IAS Nirish rajput : दर्जी के बेटे ने अखबार बेचकर की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी, 370वीं रैंक हासिल कर बना आईएएस अधिकारी

IAS Nirish rajput : दर्जी के बेटे ने अखबार बेचकर की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी, 370वीं रैंक हासिल कर बना आईएएस अधिकारी

ias nirish rajput : कड़ी मेहनत और लगन के अलावा सफलता का कोई और विकल्प नहीं होता है. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों पर ये कथन सटीक बैठता है. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहें हैं उन्होंने गरीबी का सामना करते हुए यूपीएससी परीक्षा में टॉप कर ये बता दिया कि सफलता हालात देखकर नहीं मिलती. इस आईएएस अधिकारी का नाम निरीश राजपूत है.

आर्थिक तंगी का सामना कर रहे परिवार के बीच उन्होंने यूपीएससी परीक्षा कि तैयारी के दौरान घर घर जाकर अखबार बांटने का काम किया. आइए जानते हैं कैसे आर्थिक तंगी और बुनियादी जरूरतों का सामना कर रहे निरीश ने देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.

कौन हैं (IAS Nirish rajput) आईएएस निरीश राजपूत

नीरीश राजपूत मध्य प्रदेश में भिंड जिले के महुं गांव के रहने वाले हैं. वो एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता दर्जी का काम करते थे. निरीश बताते हैं कि कमजोर घर की आर्थिक स्थिति के बीच परिवार में 5 लोगों का भरण पोषण करना बहुत मुश्किल हो जाता था. निरीश अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहते थे. घर की आर्थिक स्थिति सही ना होने के कारण उन्हें पढ़ाई के लिए बुनियादी जरूरतों का सामना करना पड़ता था. उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक सरकारी स्कूल से हुई. बचपन से ही पढ़ाई में तेज निरीश राजपूत ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए.

बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने ग्वालियर से ग्रेजुएशन करने का विचार किया. लेकिन परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अब उनके पास पढ़ाई के लिए पैसे जुटाना काफी मुश्किल हो रहा था. इसलिए उन्होंने घर घर जाकर अखबार बांटने का काम शुरू किया. इस दौरान उन्होंने ग्वालियर से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई पूरी की.

उन्होंने यहां भी अच्छे नंबरों से परीक्षा पास की और पहला स्थान हासिल किया. निरीश ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनका परिवार चाहता था कि वो यूपीएससी की तैयारी कर आईएएस अधिकारी बनें. वहीं, निरीश भी बचपन से अधिकारी बनना चाहते थे. उनकी पढ़ाई के खर्च के लिए उनके भाइयों ने काफी मदद की. उन्होंने निरीश की पढ़ाई का खर्च उठाया.

एक दोस्त ने की मदद और दूसरे दोस्त ने दिया धोखा

निरीश बताते हैं कि एक बार वो अपने उत्तराखंड में एक दोस्त के पास यूपीएससी मैटेरियल लेने के लिए गए थे. वहां उन्हें धोखा मिला. उस दोस्त ने निरीश से कोचिंग संस्थान में पढ़ाने की सलाह दी. 2 सालों तक निरीश ने पूरी मेहनत के साथ कोचिंग संस्थान में पढ़ाया. जिसके बाद वो कोचिंग संस्थान अच्छा खासा चलने लगा. जब कोचिंग संस्थान में काफी बच्चे आने लगे तो उस दोस्त ने निरीश को वहां से निकाल दिया और उन्हें बेइज्जत कर कहा कि तुम यूपीएससी की तैयारी नहीं कर सकते हो.

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दोस्त के द्वारा मिले धोखे के बाद निरीश को बहुत ज्यादा दुख हुआ. इसके बाद वह सीधा दिल्ली आ गए. यहां उनकी मुलाकात अंकित से हुई जोकि यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. निरीश ने अंकित से मदद मांगी और उन्हीं के कमरे में रहकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे. पैसों की कमी के चलते उन्होंने सेल्फ स्टडी करने का फैसला लिया. निरीश बताते हैं कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान वो करीब 18 घंटे की पढ़ाई करते थे. वो अंकित की ही किताबें और स्टडी मैटेरियल से अपनी पढ़ाई करते थे

यूपीएससी परीक्षा में भाइयों ने बढ़ाया निरीश का हौसला

नीरीश राजपूत के लिए यूपीएससी परीक्षा किसी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं थी. उन्होंने पहली बार जब यूपीएससी परीक्षा दी तो उन्हें सफलता नहीं मिल पाई. इस बार उनकी तैयारी पूरी नहीं थी लेकिन सकारात्मक सोच के साथ तैयारी करने में पीछे नहीं हटे और एकबार फिर से उन्होंने प्रयास किया. इस बार भी निरीश यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर पाए. एक तो उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति दूसरा यूपीएससी में सफलता ना मिलने से वो काफी परेशान होने लगे.

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इस बीच उन्होंने अपने 2 शिक्षक भाइयों से बात की उन्होंने निरीश को प्रयास करने के लिए उत्साहित किया. जिसके बाद निरीश ने फिर से यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए तैयारी शुरू कर दी. इस बीच उन्होंने अपनी रणनीति भी बदल दी.

370वीं रैंक हासिल कर बनें आईएएस अधिकारी

मेहनत और लगन के पक्के निरीश राजपूत को तीसरे प्रयास में सफलता मिल गई. उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 370 वीं रैंक हासिल की. इस रैंक के साथ उनके बचपन का आईएएस अधिकारी बनने का सपना भी पूरा हो गया. नीतीश के दर्जी पिता को बेटे कि सफलता पर बहुत गर्व हुआ. नीतीश को देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. उनकी सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो खराब आर्थिक स्थिति के बीच मेहनत करना छोड़ देते हैं. अगर किसी काम को आत्मविश्वास के बल पर किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है.

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