Divyanshu Nigam IAS : इंटरव्यू राउंड से पहले हुआ पिता का निधन, फिर भी नहीं टूटा हौसला दी यूपीएससी परीक्षा और बने IAS अधिकारी
Divyanshu Nigam IAS : UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक हैं। हर साल लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन चयन सीमित लोगों का ही होता है। हर किसी अभ्यर्थी की जिंदगी में चुनौतियों का स्तर भी अलग-अलग होता है, ऐसे में इस परीक्षा की तैयारी करना हर किसी के लिए एक समान भी नहीं होता। हालांकि कड़ी मेहनत और परिश्रम के सहारे इस परीक्षा को पास करना आसान हो जाता है। हवाओं के विपरीत जाकर चुनौतियों से जूझते हुए सफलता हासिल करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है।
एक ऐसा ही उदाहरण की आज हम बात करने वाले। सफलता की कहानी में आज बात करेंगें IAS Topper दिव्यांशु निगम की। दिव्यांशु की सफलता किसी फिल्मी पिक्चर जैसी है और प्रेरणा से भरी हुई भी। दिव्यांशु उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं, जिन्होंने दु:खों का पहाड़ लेकर तरक्की की सीढ़ियां चढ़ी हैं। जिन हालातों के बीच उन्होंने UPSC जैसी परीक्षा को क्रैक किया है, वो ना सिर्फ काबिले तारीफ है, बल्कि बहुत बड़ी मिशाल भी है।
कौन हैं (Divyanshu Nigam IAS) दिव्यांशु निगम?
दिव्यांशु निगम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं। उनकी शुरूआती पढ़ाई-लिखाई लखनऊ से ही हुई है। जिसके बाद उन्होंने गोवा के बिट्स पिलानी इंस्टीट्यूट से केमिकल इंजीनियरिंग में B.Tech की डिग्री हासिल की है। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अपने IAS बनने के सपने को साकार करने के लिए UPSC की तैयारी शुरू कर दी।
शुरूआती दौर में दिव्यांशु ने कड़ी मेहनत करते हुए इस परीक्षा की बारीकियों को समझा और लगातार आगे बढ़ते रहे। उनके परिवार ने भी हमेशा उनका सपोर्ट किया। दिव्यांशु बताते हैं कि उनके पिता का सहयोग और भरोसा हमेशा उनके साथ रहा। वो जब भी निराश होते थे, अपने पिता की प्रेरणा की बदौलत आगे बढ़ जाते थे।
मुश्किलों भरा रहा UPSC का सफर
दिव्यांशु ने जब अपना पहला UPSC अटेम्प्ट दिया तो उन्होंने प्रीलिम्स एग्जाम क्लियर कर लिया। जिसके बाद वो मेन्स की तैयारी में जुट गए। हालांकि उन्हें असफलता हाथ लगी। पहली असफलता को भुलाते हुए दिव्यांशु आगे बढ़े और उन्होंने दूसरे अटेम्प्ट के लिए और कड़ी मेहनत शुरू कर दी। जिसके बाद उन्होंने UPSC का अपना दूसरा अटेम्प्ट दिया। दूसरी बार भी दिव्यांशु का प्री-क्लियर हो गया लेकिन वो एक बार फिर मेन्स में अटक गए। हालांकि लगातार दो प्रयासों की असफलता से दिव्यांशु निराश तो हुए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
दिव्यांशु ने अपने तीसरे प्रयास के लिए इतनी जी-तोड़ मेहनत की, कि इस बार उन्होंने प्री और मेन्स दोनों के एग्जाम पास कर लिए। अब नंबर था इंटरव्यू राउंड का, जिसके लिए दिव्यांशु हर तरह से अपने आपको तैयार करने में लगे थे। इस बीच एक दुखद घटना उनके साथ घट गई। दिव्यांशु ने बताया है कि इंटरव्यू की तैयारी के दौरान कोरोना की वजह से अचानक उनके पिता एस.के. निगम की तबीयत खराब हो गई। हालात ये हो गए कि उन्हें लखनऊ के SGPGI अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा और दुर्भाग्यवश, अस्पताल में ही उनकी मृत्यु भी हो गई। दिव्यांशु के मुताबिक उस वक्त उनके ऊपर जो दुखों का पहाड़ टूटा था, उससे वो गहरे सदमे में चले गए थे। इंटरव्यू की तैयारी को लेकर उनका दिमाग तक काम नहीं कर रहा था।
विपरीत परिस्थितियों में बनाए रखी हिम्मत
पिता को खोने के बाद दिव्यांशु पूरे तरह से टूट गए थे। उस वक्त खुद को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने किसी तरह संयम बनाए रखा और मजबूती के साथ डटे रहे। इसी का परिणाम था कि तीसरे प्रयास में आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई। उन्होंने ऑल इंडिया 44वीं रैंक हासिल की और अपने सपने को साकार कर दिखाया। दिव्यांशु को सफलता तो मिली लेकिन उनके पिता उस सफलता को देख नहीं पाए, इस बात का गम आज भी उन्हें है।