Somnath mali isro : माता-पिता दूसरों के खेतों में करते थे मजदूरी, बेटा ISRO में सीनियर साइंटिस्ट बना तो 10 दिनों तक छुपाई खुशी
Somnath mali isro : अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं या सफल होना चाहते हैं तो आपको मेहनत और लगन के दृण संकल्प के साथ काम करते रहना है. आज हम आपको गांव के एक ऐसे बच्चे की कहानी बताएंगे जिसने गांव से भारतीय अनुसंधान केंद्र (ISRO) तक का सफर तय किया. इस लड़के का नाम सोमनाथ माली है. जिन्होंने गांव के स्कूल में पढ़ाई से लेकर इसरो तक का सफर तय कर साबित कर दिया कि परिस्थितियां सफलता की मौताज नहीं होती है.
आइए जानते हैं कैसे उन्होंने एक छोटे से गांव से ISRO में सीनियर वैज्ञानिक बनने तक का सफर तय किया. हम आपको ऐसे ही एक लड़के की जानकारी देने जा रहे है, जिसके मां-बाप ने खेतों में मजदूरी करके पढ़ाया लिखाया और आज वह ISRO में सीनियर वैज्ञानिक बन चूका है।
कौन हैं ISRO सीनियर वैज्ञानिक सोमनाथ माली
सोमनाथ माली महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में पंढरपुर तहसील के छोटे से गांव सरकोली के रहने वाले हैं. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. सोमनाथ (Somnath mali isro education) के माता पिता खेतों में मजदूरी करते थे. मजदूरी करके जितनी आय होती थी ज्यादातर वो सोमनाथ की पढ़ाई में खर्च हो जाती थी. उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई.
इसके बाद उन्होंने आईआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. सोमनाथ के अलावा उनका एक बड़ा भाई भी है, जिसने उसको पढ़ाने के लिए दूसरो के खेतो में भी काम किया है। साल 2019 में अपनी एमटेक की डिग्री के बाद उन्होंने इसरो में आवेदन किया था. इसके बाद उन्हें इसरों में सीनियर अधिकारी के रूप में चुन लिया गया
IIT में डिजाइन किया प्लेन का इंजन
सोमनाथ बचपन से ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे। उन्होंने अपनी 7वीं क्लास की पढ़ाई जिला परिषद प्राइमरी स्कूल और 10वीं क्लास की पढ़ाई अपने ही गांव के एक सेकेंडरी स्कूल से की है। उसके बाद उनके गाँव में स्कूल नहीं था. जिसके बाद 11वीं और 12वी की पढ़ाई पंढरपुर के स्कूल से पूरी की। उन्होंने (Somnath mali isro ) आगे की पढाई के लिए पंढरपुर के केबीपी कॉलेज में दाखिला लिया और गेट के एग्जाम में उन्होंने 916वीं रैंक हासिल की।
जिसके बाद उनका चयन IIT दिल्ली में मैकेनिकल डिजाइनर के रूप में हुआ। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान सोमनाथ को प्लेन के इंजन के डिजाइन पर काम करने का मौका मिला. इसमें उन्होंने काफी मेहनत की और इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया. इसके बाद उनका चयन इसरो में सीनियर वैज्ञानिक के रूप में हुआ।
10 दिनों तक माता-पिता से छुपाई सफलता
सोमनाथ माली को जब इसरो में सिलेक्ट कर लिया गया तब पूरे महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप चल रहा था. एक वेबसाइट के अनुसार कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए गांव में आने के बाद भी उन्होंने 10 दिन के लिए खुद को क्वारंटाइन कर लिया.
इन 10 दिनों के दौरान उन्होंने अपने माता पिता को अपनी सफलता की जानकारी नहीं दी. 10 दिन के क्वारंटाइन के बाद उन्होंने अपनी खुशी सबके साथ बांटनी शुरू की। सोमनाथ बताते हें कि वो इसरो के भविष्य के मिशन चंद्रयान 3 पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, पुनर्निर्माण अंतरिक्ष यान पर काम करने का मौका पाना चाहते हैं।
रोशन किया परिवार का नाम
इसरो में वैज्ञानिक बनकर उन्होंने अपने परिवार का नाम रौशन किया है। 2 जून को उनका चयन केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एक सीनियर वैज्ञानिक के तौर पर हुआ है। सोमनाथ माली वर्तमान में महाराष्ट्र के पहले स्टूडेंट है, जिसका चयन इसरो में वैज्ञानिक (ISRO Scientist) के रूप में हुआ है। उनके इस मुकाम पर पहुंचने के बाद उनके माता-पिता काफी खुश है। उन्हें अपने बेटे पर आज काफी गर्व हो रहा है।