Awanish sharan ias : 10वीं की परीक्षा में थर्ड डिवीजन से पास होने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, मेहनत से की पढ़ाई और बनें IAS अधिकारी
Awanish sharan ias : अक्सर हम देखते कि असफल होने के बाद लोग हार मानकर अपने लक्ष्य से पीछे हट जाते हैं। पर जो हारने के बाद भी अपने लक्ष्य पर अड़े रहते हैं वही कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ पाते हैं। कामयाबी की एक जीती जागती मिसाल हैं, बिहार के छोटे से गांव के रहने वाले अवनीश शरण। जिन्होंने अपने शुरुआती समय में मिली असफलताओं को नजरअंदाज किया और लगातार मेहनत करके आईएएस तक का सफर तय किया।
बिहार के अवनीश शरण उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो विफलताओं के कारण हार मानकर अपने आगे तक के अंजाम का अंदाजा लगा लेते हैं। और प्रयास करना छोड़ देते हैं। लेकिन अवनीश ने दिखा दिया कि लगातार प्रयास और मेहनत करते रहने से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। फिर चाहें आपकी मंजिल कितनी भी कठिन क्यों न हो।
कौन हैं (Awanish sharan ias) अवनीश शरण
बिहार के एक छोटे से गांव केवटा के रहने वाले अवनीश के आईएएस बनने का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। उनका सारा बचपन संघर्षों के बीच गुजरा। किसने सोचा था की पढ़ाई में रुचि न रखने वाला लड़का एक दिन आईएएस बनेगा। अवनीश शरण ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि 10वीं में उनके केवल 44.5% मार्क्स आये थे। 12वीं में 65% और ग्रेजुएशन में उन्हें 60.7% अंक मिले।
असफलताओं से हार मानकर गलत कदम उठाने वाले लोगों के लिए भी अवनीश ने मिसाल कायम की है। अवनीश के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें काफी मुशीबतों का सामना करना पड़ा। वह इतने भी सक्षम नहीं थे कि उनके घर में एक लाईट की भी व्यवस्था हो। अवनीश शरण ने लाईट के अभाव में केवल लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करके अपने सपने को साकार किया।
कहां से मिली IAS अधिकारी बनने की प्रेरणा
अवनीश शरण ने बताया कि, उनके गांव में कई बार कार्यक्रम के दौरान आईएएस अधिकारी आते थे जिनका काम उन्हें बेहद प्रभावित करते थे। जब वह ग्रेजुएशन कर रहे थे तब उनके कॉलेज में एक युवा आईएएस निरीक्षण के लिए आए उनके कार्य ने भी अवनीश को काफी प्रभावित किया बस इन्हीं सबसे प्रेरित होकर उनके मन में आईएएस बनने का विचार आया और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने आईएएस बनने के लक्ष्य को हासिल कर लिया।
2017 में IAS अधिकारी के तौर पर बनाई अलग पहचान
आईएएस अधिकारी अवनीश शरण 2017 में तब चर्चा में आये, जब उन्होंने अपनी पत्नी की डिलिवरी सरकारी अस्पताल में कराई। यही नहीं उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन भी सरकारी स्कूल में कराया। इसके बाद से लोगों ने इनके कामों की खूब सराहना की, और तभी से ये चर्चा में आ गये।
आईएएस अवनीश शरण का बचपन गरीबी और मुसीबतों के बीच गुजरा। लेकिन कठिन परिश्रम और लगन के साथ उन्होंने अपने आईएएस के सपने को साकार किया। उनकी सफलता की ये कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है जो गरीबी के आगे घुटने टेककर अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते। उन्होनें अपनी पत्नी की डिलीवरी सरकारी अस्पताल में कराई और अपनी बेटी का सरकारी स्कूल में दाखिला कराकर लोगों का झुकाव सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की तरफ करने का प्रयास किया।