Dr. Nagarjun B Gowda IAS : आर्थिक तंगी का सामना कर रहे नागार्जुन ने पास की यूपीएससी परीक्षा, 418वीं रैंक हासिल कर बनें IAS अधिकारी

Dr. Nagarjun B Gowda IAS : आर्थिक तंगी का सामना कर रहे नागार्जुन ने पास की यूपीएससी परीक्षा, 418वीं रैंक हासिल कर बनें IAS अधिकारी

Dr. Nagarjun B Gowda IAS : UPSC परीक्षा एक ऐसी परीक्षा है जिसमें सफलता हासिल करके देश का सबसे बड़ा अधिकारी बनने का सपना पूरा होता है। इस परीक्षा को पास करने का सपना लगभग हर युवा का होता है, लेकिन मंजिल तक पहुंचने का रास्ता इतना कठिन होता है कि इस राह पर चलने की हिम्मत सब नहीं जुटा पाते। फिर भी हर साल इस परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी अधिकारी बनने का सपना लेकर बैठते हैं। लेकिन सफलता चुनिंदा लोगों को ही हासिल हो पाती है।

यूपीएससी परीक्षा में सफल होने वाले युवा, अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी राह में आई हर मुश्किलों को पार कर सफलता की नई कहानी लिख दी। नई पीढ़ी के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गये हैं। आज की इस पोस्ट में हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर नागार्जुन बी गौड़ा की।

कौन हैं (Dr. Nagarjun B Gowda IAS) आईएएस नागर्जुन गौड़ा

नागार्जुन बी गौड़ा का जन्म 9 मई 1992 को कर्नाटक राज्य के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनका परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था। इसके साथ ही नागार्जुन जिस गांव में रहते थे वहां पर खास सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थी। बचपन से ही ये अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहते थे। शुरुआत से ही कड़ी मेहनत और लगन से ये पढ़ाई किया करते थे। इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, नागार्जुन ने मेडिकल का एंट्रेंस एग्जाम दिया, जिसमें इनका चयन हो गया।

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इंटर के बाद इन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद नागार्जुन एक हॉस्पिटल में रेजिडेंट के पद पर नौकरी करने लगे। नौकरी अच्छी थी, लेकिन यह इसमें संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि इनकी मंजिल कहीं और थी। जी हां, नागार्जुन एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहते थे। लेकिन चूंकि इनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, इसलिए नौकरी करना भी बेहद आवश्यक था। ऐसे में इन्होंने नौकरी के साथ- साथ यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया।

नौकरी के साथ शुरू की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी

एक तरफ जहां ये पूरी ईमानदारी से अपनी नौकरी कर रहे थे, दूसरी तरफ सच्ची लगन से यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। डॉक्टरी के पेशे और यूपीएससी की तैयारी के बीच में तालमेल बिठाना मुश्किल था, लेकिन नागार्जुन ने कभी हार नहीं मानी। ड्यूटी के बाद 6- 8 घंटे का समय ये अपनी तैयारी में दिया करते थे। संसाधनों की कमी होने के बावजूद, यह पूरी शिद्दत के साथ अपनी तैयारी में जुटे रहे।

418वीं रैंक हासिल कर बनें IAS अधिकारी

कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत नागार्जुन ने साल 2018 में 418वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. हालांकि इन्हें पहले प्रयास में सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत के साथ तैयारी में जुटे रहे। जिसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे ही प्रयास में इन्हें यूपीएससी में सफलता मिल गई। हाल ही में उन्होंने आईएएस सृष्टी देशमुख के साथ सगाई के बंधनों में बंधे गए हैं

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नागार्जुन का कहना है कि यदि सही रणनीति के साथ आप रोजाना 6 से 8 घंटे का वक्त पढ़ाई के लिए निकाल लेते हैं, तो नौकरी के साथ भी इस परीक्षा को उत्तीर्ण करना संभव है। इसके साथ ही नागार्जुन का कहना है कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि कोर्स जितनी जल्दी हो सके खत्म कर लिया जाए। जिससे रिवीजन के लिए अधिक से अधिक समय मिल सके।

यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं कैंडीडेट्स के लिए नागार्जुन की सलाह देते हैं कि अगर आप यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो, संसाधनों का रोना ना रोए। मंजिल तक पहुंचने के लिए खुद अपनी राह बनाएं। इनका कहना है कि यदि सही रणनीति के साथ बगैर कोचिंग के भी यदि यूपीएससी की तैयारी की जाए तो सफलता प्राप्त की जा सकती है। नागार्जुन का मानना है कि यदि स्मार्ट तरीके, कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ यूपीएससी की तैयारी की जाए तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है।

नागार्जुन बी गौड़ा की सफलता की कहानी, उन छात्रों के लिए बेहद प्रेरणादायक साबित हो सकती है, जिनका कहना है कि वह छोटे शहर से है। साथ ही ऐसे अभ्यर्थी भी नागार्जुन से प्रेरणा ले सकते हैं, जिनका कहना है कि पैसे की कमी की वजह से वह अच्छे कोचिंग संस्थान में प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं जिसकी वजह से सफलता की राह में मुश्किलें आ रही है। नागार्जुन ने साबित कर दिया है कि अगर मन में सच्ची लगन हो तो, संसाधनों की कमी कभी सफलता की राह में आड़े नहीं आ सकती।

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