Sandeep Desai : लोकल ट्रेन में भीख मांगकर प्रोफेसर ने जुटाए 1 करोड़ रुपए, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए खोले स्कूल
Sandeep Desai : भारत जैसे देश में स्टेशन, मंदिर के सामने भीख मांगते भिखारी अक्सर नजर आ जाते हैं। लेकिन कभी किसी पढ़े-लिखे, व अपने करियर में पूरी तरह से सेट इंसान को कभी किसी ने भीख मांगते नहीं देखा होगा। ऐसे में यदि आपके सामने कोई यह कहे कि एक प्रोफेसर ने भीख मांग करोड़ो की रकम जुटाई तो शायद आपके लिए इस पर यकीन करना मुश्किल हो। लेकिन आज हम आपके सामने ऐसी स्टोरी लेकर आए हैं जो पूर्णतया सच है।
कौन हैं प्रोफेसर (Sandeep Desai) संदीप देसाई
आज के इस पोस्ट में हम बात कर रहे हैं जाने माने संस्थान एसपी जैन मैनजमेंट कॉलेज के प्रोफेसर संदीप देसाई की। समाज सेवा में रुचि रखने वाले संदीप ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो काबिले तारीफ है। प्राइवेट कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट रह चुके संदीप ने अपने करियर की शुरुआत मैरीन इंजीनियरिंग के तौर पर की थी। लेकिन इनकी इच्छा थी कि वो गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद करें.
एक कार्यक्रम के दौरान संदीप देसाई ने बताया कि जब उन्होंने नौकरी छोड़ गरीब बच्चों के लिए संस्था की शुरुआत करना चाहा तो उन्हें पैसे की जरूरत थी ऐसे में उन्होंने लगभग 200 से भी अधिक कारपोरेट कंपनियों से मदद मांगने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। तब उनके मन में ख्याल आया कि लोकल ट्रेन में चल रहे यात्रियों से पैसे की मदद ली जाए।
लोकल ट्रेन में चढ़कर जुटाया गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा
लोकल ट्रेन में मदद देने की शुरुआत करने का अनुभव शेयर करते हुए संदीप ने बताया कि जब वह पहली बार एक ट्रेन में मदद की लेने के उद्देश्य से चढ़े तो तीन-चार स्टेशन गुजर जाने तक उनकी हिम्मत नहीं हुई लोगों से पैसे मांगने की। इसके बाद जब उन्होंने किसी तरह से हिम्मत जुटाई और शुरू करना चाहा तो सबसे पहले तीन चार लड़के उनकी मदद के लिए आगे आए। इनमें से एक लड़के ने यह कहते हुए ₹2 इनके हाथ में दिए कि 1 दिन गुटखा कम खा लेंगे, लेकिन पढ़ाई के लिए मदद करने से पीछे नहीं हटेंगे।
इस तरह ट्रेन में भीख मांग मांग कर संदीप देसाई ने एक करोड़ से भी अधिक की रकम एकत्रित की और संस्था की शुरुआत की। आज संदीप जिस संस्था का संचालन कर रहे हैं उसकी कीमत दो करोड़ से भी अधिक की है और अभिनेता सलमान खान ने भी इस संस्था में मदद की है।
लोगों की मदद के जरिए पूरी की थी खुद की शिक्षा
संदीप की माताजी एक शिक्षिका है। इनके पिता जी जब मात्र 2 साल के थे तभी उनके दादा जी का देहांत हो गया था। ऐसे में लोगों की मदद के जरिए इनके पिता मुंबई पढ़ाई के लिए पहुंचे थे। संदीप को लगता है कि इस तरह गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद कर वह अपने पिता का समाज द्वारा दिया गया कर्ज उतार रहे हैं।
लगभग 17 साल पहले संदीप ने मुंबई के स्लम एरिया में अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत की थी जिसमें 300 से अधिक गरीब बच्चे पढ़ते थे। बाद में साल 2009 में इन्हें एहसास हुआ कि ऐसे क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने चाहिए जहां पर इस तरह के स्कूलों का अभाव है। फिर उन्होंने लगभग 800 से भी अधिक बच्चों को मुंबई स्थित अंग्रेजी माध्यम स्कूल में आरटीआई के माध्यम से दाखिला दिलवाया और खुद महाराष्ट्र स्थित गांव बंजारा में एक स्कूल की स्थापना की। यह गांव सूखा प्रभावित था और तंगी की वजह से यहां के किसान आत्महत्या कर रहे थे। ऐसे में संदीप ने यहां के ग्राम वासियों को आशा की एक किरण दिखायी है। उनका सपना है कि पूरे देश में लगभग 100 ऐसे स्कूल खोले जाए जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाए।