IAS Elambahavath : पिता की मौत के बाद दूसरों के खेतों में किया काम, गरीबी के कारण 19 साल तक की कड़ी मेहनत फिर बना आईएएस अधिकारी
IAS Elambahavath : मेहनत और लगन से कोई भी शख्स अपने टैलेंट को निखार सकता है. किसी भी शख्स का टैलेंट ही उसके जीवन में आनी वाली बाधाओं से हिफाजत करने में मदद करता है. गरीबी, शारीरिक एवं मानसिक लाचारी से वो अपने टैलेंट के बल पर ही विजेता बन सकता है. इसलिए कहा जाता है कि प्रतिभा को रोका नहीं जा सकता है. आपके जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर ये मददगार साबित हो सकती है. आज जिस आईएएस अधिकारी के बारे में हम आपको बताएंगे, उनका नाम एलमबहावत है.
उनका जीवन बहुत ही अच्छा बीत रहा था. मां का हाथ और पिता का आशीर्वाद उनके साथ था. लेकिन अचानक पिता की मौत ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी. आर्थिक तंगी और पिता की कमी ने उनकी जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष की बदौलत यूपीएससी परीक्षा पास कर सबको हैरान कर दिया. आइए जानते हैं एलमबहावत के जीवन के संघर्ष से सफलता हासिल करने के सफर के बारे में..
कौन हैं आईएएस एलमबहावत
तमिलनाडू के जिले थनजावूर के एक छोटे से गांव चोलागनगूडिक्कडू में रहने वाले एलमबहावत (IAS Elambahavath family) मीडिल क्लास फैमिली से थे. उनके पिता ग्राम प्रशासनिक अधिकारी थे. वहीं, माता एक सोशल वर्कर थीं. उनका बचपन ठीक-ठाक बीत रहा था. अचानक किसी बीमारी के कारण साल 1997 में उनके पिता की मौत हो गई. पिता के निधन के बाद एलमबहावत और उनके परिवार की जिंदगी पूरी तरह बदल गई.
घर का मुखिया ना रहने से परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा. उस दौरान एलमबहावत 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें अपनी 12वीं की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. वो अपनी मां के साथ खेतों में काम करने जाने लगें. हालांकि इस दौरान वो जानते थे कि अगर जीवन में सफल होना है, तो उन्हें निरंतर पढ़ाई करते रहने होगा. इसलिए उन्होंने कुछ पैसोंं का जुगाड़ करके पढ़ाई जारी रखी. कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. और फिर मद्रास विश्वविद्यालय से इतिहास में ग्रेजुएट हो गए. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के कुछ दिन बाद वो सरकारी नौकरी की तैयारी में लग गए.
तमाम प्रयासों के बाद भी लंबे समय तक नहीं मिली नौकरी
सरकारी नौकरी के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किए लेकिन उनके सभी प्रयास असफल ही रहे. वो जितनी मेहनत से पढ़ाई कर रहे थे उस आधार पर उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी. इसी दौरान एलमबहावत ने प्लान किया कि वो यूपीएससी (upsc Elambahavath) की तैयारी करेंगे. इस बार वो जानते थे कि इस परीक्षा का लक्ष्य बहुत बड़ा है. इसलिए उन्होंने खुद को किताबों की तरफ झोक दिया.
वो पढ़ाई के साथ साथ इस परीक्षा को पास करने की रणनीति भी बनाते. पहले वो खेतों में पूरे दिनभर काम करते इसके बाद वो सार्वजनिक लाइब्रेरी में जाकर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते थे. कड़ी मेहनत और सटीक रणनीति ने उनके नतीजों को बदल कर रख दिया.
आखिरी मौके पर पास की यूपीएससी परीक्षा
उन्होंने कई तमिलनाडू की स्टेट पब्लिक सर्विस परीक्षाएं पास की. फिर भी उनका आईएएस बनने का सपना अभी भी बहुत दूर था.उन्होंने राज्य सरकार की ग्रुप-1 सर्विस को ज्वाइन कर लिया। इसके बावजूद भी उन्होंने अपने आईएएस अधिकारी बनने के सपने को खत्म नहीं होने दिया। एलमबहावत राज्य सरकार की नौकरी मिलने के बाद भी वो लगातार यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। वो जितनी बार भी परीक्षा देते थे उतनी बार उन्हें सफलता हासिल नहीं हो पाती थी। वो पांच बार मेंस और तीन बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचें लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। लेकिन उन्होंने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया।
वो जानते थे कि एक ना एक दिन वो इस कठिन परीक्षा को पास ही कर लेंगे. अचानक इनकी क़िस्मत ने साथ भी से दिया। 2014 में केंद्र सरकार ने उन लोगों को 2 और मौके दिये जो सिविल सेवा एप्टीट्यूड में किसी कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे। ये मौका उनके लिए एक वरदान की तरह साबित हुआ। उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए साल 2015 का आईएएस परीक्षा का अंतिम प्रयास किया। इस प्रयास में वो सफल रहे। आईएएस स्टेट कैडर में उन्होंने 117वीं रैंक (IAS Elambahavath rank) हासिल की। आज वो पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।