Ram Chandra Agarwal : पैरों से विकलांग शख्स ने कर्ज लेकर शुरू की फोटोकॉपी की दुकान, फिर खड़ी की 1100 करोड़ की कंपनी

Ram Chandra Agarwal : पैरों से विकलांग शख्स ने कर्ज लेकर शुरू की फोटोकॉपी की दुकान, फिर खड़ी की 1100 करोड़ की कंपनी

Vishal Megamart Founder Ram Chandra Agarwal : एक बहुत प्रचलित कहावत है कि “अगर आप कोई काम करना चाहते है और आपके पास उतने संसाधन नहीं हैं लेकिन आपके पास कुछ करने का जज्बा है, तो निश्चित ही वो मुकाम हासिल कर लेंगे।” कुछ ऐसी ही कहानी है शारारिक रूप से दिव्यांग रामचन्द्र अग्रवाल की, जिन्होंने अपनी विकलांगता को सफलता की राहो में रोड़ा नही बनने दिया . उन्होंने हर वो मुकाम हासिल किया जो पूरी तरह से सक्षम लोगों के लिए भी आसान नहीं है।

कौन हैं रामचंद्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal)

रामचन्द्र अग्रवाल का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण परवरिश अच्छी न हो पाने के कारण जन्म के कुछ साल बाद उनको लकवा मार जाता है। वो चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं। कई जगह डॉक्टरों को दिखाने पर भी वो सही नही हो सके। उनके परिवारवालों के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वो उनका (Ram Chandra Agarwal) इलाज किसी बड़े शहर में करा सकें। फिर भी रामचंद्र ने अपने हौसले को टूटने नही दिया। वो अपने हौसले की बैसाखी पर सवार होकर जीवन में आगे बढ़ गए। उन्होंने अपने और परिवार के जीवन से गरीबी को पूरी तरह से खत्म करने का दृढ़ संकल्प ले लिया था.

बैसाखी के सहारे उन्होंने स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई पूरी की

रामचंद्र का सहारा बनी उनकी बैसाखी और इसी के सहारे इन्होंने स्कूल की पढ़ाई की। स्कूल में बहुत से छात्र इनका मजाक उड़ाते थे, इन्होंने कभी उनकी बातों पर गौर नही किया। स्कूल की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने कॉलेज में प्रवेश किया।

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कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद इन्होंने घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए रोजगार की तलाश शुरू कर दी। लेकिन शारीरिक असक्षमता उनके (Ram Chandra Agarwal) लिए फिर अभिशाप बन गयी। उन्हें कहीं नौकरी नही मिली।

कर्ज लेकर शुरू किया खुद का व्यवसाय

चारों तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद रामचंद्र ने खुद का कोई व्यवसाय शुरू करने की सोची। उन्होंने विचार किया कि कौन सा ऐसा क्षेत्र है जिसमें कम पैसे में अच्छे से अच्छा व्यवसाय शुरू क्या जा सके। कई दिनो के विचार-विमर्श के बाद उन्होंने शिक्षा क्षेत्र से जुड़े फोटोकॉपी की दुकान खोलने का फैसला किया। व्यवसाय क्षेत्र चुनने के बाद उनके पास सबसे बड़ी चुनौती थी की वो पैसे कहाँ से लाये। घर मे इतने पैसे नही की घर से लेकर पैसा व्यवसाय में लगाएं। इस बीच इन्होंने कुछ मित्रों से पैसे उधार लेकर1986 में फ़ोटो कॉपी की दुकान खोल दी।

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फ़ोटो कॉपी की दुकान खुलने के बाद रामचंद्र की आर्थिक स्थिति (Ram Chandra Agarwal) में कुछ सुधार आया। इन्होंने तकरीबन एक साल बाद कपड़े के उद्योग में फिर हाथ आजमाया। कोलकाता के लाल बाजार में कपड़ों की दुकान खोली। उन्होंने कपड़े और फोटोकॉपी की दुकान दोनों की चलाना जारी रखा। इनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया। उन्होंने दोस्तों को सारे पैसे चुका दिए और बिजनेस को बड़े स्तर पर शुरू करने की योजना बनाने लगे।

