2016 में 6 लाख बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से हुई : रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में हैरान करने वाले आकड़े जारी किए है. इन आंकड़ों में बताया गया है कि विश्व में 15 वर्ष से कम उम्र के लगभग 93 प्रतिशत(1.8 अरब) बच्चे वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य से जुड़ी हई समस्याएं बढ़ रहीं हैं.विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि ये आंकड़ें बताते हैं कि वायु प्रदूषण के चलते विश्व की जनसंख्या कितनी गंभीर समस्या से गुजर रही है.
वहीं, इन आंकड़ों में सबसे चिंताजनक समस्या तो ये भी है कि 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे करीब 6 लाख बच्चों की मौत हो गई. इन बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से होने वाली सांस की बीमारी से हुई. रिपोर्ट के अनुसार दूषित हवा में चलते बच्चों की श्वसन प्रक्रिया खराब हो गई, जिससे इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई.
मंगलवार को डब्ल्यूएचओ के पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान आई वायु प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण प्रेगनेंट महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होता है. प्रदूषण की चपेट में आने से बच्चों का जन्म समय से पहले ही हो जाता है, जिससे बच्चे या तो छोटे होते है या फिर उनका वजन कम रह जाता है. वायु प्रदूषण रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है जिससे बच्चों को बचपन में ही कैंसर और अस्थमा जैसी गंभीर परेशानी से भी गुजरना पड़ सकता है.विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बच्चों के ज्यादा प्रदूषण में रहने से उनकों भविष्य में कार्डियोवैस्कुलर संबंधी बीमारियों गुजरना पड़ सकता है
बच्चे प्रदूषण की चपेट में आसानी से आ जाते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह ये होती है कि बच्चे आम व्यस्कों की अपेक्षा ज्यादा जल्दी सांस लेते हैं.वहीं बच्चे जमीन के पास ज्यादा रहते हैं जिससे हानिकारक प्रदूषण के कण उनके शरीर में आसानी से पहुंच जाते हैं. ये ऐसे समय बच्चों के शरीर में असर डालते हैं जब बच्चों का विकास हो रहा होता है, जिससे बच्चों का विकास भी रुक जाता है और बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है.
जाहिर है अगर प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में इसके काफी बुरे परिणाम देखने को मिल सकते हैं जिनमें बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं प्रमुख होंगी.