shyam sunder bishnoi ras : किसान का बेटा जिसने 11 बार मिली सरकारी नौकरी को ठुकराया, फिर कड़ी मेहनत कर बना RAS अधिकारी
shyam sunder bishnoi ras : सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाला हर शख्स चाहता है कि उसकी नौकरी लग जाए. नौकरी लगते ही बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो आगे के करियर में सफलता पाने के लिए पढ़ाई करें. ज्यादातर लोग अपनी सारी जिंदगी सरकारी नौकरी में मिले पद में ही गुजार देते हैं. आज हम आपको एक ऐसे किसान के बेटे की कहानी बताएंगे जिन्होंने सरकारी नौकरी मिलने के बाद अपने सपने के लिए हार नहीं मानी.उनका नाम श्याम सुंदर बिश्नोई है. नौकरी के बाद भी वो लगातार प्रयास करते रहें. उनकी मेहनत और लगन का असर ये हुआ कि आज वो राजस्थान के प्रशासनिक (RAS) अधिकारी बन गए हैं. आइए जानते हैं सुंदर बिश्नोई के सफर के बारे में जिसमें उन्होंने 11 बार नौकरी छोड़कर राजस्थान प्रशासनिक विभाग में अधिकारी के पद हासिल कर लिया
कौन हैं सुंदर बिश्नोई
राजस्थान के बीकानेर जिले के गांव गुलुवाली के रहने वाले श्याम सुंदर बिश्नोई एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं. उनके पिता का नाम धूड़ाराम बिश्नोई और माता का नाम सुशीला देवी है. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक सरकारी स्कूल से की. बचपन से ही श्याम सुंदर पढ़ाई में अच्छे थे. उन्होंने बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय से स्नातक किया. उन्होंने इसी कॉलेज से भूगोल और इतिहास में एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी की.
- ‘Studied Under Kerosene Lamps’: How a Boy From a Bihar Village Became an IAS Officer Without Coaching
- Aarti Dogra : कद छोटा होने की वजह मां-बाप के लिए बोझ समझते थे लोग, बनी IAS अधिकारी तो उड़ गए होश
- Aayushi Jain IAS : 2 साल नौकरी करने के बाद शुरू की यूपीएससी की तैयारी, असफलता मिलने पर भी नहीं मानी हार और बन गई IAS अधिकारी
श्याम सुंदर बताते हैं कि वो पढ़ाई के अलावा पिता के साथ खेती का काम भी किया करते थें. उनका परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर था. श्याम सुंदर के दो भाई संदीप कुमार, पवन व एक बहन सुमित्रा है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर उनके पिता हमेशा से सजक रहते थे. उन्होने बेटों और बेटी को बराबर पढ़ाया. उनका छोटा भाई संदीप कुमार राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल है. वहीं, दूसरा भाई पवन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। श्याम सुंदर की शादी मनीषा बिश्नोई से हुई है। मनीषा ने एमए, बीएड व एलएलबी की हुई है। इनके तीन साल की बेटी मनस्वी है।
आईपीएस प्रेमसुख डेलू हैं प्रेरणास्त्रोत
श्याम सुंदर बिश्नोई बताते हैं कि जब उन्होंने आरएएस की परीक्षा की तैयारी शुरु की. इस बीच प्रेमसुख डेलू (Premsukh delu ips) उनके साथ बीकानेर में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थें. प्रेमसुख डेलू रिश्ते में श्याम सुंदर के चचेरे भाई हैं. प्रेमसुख डेलू की मेहनत और लगन को देखकर श्याम सुंदर बहुत प्रभावित हुए.
डेलू की मेहनत देखकर श्याम सुंदर ने भी ठान लिया था कि वो भी एक दिन अधिकारी बनकर ही रहेगें. डेलू ने कड़ी मेहनत कर यूपीएससी परीक्षा पास कर ली और आईपीएस अधिकारी बन गए हैं. फिलहाल वो गुजरात के अंबरेली में एसपी के पद पर तैनात हैं.
12 बार श्याम सुंदर की लगी सरकारी नौकरी
श्याम सुंदर जब छोटे थे तभी से वो अधिकारी बनना चाहते थे. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद से उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी करना शुरू कर दिया था. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी. लेकिन खुद को बेहतर करने की उनकी लगन ने उन्हें साल 2011 से साल 2016 के बीच कई बार सफलता दिलाई. इस बीच उनकी कांस्टेबल के पद से लेकर आरएएस अधिकारी बनने तक कई बार नौकरी लगी.
वो बताते हैं कि इस 5 सालों में उनकी 12 बार नौकरी लगी. लेकिन जब तक वो अधिकारी ना बन गए तब तक वो नौकरी छोड़ते रहे. उन्होंने कांस्टेबल, शिक्षक ग्रेड अधिशासी अभियंता नगरपालिका और डीटीओ जैसी नौकरी में कुछ समय के लिए काम किया. इसके बाद उन्हें आरएएस अधिकारी बनकर सफलता हासिल कर ली
यूपीएससी में हासिल की 14वीं रैंक
श्याम सुंदर बिश्नोई की कड़ी मेहनत का नतीजा ये हुआ कि उन्होंने साल 2016 में राजस्थान की प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर ली. उन्होंने ये परीक्षा अपने चौथे प्रयास में सफल की. आरएएस की परीक्षा में उन्होंने (shyam sunder bishnoi ras rank) 14वीं रैंक हासिल की. फिलहाल वो अजमेर एसीएम के पद से चित्तौड़गढ़ उपखंड अधिकारी के पद पर कार्यरत है।
नौकरी के दौरान भी उनकी कर्तव्य निष्ठा देखने को मिल जाती है. उन्होंने चित्तौड़गढ़ के अप्सरा चौराहे पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर 14 अप्रैल 2020 को बेंगू विधायक राजेन्द्र सिंह विधुड़ी की गाड़ी का चालान काट दिया था। इसके बाद इनका तबादला संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी जयपुर के लिए कर दिया गया. श्याम सुंदर ना सिर्फ युवाओं के लिए प्रेरणा हैं बल्कि उन अधिकारियों के लिए भी प्रेरणा हैं जो सिस्टम के आगे नतमस्तक हो जाते हैं.