Mukti Group : महीने में 60 रुपए कमाने वाले शख्स ने खड़ा किया अरबों का साम्राज्य, मुश्किल से हो सकी पढ़ाई
Mukti Group : हर सफल व्यक्ति के पीछे कड़ी मेहनत और लगन होती है। मेहनत और लगन के बल पर ही कोई भी इंसान सफलता का मुकाम हासिल कर सकता है। सफल इंसान अपनी कमजोरियों को ताकत बनाकर उसका सही इस्तेमाल करता है। इसका नतीजा यह होता है कि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। आज हम जिस शख्स के बारे में बताएंगे उन्हें मात्र ₹60 प्रति माह वेतन के तौर पर मिलता था।
इस वेतन की मदद से वह घर का खर्च भी चलाते थे और अमीर शख्स बनने का सपना भी देखते थे। अपने जीवन में कठिनाइयों को झेलते हुए उन्होंने अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। इस शख्स का नाम राजकुमार गुप्ता है जिन्होंने गरीब परिवार में जन्म लिया और अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा किया ।
कौन है राजकुमार गुप्ता
पंजाब के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार गुप्ता आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। उनके परिवार में इतनी गरीबी थी की उनकी शुरुआती पढ़ाई भी बड़ी मुश्किल से हो पाई। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की और इसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए वो कोलकाता चले गए।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1978 में उन्होंने एक कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। यह कंपनी उन्हें हर माह ₹60 वेतन के तौर पर देती थी। काफी दिनों तक इस कंपनी में काम करने के बाद वो हिंदुस्तान मोटर्स में काम करने लगे। इसके बाद उनकी सैलरी में बढ़ोतरी हुई। हिंदुस्तान मोटर्स में उन्हें व्यापार से जुड़े गुण सीखने को भी मिले।
शुरुआत से ही वो व्यापार करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने हिंदुस्तान मोटर्स से थोड़े पैसे जुटाकर खुद का व्यापार शुरू किया। शुरुआती समय में उनका व्यापार बहुत छोटे स्तर का था। लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें इस व्यापार में सफलता दिला दी। इस व्यापार में सफल होकर उन्होंने मुक्ति ग्रुप की नींव रखी। साल 1984 में पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के पास उन्होंने अपने पहले आवासीय अपार्टमेंट की नींव रखी। उनसे मुक्ति अपार्टमेंट को अच्छा खासा मुनाफा हुआ
राजकुमार गुप्ता दान में रखते हैं विश्वास
राजकुमार गुप्ता जितने अच्छे व्यवसायी हैं उतना ही वो उदारवादी भी हैं। दान दक्षिणा में वह बहुत ज्यादा विश्वास रखते हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि दान करने के लिए जरूरी नहीं है कि आप मोटी रकम अदा करें। आप छोटी-छोटी मदद करके भी नेक काम कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर आप स्टेशन पर मटके के घड़े रखवाकर आने जाने वाले मुसाफिरों की मदद कर सकते हैं। जिससे आने जाने वाले लोगों को पीने का साफ पानी मिल सके। राजकुमार एक दवाखाना भी चलाते हैं जिसमें कोई भी गरीब शख्स जाकर उस दवा खाने से मुफ्त में दवाइयां ले सकता है। इस तरह से उनके समाज सेवा के कार्यों से राजकुमार व्यवसायी तो हैं ही साथ ही लोगों की नजरों में बहुत प्रतिष्ठित शख्स भी हैं।
एयरलाइंस उद्योग जगत में नहीं मिली जगह
उन्होंने अपनी एयरलाइंस कंपनी की शुरुआत करने की योजना बनाई. इस क्षेत्र में उन्हें बिलकुल अनुभव नहीं था. इसके बावजूद भी उन्होंने दिल्ली आकर उड्डयन मंत्री से मुलाकात की. हालांकि मंत्रालय चाहता था कि वो ऐसे आदमी को लाइसेंस दें जिसके बाद तकनीकी प्रशिक्षण और दूसरे सारे मापदंड हों.
राजकुमार गुप्ता ने मंत्रालय के सचिव को बताया कि “वो मानते हैं कि उनके पास तकनीकि प्रशिक्षण नहीं है लेकिन उन्हें व्यवसाय करना बहुत अच्छी तरह से आता है. वो फाइनेंस की जुगाड़ कर सकते हैं और लोगों को अपने साथ शामिल कर उनसे काम करा सकते हैं. तत्कालीन सचिव राजकुमार से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने लाइसेंस दे दिया। लेकिन जब वे एयरलाइंस शुरू करने वाले थे।
तभी उस समय हुए हर्षद मेहता घोटाला ने राष्ट्र को हिलाकर रख दिया था। जिसका असर ये हुआ कि उदारवादी अर्थव्यवस्था में हलचल मच गयी और निवेशकों ने एयरलाइन जैसे जोखिम भरे उद्यम को छूने से मना कर दिया. इसका उन्हें बहुत बुर झटका लगा. लेकिन अपने आप को संभालते हुए वो दोबारा से अपने व्यवसाय में लग गए. आज रियल इस्टेट के व्यापार में अरबोंं रुपयों का कारोबार कर रहे हैं.