IAS Gopala Krishna Ronanki : मजदूर के बेटे को कोचिंग संस्थानों ने नहीं दिया दाखिला, खुद पढ़ाई कर बना IAS टॉपर

IAS Gopala Krishna Ronanki : मजदूर के बेटे को कोचिंग संस्थानों ने नहीं दिया दाखिला, खुद पढ़ाई कर बना IAS टॉपर

IAS Gopala Krishna Ronanki : अगर किसी के मन में सच्ची लगन हो तो वो किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकता है. गोपाल कृष्णा रोनांकी का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा हुआ था. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी. परिस्थितियों से लड़कर जो आगे बढ़ता है असल मायने में वहीं होता है सच्चा हीरो.

इस बात का बिल्कुल सही उदहारण है (IAS topper Gopala Krishna Ronanki) गोपाल कृष्णा. UPSC सिविल सेवा में 2016 की परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल करने वाले गोपाल की जिंदगी से हम काफी कुछ सीख सकते हैं. आज जानते हैं उनको और उनकी जिंदगी को और भी करीब से.

कौन हैं आईएएस गोपाल कृष्णा

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव परसम्बा में रहने वाले गोपाल कृष्णा पेशे से एक स्कूल टीचर थे. उनके पिता का नाम अप्पाराव और माता का नाम रुक्मिनम्मा था. पिता दूसरों के खेतों में मजदूरीं करते थे. परिवार आर्थिक तंगी से परेशान से जूझ रहा था. गोपाल कृष्णा पढ़ाई लिखाई में तो ठीक थे लेकिन उनकी परिस्थितियां उनका साथ नहीं दे रही थी. वो बताते हैं कि उनके माता पिता एकबार एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे. जिसके बाद उनके माता पिता का सामाजिक रूप से 25 साल तक के लिए बहिष्कार कर दिया गया.

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एकतरफ पैसों की कमी उनका आर्थिक शोषण कर रही थी तो दूसरी तरफ उनके माता पिता का दलित समुदाय की शादी में शामिल होने की वजह से किया गया सामाजिक बहिष्कार उनके भीतर की बेचैनी को बढ़ा रहा था. यही कारण था कि वो कितनी भी मेहनत करके अपने परिवार को खोया हुआ सम्मान दिलाना चाहते थे. अपने सपनों को साकार करने के लिए गोपाल ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा देने का मन बना लिया. हालांकि अब ये बात तो सभी जानते हैं कि सिविल सेवा परिक्षा पास करना इतना आसान नहीं था.

अच्छे स्कूल में नहीं हो सकी पढ़ाई

गोपाल कृष्णा के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह थी कि वो अपनी शुरुआती पढ़ाई किसी अच्छे स्कूल या कॉलेज में नहीं कर सके. उन्होंने 10वीं की पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से की. 12वीं की पढ़ाई पलासा जूनियर कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने डिस्टेंस एजूकेशन का सहारा लेकर तेलुगू माध्यम में अपनी पढ़ाई पूरी की. 12वीं की पढ़ाई के बाद बाद उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में हिस्सा लिया.

इसके बाद वो एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करने लगे. इस दौरान उन्होंने अपने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. स्कूल में वो बच्चों को पढ़ाते फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी करते थे. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया.

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एक साक्षात्कार में गोपाल ने बताया है कि जब वो सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे उस दौरान कोई भी कोचिंग सेंटर उन्हें पढ़ाने के लिए तैयार नहीं था. कोचिंग संस्थान संचालकों का कहना था कि वो पिछड़े इलाके से आते हैं इस वजह से उन्हें कोचिंग सेंटर में दाखिला नहीं मिल सकता है. इसके बाद उन्होंने सेल्फ-स्टडी कर यूपीएससी परीक्षा पास कर ली

सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए नहीं थे पैसे

बहुत मेहनत करने के बाद किसी भी तरह गोपाल ने परिक्षा पास कर ली. सिविल सेवा परीक्षा, 2016 में प्रतिष्ठित तीसरी रैंक हासिल करने के बाद, गोपाल कृष्णा रोनांकी की जिंदगी में एक और चुनौती थी, जब उन्हें 2 जून को 20 टॉपर्स के सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) से अचानक निमंत्रण मिला। लेकिन इस दौरान उनकी आर्थिक तंगी उन्हें इस समारोह में जाने की इजाजत नहीं दे रही थी. इसके बाद उन्होंने गाँव के किसी व्यक्ति से 50,000 रुपये उधार लिए और दिल्ली आ गए. बता दें कि ये पहली बार था कि वो हवाई जहाज में अपने बड़े भाई आर के कोंडा राव के साथ यात्रा कर रहे थे, जो बैंक में काम करते हैं।

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गोपाल कभी भी हार मानने वालों में से नहीं है. उनको हमेशा से ही पता था की उनको अपनी जिंदगी में क्या चाहिए. इसीलिए उन्होंने खुद को मानसिक रूप से हमेशा तैयार रखा. कड़ी मेहनत की और सुनहरे रंगों के साथ सबके सामने निखर गए. गोपल कृष्णा की कहानी एक ऐसे हीरों की तरह है जिसने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए सफलता के मुकाम हो हासिल कर लिया.

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