Deputy Collector Sachin Singh : हर माता पिता अपने बच्चों को उनके जीवन में सफल देखना चाहते हैं. वहीं, बच्चों का भी सपना होता है कि वो अपने माता पिता का हर सपना पूरा करें. आज हम आपको ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें बेटे ने पिता का सपना पूरा करने के लिए अच्छी खासी प्राइवेट नौकरी को छोड़ दिया. इस बेटे का नाम सचिन है.
बेटे को कंपनी से सालाना 31 लाख का पैकेज मिलता था. लेकिन पिता ने बेटे को देश के लिए काम करने का सपना देखा. बेटे ने भी पिता का सपना पूरा करने के लिए प्राइवेट नौकरी छोड़कर प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करनी शुरू कर दिया. पिता का सपना पूरा करने का जुनून और मेहनत, लगन से सचिन ने UPPCS 2019 में 7वीं रैंक हासिल कर सफलता पा ली. आइए जानते हैं सचिन के कामयाबी के सफर के बारे में
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गाँव खरजून के रहने वाले हैं. सचिन के पिता संजय सिंह प्राथमिक विद्यालय सिरकिना में प्रधानाचार्य हैं. उनका परिवार आर्थिक तौर पर ज्यादा समर्ध्य नही था. लेकिन पिता ने अपने बेटे को पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. सचिन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल बदलापुर से की. गांव में स्कूल ज्यादा बेहतर नहीं थे.
इसलिए उन्होंने साल 2010 में 10वीं की और आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गए. यहां उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने IIT की तैयारी करना शुरू कर दिया. पढ़ाई लिखाई में अच्छा होने के कारण उनका IIT में सिलेक्शन हो गया. यहां उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक की पढ़ाई की.
सचिन ने IIT से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में आई कंपनी में इंटरव्यू दिया. साल 2017 में उनकी गोल्डमैन साश के बंगलूरू ऑफिस में नौकरी लग गई. जिस वक्त उनकी नौकरी लगी तब उन्हें कंपनी सालाना 31 लाख रुपए का पैकेज दे रही थीं. सचिन अपनी नौकरी को लेकर काफी उत्साहित थें. लेकिन उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा देश की सेवा करे. उनके पिता को बेटे की ये नौकरी पसंद नहीं आई. उनका सपना था कि बेटा प्रशासनिक अधिकारी बनकर पिता का नाम रौशन करे.
सचिन को जब उनके पिता ने बताया कि बेटा मेरी इच्छा ही कि तुम प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करो. और देश की सेवा लोगों के बीच रहकर करो. हालांकि सचिन को सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के बारे में कुछ नहीं पता था. उन्हें इस परीक्षा के पैटर्न के बारे में भी जानकारी नहीं थी. इन सबके बावजूद भी उन्होंने पिता का सपना पूरा करने के लिए अपनी कॉर्पोरेट नौकरी को छोड़ दिया. सिविल सेवा की तैयारी के लिए वो दिल्ली जाकर तैयारी करने लगे. उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से तैयारी करना शुरू कर दिया. लेकिन पहली बार में वो इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाए. साल 2020 में उन्होंने दोबारा मेहनत करना शुरू कर दिया.
इस बार उन्होंने पिछली बार की अपेक्षा ज्यादा मेहनत की. कहते हैं कि मेहनत का फल मीठा ही होता है. सचिन मेहनती तो थे ही साथ ही बड़ों की दुआएं भी थी. उन्हें इस परीक्षा में सफलता हासिल हो गई. UPPCS-2019 की परीक्षा में उन्हे सफलता हासिल हो गई. और उन्होंने मेरिट लिस्ट में जगह बना ली. उन्होंने इस परीक्षा में 7वीं रैंक हासिल कर माता पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. सचिन अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता को देते हैं. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि प्रशासनिक सेवा में उनकी बिलकुल इच्छा नहीं थी, लेकिन माता पिता ने उन्हें इस काबिल देखने के लिए हर संभव प्रयास किया.
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