ias ankita choudhary : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान हुई मां की मौत, 14वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अधिकारी
Ias ankita choudhary : डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम का कथन है कि – ”वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक़्त देखें जाते है, सपने वह सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है।”
यूपीएससी की परीक्षा में पास करना ऐसा ही एक सपना है, जिसको पूरा करने के लिए दिन का सुकून और रात की नींद खोनी पड़ती है। तब जाकर यूपीएससी के इम्तेहान में सफलता मिलती है। आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे ही आईएएस अधिकारी की कहानी बताएंगे जिन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का सपना तो देख लिया, लेकिन उन्हें यह भी पता था कि मंजिल तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है। लेकिन राह में आने वाली मुश्किलों के बारे में सोच कर डरने के बजाय उन्होंने हिम्मत से कदम आगे बढ़ाया और सफलता की नींव रखी। इस आईएएस अधिकारी का नाम अंकिता चौधरी है।
कौन हैं (ias ankita choudhary) आईएएस अंकिता चौधरी
अंकिता हरियाणा राज्य के एक छोटे से कस्बे की रहने वाली है। वो बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता का नाम सत्यवान है. जोकि रोहतक की चीनी मिल में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं. अंकिता ने अपनी शुरुआती शिक्षा रोहतक जिले के मेहाम से पूरी की। रोहतक के इंडस पब्लिक स्कूल से उन्होंने अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की. शुरुआत से ही अंकिता पढ़ाई में काफी अच्छी थी।
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई मेहाम से पूरी करने के बाद अंकिता ने स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली जाने का फैसला लिया।जिसके बाद अंकिता ने दिल्ली जाकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करना शुरू कर दिया। अंकिता जिस दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी. उसी दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को पास करने का सपना भी देख लिया था. जिसके लिए वो पूरी मेहनत के साथ तैयारी करने लगीं.
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान हुई मां की मौत
यूपीएससी परीक्षा का सफर अंकिता के लिए आसान नहीं था. जिस दौरान वो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थी तभी एक सड़क हादसे में उनकी मां का निधन हो गया. मां की मौत के सदमें से अंकिता एकमदम टूट गईं थीं. जिसके बाद उन्होंने फिर से हौसला जुटाया और अपने परिवार और खुद को भी संभाला.
अंकिता ने खुद को संभालते हुए यूपीएससी की पढ़ाई जारी रखी. पहले प्रयास में अंकिता को यूपीएससी की परीक्षा में सफलता नहीं मिली। लेकिन परीक्षा में मिली असफलता ने उनके मनोबल को गिरने नहीं दिया बल्कि उन्होंने और भी अधिक मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी में जुट गई। अंकिता ने पहले प्रयास में हुई गलतियों को सुधारा और नई रणनीति के साथ अगले प्रयास की तैयारी की।
परीक्षा की तैयारियों के विषय में अपने अनुभव को साझा करते हुए अंकिता बताती हैं कि उन्होंने परीक्षा में सब्जेक्ट अपनी रूचि के अनुसार चुने हुए थे। परीक्षा के लिए नोट्स वह खुद तैयार करती थी, जिसके सिलेबस को वह बहुत सीमित रखती थी। नोट्स बनाने में उन्होंने इमेजेस और बुलेट प्वाइंट्स पर ज्यादा ध्यान दिया, जिससे उन्हें नोट्स को समझने में सहायता मिलती थी।अंकिता के यूपीएससी परीक्षा के पास करने का सफर आसान नहीं था।
अंकिता का कहना है कि वह साइंस की स्टूडेंट थी और केमिस्ट्री उनका फेवरेट सब्जेक्ट था लेकिन यूपीएससी की तैयारी के दौरान सब कुछ बिल्कुल अलग था। इसलिए अंकिता को सब्जेक्ट चुनने में थोड़ी कठिनाई हुई, फिर उन्होंने अपनी रूचि के अनुसार सब्जेक्ट का चुनाव किया।
14वीं रैंक हासिल कर बनीं आईएएस अधिकारी
अंकिता की अटूट मेहनत का असर साल 2018 की परीक्षा में देखने को मिला. उनकी अटूट मेहनत और हौसले से उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली. साल 2018 में अंकिता ने ऑल इंडिया 14वीं रैंक के साथ यूपीएससी में सफलता हासिल कर ली। इसके साथ ही उन्होंने अपने आईएएस अधिकारी बनने के सपने को भी पूरा कर लिया. यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अंकिता का सुझाव देती हैं कि अभ्यर्थियों को मेंस की तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अंकिता का कहना है कि छात्रों को अपने विषयों का चुनाव हमेशा अपनी रूचि के अनुसार करना चाहिए इससे तैयारी में आसानी होती है। इसके अलावा तैयारी के लिए कम से कम पुस्तकों का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि यदि छात्र अधिक किताबों से अध्ययन करते हैं तो कन्फ्यूजन होने के चांस बढ़ जाते हैं। अतः कम से कम किताबों का अधिक से अधिक रिवीजन करना चाहिए।
आईएएस अंकिता चौधरी उन अभ्यर्थियों के लिए एक मिसाल है, जिन्हें लगता है कि छोटे शहर में रहने की वजह से उन्हें ज्यादा सुविधाएं नहीं मिल पा रही है इस वजह से उन्हें मंजिल तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है। आईएएस अंकिता ने यह साबित कर दिया कि यदि मन में चाह हो और पूरी लगन के साथ मेहनत की जाए, तो आपकी सफलता पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ता है कि आप कहां से आए हो। सच्ची लगन से की गई मेहनत सफलता के बीज अवश्य बोती है।