Syed Riyaz Ahmed IAS : 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद यूपीएससी परीक्षा में भी मिली 4 बार असफलता, मेहनत और लगन से बने आईएएस अधिकारी
Syed Riyaz Ahmed IAS : यूपीएससी परीक्षा को लेकर ये अवधारणा है कि इस परीक्षा को सिर्फ टॉपर छात्र ही पास कर पाते हैं. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं. उन्होंने इस विचारधारा को ग़लत साबित कर दिया है. इस आईएएस अधिकारी का नाम सैयद रियाज़ अहमद है.
उनकी कहानी उन युवाओं को जरूर पढ़नी चाहिए जो पढ़ाई में कमजोर होने की सोच रखकर अपने सपनों के लिए प्रयास भी नहीं करते हैं. रियाज़ की कहानी इसलिए ज़रूरी हैं क्योंकि उन्होंने 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद भी यूपीएससी का सपना देखना नहीं छोड़ा. और फिर से कड़ी मेहनत की बदौलत यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल कर ली. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे ये सफलता हासिल की
कौन हैं (Syed Riyaz Ahmed IAS) आईएएस सैयद रियाज अहमद
सैयद अहमद रियाज नागपुर के रहने वाले हैं. रियाज़ का परिवार आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं था. वहीं, माता पिता के ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. पिता ने तीसरी तक पढ़ाई की थी और मां ने सातवीं तक पढ़ाई की थी. इसके बावजूद भी उन्होंने रियाज़ अहमद की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. रियाज़ ने शुरुआती पढ़ाई नागपुर से ही की. उन्होंने 10वीं की परीक्षा में अवसत अंक हासिल किए. लेकिन 12वीं में वो फेल हो गए. 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद उन्हें परिवार के सामने काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा.
हालांकि उन्होंने फिर से प्रयास किया और परीक्षा पास कर ली. बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद राजनीति से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. बचपन से ही आईएएस बनने का सपना पूरा करने के लिए वो पूना चले गए. यहां उन्होंने पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई करना तो शुरू कर दिया था लेकिन उन्हें परीक्षा कि पूरी जानकारी नहीं थी.
चौथे प्रयास में असफलता के बाद पिता ने बढ़ाया हौसला
यूपीएससी की तैयारी कर साथ उन्होंने पहली बार साल 2014 में पहली बार प्रयास किया. इस बार वो प्रीलिम्स की परीक्षा भी पास नहीं कर पाए. इसके बाद उन्होंने साल 2015 में फिर से प्रयास किया. वो बताते हैं कि इस परीक्षा में उन्होंने 93 प्रश्न हल किए थे. लेकिन नेगेटिव मार्किंग के कारण वो ये परीक्षा एक नंबर से पास नहीं कर पाए. उन्होंने जामिया की आईएएस अकादमी में प्रवेश ले लिया था.
इसी दौरान उनकी मुलाकात एक दोस्त से हुई. असफलता का सामना कर रहे रियाज़ ने अपने बारे में उन्होंने अपने दोस्त से साझा किया. दोस्त ने उन्हें पढ़ाई कि रणनीति बदलने कि सलाह दी. साल 2016 की परीक्षा में उनकी रणनीति का असर देखने को मिला. प्रीलिम्स की परीक्षा ना पास करने वाले रियाज़ ने इस बार प्रीलिम्स और मेंस की परीक्षा पास कर ली. लेकिन इंटरव्यू में वो नहीं निकाल पाए.
इसी साल रियाज़ के पिता नौकरी से रिटायर हो गए थे. जिसके बाद रियाज़ ने पिता से आर्थिक सहायता नहीं मांगी. साल 2017 में फिर से वो यूपीएससी परीक्षा में प्रीलिम्स में पास हो गए लेकिन मेंस की परीक्षा क्लियर नहीं कर पाएं. लगातार 4 बार के प्रयासों पर असफलता मिलने के बाद वो निराश होने लगे. पिता ने रियाज़ को समझाया कि अगर तुम प्रायस करना छोड़ दोगे तो सपना, सपना ही रह जाएगा. रियाज़ ने पिता की बात मानकर फिर से कोशिश की. इस बार उन्होंने स्टेट पीसीएस की परीक्षा भी दी. इस परीक्षा को पास कर वो रेंज फोरेस्ट ऑफिसर बन गए. नौकरी लगने के बाद अब उन्हें पिता से आर्थिक मदद की ज़रूरत नहीं पड़ती थी.
261वीं रैंक हासिल कर बने आईएएस अधिकारी
रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर बनने के बाद भी रियाज ने यूपीएससी की तैयारी करना नहीं छोड़ा. उनके दिमाग में आईएएस बनने का फितूर इस कदर सवार था कि उन्होंने साल 2018 में एक बार फिर से प्रयास किया. इस बार उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस की परीक्षा पास कर ली. लेकिन उन्होंने बताया कि इंटरव्यू उनका ज्यादा अच्छा नहीं हुआ है. पिता ने बेटे की बात को सुना और कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम आईएएस अधिकारी बन गए हो.
इस परीक्षा की जब मेरिट लिस्ट आई तो उसके नतीजे देख कर रियाज भी हैरान रह गए. इस बार रियाज़ ने यूपीएससी परीक्षा में 261वीं रैंक हासिल कर ली थी. रियाज ने यह खुशखबरी सबसे पहले अपने पिता को दी और उन्हें फोन कर बताया कि वो सेलेक्ट हो गया है. उन्होंने आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया है. रियाज की कहानी हम उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत है जो एक या दो असफलताओं के बाद हार मान लेते हैं. मेहनत लगन और जुनून से किसी काम को किया जाए तो उसमें सफलता जरूर मिलती है.