Rahul rohilla athlete : ओलंपिक की तैयारी कर रहे बेटे को जूते खरीदने के लिए बीमार माता पिता ने दवा का खर्च किया कम, अब बेटा टोक्यो ओलंपिक में दिखाएगा अपना दम
Rahul rohilla athlete : जिनके सिर पर मां-बाप का हाथ होता हैं वो कभी हारते नहीं हैं. वो अपनी जिंदगी में सफल हो जाते हैं. मां-बाप की सबसे खास बात तो यही होती है की वो अपना पेट काटकर बच्चों का पेट भरते हैं. इंसान की जिंदगी में जब हालात खराब होते हैं तो सबसे पहले उसे अपने मां-बाप ही याद आते हैं. ठीक ऐसा ही कुछ हुआ राहुल रोहिल्ला की जिंदगी में भी. गरीबी और मुश्किलों ने राहुल को कई बार ठोकर मारी लेकिन हर बार उनके मां-बाप ने राहुल पर आंच भी नहीं आने दी. आइए जानते हैं कैसे राहुल के मां बाप ने किस तरह उनका हर संघर्ष पर साथ दिया
कौन हैं राहुल रोहिल्ला
राहुल रोहिल्ला (Rahul rohilla athlete) दिल्ली के बहादुरगढ़ की इंदिरा मार्केट के पास रहते हैं. उन्होंने झारखंड के रांची में 13 फरवरी को राष्ट्रीय पैदल चाल प्रतियोगिता में भाग लिया था. इस प्रतियोगिता को जीतकर उन्होंने रजत पदक हासिल किया था. टोक्यों 2021 में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में उनका चयन हो गया है.
ओलंपिक के लिए चुने गए राहुल ने साल 2013 में खेलना शुरू किया था. राहुल (rahul rohilla olympics) का एक ही सपना था की वो देश के लिए ओलंपिक खेलें. ओलंपिक खेलने का सपना राहुल ने देख तो लिया था. लेकिन हालात से इतने मजबूर थे की ये सपना पूरा कैसे होगा वो नहीं जानते थे. राहुल के दिमाग में दिन-रात बस ओलंपिक खेलने का ही खयाल रहता था. वो दिन-रात बस यही सोचते रहते थे की वो ये सपने कैसे पूरा करेंगे.
मां-बाप ने बेटे के लिए जिंदगी दांव पर लगा दी
एकतरफ राहुल ओलंपिक का सपना देख रहे थे तो दूसरी तरफ उनके माता-पिता काफी बीमार रहा करते थे. राहुल के पिता इलेक्ट्रिशियन का काम किया करते थे. उनकी मां घर संभालती हैं. घर के साथ ही माता-पिता के हालात अच्छे नहीं थे. हालात कुछ इस कदर थे की करीब 10-12 हजार रुपये की दवाई हर महीने आती थी. इस बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि उनके माता-पिता किन परिस्थितियों से जूझ रहे थे.
धीरे-धीरे हालात इतने खराब होने लगे की राहुल की प्रैक्टिस में मुश्किले आनी लगी. जिसकी वजह से वो अपनी डाइट और वॉकिंग के लिए जूतों का भी इंतेजाम भी नहीं कर पा रहे थे. बेटे की ऐसी हालत देख कर उनके मां-बाप ने राहुल से झुठ बोलना शुरू कर दिया की अब उनकी तबीयत ठीक है और इतनी दवाइयों की जरूरत नहीं है. ऐसे कहते हुए अपनी दवाई के आधे पैसों से उन्होंने बेटे की प्रैक्टिस में खर्च करना शुरू कर दिया.
आर्मी कोटे से राहुल को मिली नौकरी
साल 2017 में खेल कोटे की आर्मी में राहुल का सिलेक्शन हो गया. इसके बाद उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की. कड़ी मेहनत और मां-बाप के आशीर्वाद से राहुल की किस्मत चमक गई. कड़ी मेहनत के बाद राहुल (rahul rohilla) आब ओलंपिक खेलने के लिए जा रहे हैं. राहुल कहते हैं कि ओलंपिक क्वालीफाई करने के लिए 20 किलोमीटर 1 घंटे 20 मिनट में पूरी करनी होती है. पहले उनका उनका चयन एशियाड में हो गया था. लेकिन कोरोना के कारण गेम्स रद्द हो गए थे. फिर उन्होंने ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी
भाई ने दिया हर कदम पर सहारा
जिस दौरान राहुल तैयारी कर रहे थे, तब उनके भाई ने बहुत साथ दिया. राहुल बताते हैं कि उनके ताउ के लड़के ने उन्हें इस रेस को क्वालीफाई करने में हौसला बढ़ाया. उनके भाई ने एक कोच की तरह उनकी मदद की.
उन्होंने रांची में एक घंटे 20 मिनत 26 सकेंड में 20 किलोमीटर की दूरी पूरी करके रजत पदक हासिल कर ओलंपिक के लिए भी अपना टिकट पक्का कर लिया. गरीबी और कठिन दौर का सामना कर रहे राहुल को परिवार का भरपूर साथ मिला. अब उनकी टोक्यो ओलंपिक 2021 की यात्रा में पूरा देश राहुल के साथ है. हमारी तरफ से राहुल को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. राहुल ऐसे ही देश का नाम रोशन करते रहें.