो एक IAS अधिकारी थे. उन्होंने ही ममता को UPSC के योग्य समझते हुए परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया. जिस के बाद ममता ने इस संबंध में काफी विचार किया और नौकरी के साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
असफलता मिलने पर ससुराल वालों ने किया सपोर्ट
घर से ऑफिस दूर होने के कारण ममता को सुबह 9 बजे निकलना होता था और रात 8 बजे तक वो वापस आ पाती थी. इसके बाद का समय वो पढ़ाई में देती थी। नौकरी के साथ ही उन्होंने पहला प्रयास किया लेकिन उसमें वो असफल रही. जिसके कारण वो बताती हैं कि उन्हें पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था. पढ़ाई में दिक्कत आने के कारण उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर पढ़ाई शुरू कर दी.
ममता ने जब नौकरी छोड़ने का फैसला किया तो उनके पति और सास-ससुर सबने पूरा सपोर्ट किया तैयारी करते हुए ममता ने साल 2013 में अपने पहली बार प्रयास किया. जिसमें उन्हें असफलता हासिल हुई. ममता ने दूसरे प्रयास में प्रीलिम्स और मेंस क्लीयर कर लिया लेकिन इंटरव्यू में चूँक गयी. इसके बाद उन्होंने तीसरा और चौथा प्रयास किया. इसबार ममता ने प्रीलिम्स और मेंस की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन इंटरव्यू राउंड में वो असफल हो गईं. जिसके बाद वो काफी परेशान हुई. ममता बताती हैं कि इस बीच उनके पति ने उनका पूरा साथ दिया और उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद की.
45वीं रैंक हासिल कर बनी IAS अधिकारी
साल 2017 में ममता ने फिर से प्रयास किया और इसबार उन्होंने सफलता हासिल की. वो कहती हैं कि पांचवें प्रयास में उन्हें अच्छी तरह आभास हो गया था कि यूपीएससी परीक्षा के लिए मेहनत और लगन के साथ सटीक रणनीति भी बहुत जरूरी होती है. ममता ने पूरे देश में 45वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बनकर अपना सपना पूरा किया. एक साक्षात्कार में वो बताती हैं कि इस तैयारी में अगर ससुराल की तरफ से साथ ना मिला होता तो वो अपने सपने को पूरा ना कर पाती.
ममता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जिन्हें जीवन में कई बार हार मिली हो. ममता अभ्यार्थियों को सलाह देते हुए कहती हैं कि यूपीएससी परीक्षा में बेसिक शुरुआत करनी चाहिए. किसी भी प्रकार का तनाव मन में नहीं होना चाहिए और एक सकारात्मक रवैये के साथ तैयारी करनी चाहिए. सकारात्मक रवैया आपको देर से ही सही लेकिन सफलता जरूर दिलाता है.