Success Story : पिता स्कूल में चपरासी थे, 19 साल की उम्र में मां को खो दिया, इसके बावजूद भी गरीब परिवार की बेटी बनी IPS ऑफिसर
Success Story : अगर किसी शख्स में सच्ची लगन और मेहनत करने का जज़्बा हो तो कामयाबी बहुत जल्द उसके साथ होती है. हमारे आसपास ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जहां लोगों ने मुश्किल हालातों में सच्ची लगन और मेहनत से कामयाबी हासिल की है. हमारी सक्सेस स्टोरी की श्रंखला में आज ऐसी शख्सियत के बारे में आपको बताएंगे. जिन्होंने आर्थिक तंगी और सुविधाओं के आभाव के होते हुए भी IPS रैंक की अधिकारी बनने में सफलता हासिल की.
हम बात कर रहें 2018 बैच की IPS ऑफिसर डॉ विशाखा भदाणे की. जिन्होंने अपनी सफलता के आगे अपनी गरीबी को नहीं आने दिया.
डॉ विशाखा नासिक की रहने वाली हैं. उनके पिता का नाम अशोक भदाणे हैं जो कि नासिक के एक छोटे स्कूल में चपरासी के तौर पर कार्यरत है. परिवार में विशाखा दो बहनों और एक भाई और मां के साथ रहती थी. घर में सबसे छोटी होने के बावजूद भी सबसे मेहनती वहीं थी. परिवार की गरीबी इतनी थी कि पिता की कमाई से घर का खर्च नहीं चल पा रहा था. इसलिए मां ने दुकान खोल ली.,
माता-पिता चाहते थे कि बच्चे खूब पढ़-लिखकर अपने जीवन को सफल बनाएं. यही कारण हैं कि कम आय होने के बावजूद अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. पिता की नौकरी से ज्यादा कमाई नहीं हो पाती थी तो मां ने बच्चों की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद के तौर पर दुकान खोल ली. इस दुकान से जो भी कमाई होती, उससे विशाखा और उनके भाई बहनों की पढ़ाई का थोड़ा बहुत ही ख़र्च ही निकल पाता था.
इतना सब करने के बावजूद भी माता पिता के लिए बच्चों की पढ़ाई और किताबों का खर्च निकालना बहुत मुश्किल हो जाता था. किताबों की कमी के चलते जब 2 माह की स्कूल की छुट्टियां रहती थी, तब तीनों भाई-बहन पास की ही एक लाइब्रेरी में पढ़ाई करने जाते थे. बच्चे इतने मेहनती थे कि बच्चों की पढ़ाई की ललक और परिश्रम देखकर शिक्षक भी उन्हें पढ़ने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे.
Success Story : 19 साल की उम्र में गुजर गई मां
विशाखा जब 19 साल की थी तब उनके परिवार के साथ बहुत बड़ा हादसा हो गया. जिसने विशाखा के जीवन को बदल कर रख दिया. विशाखा जब 19 साल की थी, तभी किसी बीमारी के चलते उनकी मां का देहांत हो गया जिसके बाद परिवार की काफी जिम्मेदारियां विशाखा के पास आ गईं. उन्होंने बहुत ही अच्छी तरह से सारी जिम्मेदारियों को भी उठाया . विशाखा को अब अपने घर के सारे कामों को पहले करना पड़ता फिर उन्हें पढ़ाई के जाना पड़ता था.
तीनों बच्चों के पढ़ाई में तेज होने की वजह से किसी भी प्रवेश परीक्षा के दौरान उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं मिली. विशाखा और उनके भाई ने सरकारी आयुर्वेद कालेज से BAMS में दाखिला के लिए परीक्षा दी. जिसमें उन दोनों का ही सिलेक्शन हो गया था. इसके बाद डॉक्टर विशाखा ने UPSC की परीक्षा देने का विचार किया और इसकी तैयारी में लग गईं. हालांकि उन्हें अपने पहले प्रयास में असफलता ही देखने को मिली. लेकिन दूसरी कोशिश में उन्हें साल 2018 में UPSC में पास होकर वो IPS ऑफिसर बन गईं.