कोलकाता छोड़कर विशाल मेगामार्ट खोला

करीब 15 वर्ष के कपड़े के व्यवसाय में करने के बाद उन्होंने कुछ बड़ा करने का विचार किया और इन्होंने दिल्ली में आकर कपड़ा के उद्योग में संभावना तलाशना शुरू किया। इन्होंने दिल्ली में विशाल रिटेल की की स्थापना की और देखते ही देखते विशाल रिटेल विशाल रूप लेता गया। इन्होंने कोलकाता में अपने व्यासवाय को छोड़ दिल्ली में सारा व्यवसाय शिफ्ट कर लिया। इनकी दूरदर्शिता और मेहनत का ही नतीजा था कि इनका विशाल रिलेट का बिजनेस पूरे दिल्ली में फैल गया।

विशाल रिटेल बना विशाल मेगामार्ट

2002 में विशाल रिटेल के तहत विशाल मेगामार्ट की स्थापना की गई। दिल्ली एनसीआर में विशाल मेगामार्ट की बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया। विशाल मेगामार्ट के पोस्टर पूरे दिल्ली एनसीआर मे दिखने लगे। इतने बड़े पैमाने पर प्रचार का ये फल मिला कि विशाल मेगा मार्ट पूरे दिल्ली एनसीआर में जाना जाने लगा। विशाल मेगा मार्ट में कभी न कभी आपने भी शॉपिंग की होगी। त्यौहार के सीजन में विशाल मेगामार्ट की सबसे बड़ी सेल होती है। यही सेल ग्राहको की काफी आकर्षित करती है। विशाल मेगा मार्ट का बाजार धीरे-धीरे दिल्ली एनसीआर से निकल कर भारत के लगभग 30 शहरों में फैल गया।

घाटा हुआ तो बेचना पड़ा विशाल मेगामार्ट

सन 2006 से 2007 के बीच कंपनी का सबसे सुनहरा दौर था. कंपनी ने 2000 करोड़ का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) जारी किया था। रामचंद्र अग्रवाल ने कम्पनी को और ऊंचाइयों पर पहुँचाने के लिए बैंक से लोन काफी लोन ले लिया औऱ शेयर बाजार में लगा दिया। 2008 में दुनिया भर के शेयर बाजारों को गिरावट का सामना करना पड़ा। रामचंद्र का सारा पैसा शेयर बाजार में डूब गया। इनकी कंपनी को बैंक ने दिवालिया घोषित कर दिया। और इनको अपनी कम्पनी का शेयर बेचना पड़ा। कम्पनी के दिवालिया घोषित होने के बाद श्री राम ग्रुप ने विशाल रिटेल की हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह का बिकने से बच गयी बार अब कंपनी के दो हिस्से हो गए थे।

V2 रिटेल बाजार के नाम से खुदरा बाजार में वापसी

रामचन्द्र अग्रवाल ने परिस्थितियों से हर न मानते हुए बाजार में एक बार खुद को पुनः स्थापित करने की कोशिश करने लगे। उनकी मेहनत रंग लायी। V2 retail बाजार आज देश के लगभग 32 शहरों में है। यह भारत के सबसे तेजी से उभरते हुए रिटेल बाजारों में से एक है। यह ब्राण्ड त्यौहारी सीजन में लोगों को खूब आकर्षित करता है। V2 मॉल के अन्दर कॉफी भीड़ देखने को मिलती है।

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इनकी कहानी से हमें बस यही सीख मिलता है कि यही आपके अन्दर कुछ करने का जज्बा है तो आपको कोई भी नही हरा सकता है। परिस्थितियाँ कितनी भी विकट हो आपको हार नही मानना चाहिए। आप शरीर अक्षम होकर भी मस्तिष्क से मजबूत है तो आप विजेता बनकर लौटेंगे।

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