ias kanishak kataria : विदेश में अच्छी खासी नौकरी छोड़कर शुरू की यूपीएससी की तैयारी, पहली रैंक हासिल कर किया परिवार का नाम रौशन
ias kanishak kataria : अगर मन में कुछ बड़ा हासिल करने जज्बा हो और दिल में राष्ट्रप्रेम हो तो आप बड़े से बड़े अवसरों को ठुकरा कर देश की सेवा में लग जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने विदेश में करोड़ों रुपए की पैकेज वाली एक मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब को छोड़कर देश के सेवा करने के लिए यूपीएससी की तैयारी की.
इस आईएएस अधिेकारी का नाम कनिष्क कटारिया है. इन्होंने अपने आप में विश्वास और दृढ़ संकल्प के बल पर ना केवल यूपीएससी की परीक्षा पास की बल्कि अपने दूसरे प्रयास में अच्छी रैंक हासिल कर ली. आइए जानते हैं आईएएस कनिष्क कटारिया ने कैसे देश की सबसे कठिन परीक्षा को इतनी आसानी से पास कर लिया.
कौन है आईएएस कनिष्क कटारिया
आईएएस कनिष्क कटारिया राजस्थान के रहने वाले हैं. इनके पिता संवर लाल वर्मा और उनके ताऊ के सी वर्मा भी एक आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. पिता और ताऊ के आईएएस अधिकारी होने की वजह से इन्होंने बचपन से ही अपने परिवार में सिविल सर्विसेज का रुतबा देखा. इनके पिता की पोस्टिंग कोटा के आसपास के जिलों में हुई. जिसके कारण इनकी शुरुआती पढ़ाई कोटा में ही हुई. बचपन से ही कनिष्क गणित विषय में काफी अच्छे थे.
गणित विषय में इनकी कुशाग्रता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इन्होंने 10वीं और 12वीं दोनों में 100 फीसद अंक हासिल किए. गणित विषय में इन्हें हिंदुस्तान ओलंपियाड में प्रथम स्थान भी हासिल हुआ. एक साक्षात्कार में कनिष्क ने बताया था कि परिवार में पिता और ताऊ दोनों आईएएस में होने की वजह से शुरुआत में उनका रुझान आईएएस बनने की तरफ नहीं था. इसलिए उन्होंने शुरुआती पढ़ाई के बाद इंजीनियर बनने का विचार किया.
कुछ महीनों की जेईई मेंस की कोचिंग करने के बाद इन्होंने अपना एडमिशन भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान IIT Bombay (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे) में हो गया. कनिष्क ने IIT Bombay ( इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी) से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग करने के बाद उत्तर कोरिया की एक नामी-गिरामी कंपनी में काम करने लगे. वो बतातें हैं कि जिस कंपनी में वो काम कर रहे थे, वहां उन्हें अच्छा खासा वेतन मिलता था.
हालांकि उत्तर कोरिया में नौकरी करते हुए उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था. वो देश में आकर कुछ करना चाहते थें. करीब एक साल के भीतर ही ये भारत वापस आ गए. उन्होंने देखा कि विदेश के लोगों के जैसी सुख-सुविधाएं हमारे भारत देश में लोगों के लिए क्यों नहीं हैं जिसके बाद इन्होंने व्याप्त समस्याओं व गरीबी को दूर करने की ठानी ,जो कि सिस्टम का हिस्सा बनकर ही संभव था. इसलिए इन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करके सिस्टम का हिस्सा बनकर अपने उद्देश्य को पूरा करने का संकल्प लिया और अपने प्रयास में लग गए।
पिता ने बिना बताए भरा यूपीएससी फार्म
अगर हम मूलतः देखें तो कनिष्का कटारिया का यह दूसरा प्रयास था जिसमें उन्होंने टॉप किया इससे पहले भी कनिष्क बताते हैं कि उनके पिता जो कि आईएएस थे उन्होंने कनिष्का का फॉर्म बिना बताए ही भर दिया और परीक्षा के 1 दिन पहले बताया. फिर मजबूरी में कनिष्क को एग्जाम देने जाना पड़ा और कोई भी सफलता हाथ नहीं लगी क्योंकि बिना किसी तैयारी के किसी सफलता की उम्मीद करना बेवकूफी है इस प्रकार कनिष्क कहते हैं कि उनका यह प्रयास एक मजाक ही था।
परीक्षा की तैयारी में इंटरनेट का करें समझदारी से इस्तेमाल
आईएएस कनिष्क कटारिया बताते हैं कि जिन विषयों से अपनी स्कूलिंग में जान बचाकर भागे थे लगभग वो सारे विषय इन्हें दोबारा से पढ़ना पड़ा. दरअसल हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की काफी पढ़ाई का हिस्सा यूपीएससी परीक्षा में पूछा जाता है. गणित की पढ़ाई में तेज होने की वजह से इन्होंने गणित को वैकल्पिक विषय के रूप में रखा।कनिष्क यूपीएससी की तैयारी के दौरान 8 से 10 घंटे की अपनी पढ़ाई करते थे और परीक्षा से पहले इन्होंने 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई की।
आईएएस कनिष्क सोशल मीडिया और इंटरनेट को पढ़ाई के लिए बड़ा हथियार मानते हैं. वो कहते हैं कि सोशल मीडिया का समझदारी से इस्तेमाल करने पर आपकी यूपीएससी तैयारी पर अच्छी खासी मदद भी हो सकती है. कनिष्क कहते हैं कि जब वो तैयारी करते थे तब उन्होंने अपने दोस्तों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा था. जिसमें वो अपनी समस्याओं को एक दूसरे के साथ शेयर किया करते थे. उसका सॉल्यूशन भी निकालते थे. इसके अलावा उन्होंने मोबाइल फोन का उपयोग केवल अपने घरवालों माता-पिता, दोस्तों से बात करने के लिए किया।
न्यूज़ चैनलों को देखकर खुद को किया इंटरव्यू के लिए तैयार
एक साक्षात्कार में कनिष्क कटारिया ने बताया था कि उन्होंने राज्यसभा टीवी जैसे न्यूज़ चैनलों की डिबेट को देखकर खुद को इंटरव्यू के लिए तैयार किया. राज्यसभा जैसे चैनलों में डिबेट ऐसे विषयों पर होती है जो यूपीएससी परीक्षा में काफी फायदेमंद साबित होता है. कई बार तो परीक्षा में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनपर डिबेट हो चुकी होती है. इसके साथ ही वो इंटरव्यू के तरीके के बारे में बताते हैं कि इंटरव्यू पैनल के सदस्य इतने क्रिएटिव होते हैं कि उनसे आप बच नहीं सकते हैं. आप अगर बनावटी हो रहे हैं तब आपकी असलियत सामने आ जाती है. जब भी आप साक्षात्कार के लिए जाएं आप जैसे हैं वैसा ही अपने आप को पेश करें।
पहली रैंक हासिल कर बने आईएएस अधिकारी
साल 2018 में उन्हें यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता हासिल हो गई. इस परीक्षा में इन्होंने पहली रैंक हासिल की. देशभर के परीक्षार्थियों के बीच कनिष्क की पहली रैंक आने पर माता पिता बहुत खुश हुए. इन्हें राजस्थान कैडर अलॉट किया गया है.
कनिष्क की कहानी उन युवाओं के प्रेरणा है जो ये सोचते हैं कि अब बहुत देर हो चुकी है. अगर लगन और मेहनत करने का जज्बा हो तो सफलता हासिल की जा सकती है