मौत को दावत देने वाली तम्बाकू का सेवन आखिर क्यों करते हैं लोग

मौत को दावत देने वाली तम्बाकू का सेवन आखिर क्यों करते हैं लोग

नशा एक ऐसी बीमारी है जो हमें और हमारे अपनों को जीवन भर रुलाने की वजह बन सकती है। समाज का हर तबक़ा, हर उम्र के लोग नशे की चपेट में आते जा रहे हैं। आज बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष सभी नशे की लत से घिरे हुए हैं और यह स्थिति दिन ब दिन भयावह रूप लेती जा रही है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के रिसर्चर्स का कहना है कि तम्बाकू का सेवन धूम्रपान के रूप में करने से आपके गले की नली जहा से आप सांस लेते है उसमें ऐसा नुकसान पहुँचा सकता है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी वह नुकसान की भरपाई नही की जा सकती, इसलिए स्मोकर्स अगर खुद को यह दिलासा देते हैं कि वह आज तो सिगरेट पी रहे है पर कल छोड़ देंगे, तो वह खुद को ही नुक्सान पहुंचा रहे होते हैं। एक आंकड़े के अनुसार, साल 2020 तक मौत के तीन मुख्य कारणों में से एक स्मोकिंग द्वारा होने वाले रोग बन जाएंगे।

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कई कारणों से लोग तम्बाकू का सेवन करना शुरू करते है। कभी स्ट्रेस कम करने के लिए तो कभी गुस्से में, कभी टाइम पास करने और अक्सर शौक समझकर तम्बाकू का सेवन करते हैं, पर अंदाजा नहीं लगा सकते कि आप जिस तरह से तम्बाकू को सहजता से खा रहे हैं उसका उतना ही दयनीय परिणाम भी है। खैनी, सिगरेट, बीड़ी, गुटखा वगैरा तम्बाकू को जिस भी रूप में लिया जाए इसके नुकसान निश्चित हैं। तम्बाकू का नशा कोई एक समस्या ना होकर कई समस्याओं की जड़ है और यह शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान तो करता ही है साथ ही मौत को जल्दी बुला देता है।

हो सकता है सिगरेट का एक कश लगाकर आप दिन भर कामकाज के तनाव को भले ही कुछ पल भूल जाएं पर धूम्रपान की आपकी आदत शरीर के कई हिस्सों के लिए खतरे की घंटी है। कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर, गले का कैंसर, मुंह, किडनी, ब्लैडर, पैंक्रियाज और पेट में कैंसर का रिस्क अधिक होता है। इसके अलावा अधिक धूम्रपान करने वालों को दिल के रोगों और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। कार्बन और निकोटिन का मिश्रण शरीर में हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। तम्बाकू, खैनी, गुटखा जर्दा, सुर्ती और पान मसाले के नाम पर तंबाकू खाना अगर आपकी आदत का हिस्सा हो चुका है तो आपकी इस आदत को बदलने की कुछ बेहद जरूरी वजहें हो सकती हैं। तंबाकू में 28 किस्म के कार्सिनोजेनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है।

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तंबाकू से ल्यूकोप्लाकिया का रिस्क अधिक रहता है जिसमें दांत और मसूड़े तेजी से सड़ते हैं। मुंह के कैंसर का यह बहुत बड़ा कारण है। गले का कैंसर का रिस्क अधिक रहता है। तंबाकू में मौजूद निकोटिन हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है जिससे दिल के रोगों की आशंका अधिक रहती है। भोजन करने की इच्छा खत्म कर देता है।

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आज हुक्का न सिर्फ गांवों तक सीमित है बल्कि तमाम पब, होटलों और रेस्तरां में हुक्के (तंबाकू युक्त हुक्के) का चलन बढ़ा है। अगर आप इसे सिगरेट के विकल्प के रूप में देखते हैं तो सेहत पर इसका प्रभाव जानना जरूरी है, हुक्का में सिगरेट की तरह ही टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, हेवी मेटल्स और कार्सिनोजेनिक तत्व हैं जो कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं। इससे मुंह का कैंसर, दिल के रोग और फेफड़ों के कैंसर की आशंका सबसे अधिक होती है। सिगरेट की तरह ही हुक्के का निकोटिन भी हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। गर्भावस्था के दौरान हुक्का पीने या हुक्का पीने वालों के दौरान मौजूद रहने से गर्भवती महिलाओं के गर्भ को नुकसान हो सकता है। हुक्के के पाइप से कई प्रकार के संक्रमणों का रिस्क अधिक रहता है।

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